प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने दिए 12 अहम दिशानिर्देश
कोर्ट ने कहा कि अगर दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं तो कोई भी इसमें किस तरह की दखल नहीं दे सकता.कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इस मामले पर कोई कानून नहीं ले आती, तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक आदेश देते हुए अपनी मर्जी से से अंतर- जातीय और अंतर- आस्था विवाह करने वाले प्रेमी जोड़ों के मामले में खाप पंचायत जैसे गैरकानूनी समूहों के दखल को पूरी तरह गैरकानूनी करार देते हुए इन पर पाबंदी लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि अगर दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं तो कोई भी इसमें किस तरह की दखल नहीं दे सकता.
कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार इस मामले पर कोई कानून नहीं ले आती, तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा. इसका उल्लंघन करने वाले को कठोर सजा दी जाएगी. कोर्ट ने 2010 में एनजीओ 'शक्ति वाहिनी' द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया है. इस संबंध में कोर्ट ने कुछ गाइडलाइंस भी जारी की हैं...
* राज्य सरकारें ऐसे इलाकों/गांव की पहचान करें जहां पिछले 5 साल में प्रेमी जोड़ों की हत्या या उनके साथ मारपीट की घटनाएं हुई हों. वहां के प्रभारी पुलिस अधिकारी खास चौकसी बरतें.
* अगर खाप पंचायत या जातीय समूह की प्रस्तावित बैठक की जानकारी पुलिस अधिकारी को मिले तो वो तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दे. DSP या कोई आला अधिकारी बैठक करने जा रहे समूह को बताए कि प्रेमी जोड़ों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बैठक गैरकानूनी है.
* बैठक में DSP खुद मौजूद रहे और सुनिश्चित करें कि प्रेमी जोड़ों या उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने जैसा कोई गैरकानूनी फैसला न लिया जाए. बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग भी करवाई जाए.
* अगर बैठक से पहले ये अंदेशा हो जाए कि इसमें प्रेम विवाह करने वाले किसी जोड़े को नुकसान पहुंचाने का फैसला होगा और खाप वाले बैठक रोकने को तैयार न हों तो ज़िला प्रशासन धारा 144 लगाए. समूह से जुड़े लोगों को एहतियातन हिरासत में लें.
* केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकारें आपस मे चर्चा करें. पुलिस और दूसरी एजेंसियों को ऐसे अपराधों की रोकथाम ओर संवेदनशील बनाने के उपाय करें.
* अगर ऐसी बैठक हो जाने के बाद पुलिस को उसकी जानकारी मिले तो तुरंत FIR दर्ज करे. बैठक में लिए गए फैसलों के आधार पर धाराएं लगाई जाएं. खतरे में आए जोड़े/परिवार को सुरक्षा दे.
* प्रशासन ऐसे प्रेमी जोड़ों या प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षित जगह पर रखे, जिन्हें पंचायत या परिवार से खतरा हो. अगर पंचायत/जातीय समूह के चलते प्रेमी जोड़ों के परिवार वालों को खतरा हो तो उन्हें भी शरण दी जाए। राज्य सरकारें इस काम के लिए हर जिले में सेफ होम बनाने पर विचार करें.
* प्रशासन इस बात को देखे कि लड़का और लड़की वयस्क हैं या नहीं. वयस्क जोड़ा अगर शादी करना चाहता है तो अपनी देख-रेख और सुरक्षा में उनकी शादी करवाए. अगर वो जोड़ा सेफ होम में रहना चाहता हो तो उसे मामूली किराए पर एक महीना रहने दिया जाए. ज़रूरत पड़ने पर रहने की इजाज़त बढ़ाई जाए. इसकी अधिकतम सीमा 1 साल तक हो सकती है.
* अगर कोई प्रेमी जोड़ा या प्रेम विवाह करने वाला जोड़ा प्रशासन के पास आए तो उनकी शिकायत की एसीपी रैंक के अधिकारी जांच करें. शिकायत में कही गई बातों की पुष्टि होने पर FIR दर्ज हो. जोड़े के लिए खतरा बन रहे लोगों को हिरासत में लिया जाए.
* जानकारी मिलने पर भी प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने और दूसरी ज़रूरी कार्रवाई करने में नाकाम रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई हो. 6 महीने में कार्रवाई खत्म की जाए.
* हर जिले में SSP और समाज कल्याण अधिकारी के नेतृत्व में विशेष सेल बनाया जाए. इस सेल में प्रेमी जोड़े अपनी शिकायत रख सकते हैं. ये विशेष सेल 24 घंटे चलने वाली हेल्पलाइन सुविधा भी दें.
* हॉनर किलिंग यानी झूठी शान के लिए प्रेमियों की हत्या और उन्हें या उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतें बनाई जाएं जो इन मामलों की फ़ास्ट ट्रैक सुनवाई करें