Umesh Pal Murder Case: 2005 में हुए बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या मामले में पीड़ित परिवार की तरफ से शिकायत पर शुक्रवार देर रात पुलिस ने एफआईआर दर्ज की. इस मामले में गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद, उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन, भाई खालिद अज़ीम उर्फ अशरफ, उनके दो बेटों और कई अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में भी ले लिया है. 


सूत्रों ने कहा कि पुलिस ने पूछताछ के लिए अतीक अहमद के दो बेटों समेत 17 लोगों को हिरासत में लिया है. गौरतलब है कि अतीक अहमद अब गुजरात की साबरमती जेल में बंद है और उसके खिलाफ लूट, हत्या, जबरन वसूली, अपहरण, धमकी और अवैध हथियार रैकेट सहित लगभग 100 आपराधिक मामले लंबित हैं.


इन धाराओं के साथ हुआ मामला दर्ज
पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा ने शनिवार को कहा कि मृतक उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत के आधार पर, धारा 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करना), 149 (सामान्य वस्तु के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी गैरकानूनी विधानसभा), 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि हमलावरों को पकड़ने के लिए विभिन्न स्थानों और संभावित ठिकानों पर छापेमारी करने के लिए पुलिस की 10 टीमों का गठन किया गया है. जया पाल ने अपनी शिकायत में दावा किया कि उनके पति उमेश पाल उर्फ 43 वर्षीय कृष्ण कुमार पाल 2005 के बसपा विधायक राजू पाल हत्या मामले में मुख्य गवाह थे, जिसमें अतीक मुख्य आरोपी था.


अदालत से लौटते वक्त हुई थी हत्या
उमेश पाल की पत्नी ने कहा, “मेरे पति का 2006 में अतीक अहमद और उसके गुर्गों ने कथित रूप से अपहरण कर लिया गया था ताकि उन पर शत्रुतापूर्ण होने का दबाव बनाया जा सके, जिसके बाद उन्होंने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था. 24 फरवरी को मेरे पति अपने दो बंदूकधारियों  संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह  के साथ मामले की सुनवाई के लिए एक स्थानीय अदालत गए थे. लौटने के बाद, जैसे ही उमेश अपनी कार से नीचे उतरे, अतीक अहमद के बेटे, गुड्डू मुस्लिम, गुलाम और अन्य सहित सशस्त्र हमलावरों के एक समूह ने मेरे पति और उनके दो पुलिस गनर पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं.


उमेश पाल की पत्नी ने इन लोगों पर लगाए आरोप
जया ने आगे आरोप लगाया कि अतीक, उसकी पत्नी शाइस्ता और उसका भाई अशरफ मुख्य साजिशकर्ता थे, जबकि उसके बेटे और करीबी सहयोगी अपराध को अंजाम देने में शामिल थे. उसने पुलिस को यह भी बताया कि वह गोलीबारी में शामिल सभी अपराधियों को पहचान लेगी. इस बीच, उमेश पाल के घर के पास सुलेमसराय और आस-पास के इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, जब मारे गए वकील के सैकड़ों समर्थक वहां जमा हो गए थे. स्थानीय लोगों ने दावा किया कि राजू पाल हत्याकांड के अलावा उमेश दो अन्य मामलों की भी पैरवी कर रहा था. परिवार के सदस्यों ने कहा कि राजू पाल हत्याकांड में मुख्य गवाह होने के नाते, उन्हें 2006 और 2016 में बदमाशों द्वारा धमकी दी गई, हमला किया गया और अपहरण कर लिया गया, जिसके बाद दो अलग-अलग मामले दर्ज किए गए.


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