नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 1999 में एक महिला को शादी करने का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म करने के आरोपी 59 साल के शख्स को बरी कर दिया है और कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने में करीब आठ साल की देरी हुई, जिसकी कोई वजह स्पष्ट नहीं हुई.


अदालत ने कहा कि ना तो 47 साल की महिला ने कोई बात उठाई और ना ही उसने कथित घटना के समय राजस्थान में शख्स द्वारा कथित रूप से जबरन शारीरिक संबंध बनाने के खिलाफ पुलिस में केाई रिपोर्ट दर्ज कराई.


अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण कुमार ने कहा, ‘‘प्राथमिकी दर्ज करने में एक या दो दिन की देरी तो उक्त मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के लिहाज से जायज मानी जा सकती है. हालांकि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में करीब आठ साल की देरी हुई.’’


अदालत ने आरोपी को बरी करते हुए कहा कि पुलिस के पूरे पक्ष को नहीं मानने के लिए केवल देरी को आधार नहीं बनाया जा सकता, लेकिन आने वाले कारणों की रोशनी में देरी के प्रभाव को समझना होगा. अदालत ने कहा कि दिल्ली लौटने के बाद भी महिला ने प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई और पुलिस के पास पिछले साल मार्च में पहुंची और इतनी देरी की कोई स्पष्ट वजह नहीं है.