नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर सरकार को निर्देश दिया कि कठुआ गैंगरेप और हत्याकांड की वारदात से पीड़ित परिवार , उसका मुकदमा लड़ रही वकील और परिवार के एक मित्र को सुरक्षा मुहैया कराए.
प्रधान न्यायधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई.चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मुकदमे को कठुआ से बाहर, संभव हो तो चंडीगढ़ , स्थानांतरित करने की मृतक बच्ची के पिता के अनुरोध पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
इस मामले की सुनवाई के दौरान मृतक बच्ची के पिता ने इस मामले में अब तक की जम्मू कश्मीर पुलिस की जांच पर संतोष जताते हुए इसे सीबीआई को सौंपने के दूसरे पक्ष के अनुरोध का विरोध किया.
मृतक बच्ची के पिता के कथन का संज्ञान लेते हुए पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ जैसा है चलने दें , हमारा इरादा इस समय उस दायरे में (मामला सीबीआई को सौंपने ) में जाने का नहीं है. ’’
पीठ ने सुरक्षा के पहलू को लेकर व्यक्त आशंकाओं पर भी गौर किया और राज्य सरकार को पीड़ित परिवार, उनकी वकील दीपिका सिंह रजावत और परिवार के मित्र तालिद हुसैन की सुरक्षा के लिए सादी वर्दी में पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैयार करने का निर्देश दिया.
पीठ ने कहा , ‘‘अंतरिम उपाय के रूप में , निर्देश दिया जाता है कि जम्मू कश्मीर पुलिस सुरक्षा बढ़ाए और परिवार, दीपिका सिंह राजावत और पारिवारिक मित्र तालिद हुसैन को समुचित सुरक्षाकर्मी मुहैया कराए. ’
अदालत ने जम्मू शहर में व्याप्त सांप्रदायिक तनाव को देखते हुए इस मामले को कठुआ से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने के स्पष्ट अनुरोध पर राज्य सरकार से 27 अप्रैल तक जवाब मांगा है.
पीठ ने राज्य पुलिस को यह निर्देश भी दिया कि इस मामले में कानूनी प्रावधान के तहत सुधार गृह में रखे गए आरोपी किशोर को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए.
अदालत ने स्पष्ट किया कि वह सिर्फ इस मामले से संबंधित लोगों को ही सुनेगा. सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि पीड़ित के पिता और दिल्ली स्थित वकील अनुजा कपूर ने याचिका दायर की है.
इससे पहले , दिन में पीठ उस याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी जिसका उल्लेख वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने किया था.
यह कहा गया था कि निचली अदालत में पीड़ित परिवार की वकील राजावत ने अपनी सुरक्षा के लिए खुद एक याचिका दायर की है क्योंकि उन्हें प्रभावित परिवार का प्रतिनिधित्व करने की वजह से धमकियां मिल रही हैं.
हालांकि बाद में यह स्पष्ट किया गया कि यह याचिका पीड़िता के पिता और दूसरी याचिका मामले की सीबीआई जांच के लिए दिल्ली स्थित वकील ने दायर की है.
शीर्ष अदालत ने गैंगरेप और हत्या के इस सनसनीखेज हृदयविदारक मामले की न्यायिक प्रक्रिया में कुछ वकीलों द्वारा व्यवधान डाले जाने पर 13 अप्रैल को कड़ा रूख अपनाया था और स्वत : ही कार्यवाही शुरू करते हुए कहा था कि इस तरह के व्यवधान को न्याय देने और न्याय प्राप्त करने में बाधा डालने वाला माना जायेगा.
यह नाबालिग बच्ची कठुआ में जंगल में अपने घर के पास खेलते समय गायब हो गयी थी. बाद में 10 जनवरी को उसी इलाके में उसका शव मिला था.
पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले की जांच के बाद अदालत में सात आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है जबकि किशोर के खिलाफ अलग अदालत में अलग आरोप पत्र दायर किया गया है.
जम्मू में बार एसोसिएशन ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करते हुए आरोप लगाया है कि अल्पसंख्यक डोगरा समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. वकीलों ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रदर्शन किया था और उस अदालत का मार्ग अवरूद्ध किया था जहां आरोप पत्र दाखिल किया गया है.