Tarun Tejpal rape case: कोर्ट में बिजली जाने के कारण तरुण तेजपाल के खिलाफ फैसला टला
तहलका पत्रिका के संपादक रहे तरुण तेजपाल पर पिछले 8 साल से मामला चल रहा है. उनपर अपनी सहकर्मी के साथ लिफ्ट में यौन शोषण का आरोप है. तरुण तेजपाल के खिलाफ इस मामले में अब 21 मई को फैसला आएगा.
तहलका पत्रिका के पूर्व एडिटर इन चीफ तरुण तेजपाल मामले में फैसला एक बार फिर टल गया है. अब इस मामले में 21 मई को फैसला सुनाया जाएगा. तरुण तेजपाल मामले में गोवा के जिला एवं सत्र न्यायालय मापुसा में आज फैसला सुनाया जाना था लेकिन कोर्ट में बिजली नहीं होने के कारण फैसले को टाल दिया गया. ताउते साइक्लोन की वजह से गोवा में बिजली आपूर्ति बाधित है. 'तहलका' के पूर्व प्रधान संपादक 2013 में गोवा के एक लक्जरी होटल की लिफ्ट के भीतर महिला सहकर्मी का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी हैं. तेजपाल आज अदालत में उपस्थित हुए थे.
पहले महामारी के कारण स्थगित
अतिरिक्त जिला अदालत 27 अप्रैल को फैसला सुनाने वाली थी लेकिन न्यायाधीश क्षमा जोशी ने फैसला 12 मई तक स्थगित कर दिया था. 12 मई को फैसला एक बार फिर 19 मई के लिए टाल दिया गया था. अदालत ने पूर्व में कहा था कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते स्टाफ की कमी के कारण यह मामला स्थगित किया गया था. गोवा पुलिस ने 30 नवंबर 2013 में तेजपाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. तरुण तेजपाल मई 2014 से जमानत पर बाहर हैं. गोवा अपराध शाखा ने तेजपाल के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया.
तेजपाल की याचिका बंबई उच्च न्यायालय में खारिज हुई थी
तेजपाल ने इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर अपने ऊपर आरोप तय किए जाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. तरुण तेजपाल के खिलाफ उनकी महिला सहकर्मी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. महिला के आरोपों के अनुसार, गोवा में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पांच सितारा होटल की लिफ्ट में तेजपाल ने उनका उत्पीड़न किया था. इसके बाद 30 नवंबर 2013 को तेजपाल को गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि, उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था. अतिरिक्त जिला एवं सत्र अदालत की न्यायाधीश क्षमा जोशी ने आठ मार्च को तेजपाल मामले में अंतिम दलीलें सुनी.
तरुण तेजपाल पर कई धाराओं के तहत आरोप
तरुण तेजपाल पर भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत मंशा से कैद करना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 376 (2) (महिला पर अधिकार की स्थिति रखने वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) और 376 (2) (के) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चला.