Atiq Ahmad: कुछ दिन पहले प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड के बाद से अतीक अहमद का नाम सुर्खियों में है. योगी सरकार अतीक अमहद को लेकर सख्त कार्रवाई में जुटी हुई है. साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद ही उमेश पाल की हत्या का मुख्य आरोपी है. वहीं, इस हत्याकांड की पूछताछ के लिए अतीक को यूपी लाने की भी तैयारी की जा रही है. पिछले 6 सालों से जेल में बंद अतीक का एक जमाने में दबदबा हुआ करता था, अतीक की इतनी दहशत थी कि उसके खिलाफ चुनाव लड़ने से लोग डरते थे और टिकट मिलने के बाद भी उम्मीदवार अपना नाम वापस ले लेते थे. आइये जानते हैं इसकी पूरी कहानी.


अतीक के नाम की दहशत
साल 1986 में अपराध की दुनिया में अतीक का बड़ा नाम हो चुका था. साल 1989 में अतीक ने राजनीति में कदम रखा था. अतीक ने इलाहबाद की पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया और उसका मुकाबला चांद बाबा से होता है. चांद बाबा ही अतीक का माफिया गुरु था. लोगों में अपनी दहशत के चलते अतीक ने चांद बाबा को हराकर चुनाव जीता था. कुछ महीनों के बाद दिनदहाड़े चौराहे पर चांद बाबा की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में अतीक अहमद का नाम सामने आया. बस यहीं से पूरे पूर्वांचल में अतीक के नाम की दहशत शुरू हो गई. उस वक्त अतीक का खौफ इतना ज्यादा था कि इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट से कोई नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था. इतना ही नहीं, राजनीतिक पार्टियों के टिकट देने के बावजूद नेता उसे वापस कर दिया करते थे.


अतीक के आपराधिक मामले 
अतीक अहमद पर हत्या, हत्या का प्रयास, किडनैपिंग, रंगदारी जैसी वारदातों को अंजाम देना जैसे 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. साल 1989 में चांद बाबा हत्याकांड, साल 2002 में नस्सन हत्याकांड, साल 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी बीजेपी नेता अशरफ का मर्डर और साल 2005 में राजू पाल की हत्या जैसे बड़े आरोप में अतीक अहमद का नाम शामिल है.


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