NCRB Crime Data: यूपी के प्रयागराज में अपराधियों ने फिल्मी स्टाइल में एक शख्स की हत्या कर दी थी. मरने वाला शख्स राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह था, जिसका नाम उमेश पाल था. वहीं, उमेश पर हुई गोलीबारी के वीडियो का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें देख सकते हैं कि कार से उतरते ही एक भीड़भाड़ वाली जगह पर अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर उमेश पाल को मौत के घाट उतार दिया था. हालांकि, यूपी में इस तरह की घटनाओं का होना कोई नयी बात नहीं और ऐसा पहली बार भी नहीं हुआ है. यूपी में पिछले कई सालों से हत्याओं का सिलसिला लगातार जारी है. इसे समझने के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों पर एक नजर डालते हैं, जो सरकारी दावों की पोल खोलते दिखते हैं.
यूपी में सबसे ज्यादा हत्या के मामले
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में भारत में हत्या के 29,272 मामले दर्ज किए गए. साल 2020 में यह संख्या 29,193 थी और साल 2019 में यह संख्या 28,915 थी. साल 2021 के आंकड़ों में साल 2020 की तुलना में 0.3% की मामूली वृद्धि देखी गई. राज्यों में यूपी में सबसे अधिक 3,717 हत्या के मामले दर्ज किए गए. इसके बाद बिहार में 2,799 और महाराष्ट्र में 2,330 मामले दर्ज किए गए. मध्य प्रदेश में 2,034 और पश्चिम बंगाल में 1,884 मामले दर्ज किए गए. सिक्किम में सबसे कम हत्या के मामले 14 थे. शहरों में दिल्ली में साल 2021 में सबसे अधिक 454 हत्या के मामले दर्ज किए गए. केरल के कोझिकोड में साल 2021 में सबसे कम 5 हत्या के मामले दर्ज किए गए. दिल्ली के बाद मुंबई में 162 हत्या के मामले, चेन्नई में 161 मामले, बेंगलुरु में 155 मामले, सूरत में 121 मामले, जयपुर में 118 मामले, लखनऊ में 101 मामले और पुणे में 100 मामले हैं। 2021 में महानगरों में हत्या के कुल 1,955 मामले दर्ज किए गए.
हत्याओं के पीछे का मकसद
हत्याओं के पीछे के मुख्य मकसद में विवाद के 849 मामले, व्यक्तिगत दुश्मनी के 380 मामले और प्रेम संबंध के 122 मामले थे. राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य उद्देश्य विवाद के 9,765 मामले, प्रतिशोध के 3,782 मामले और लालच के 1,692 मामले थे.