Badan Singh Badoo Gangster: उत्तर प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर अतीक अहमद की 15 अप्रैल की रात को हत्या कर दी गई. अतीक और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया. ऐसे ही यूपी का एक और कुख्यात गैंगस्टर बदन सिंह है. बदन सिंह ‘बद्दो’ पर करीब 40 आपराधिक मामले दर्ज हैं.
बदन सिंह पर हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली से लेकर अवैध हथियार रखने तक और उनकी आपूर्ति करने, बैंक डकैती के लिए मामले दर्ज है. हालांकि यूपी के मास्टरमाइंड बदन सिंह की लाइफस्टाइल किसी एक्टर से कम कम नहीं है. बुलेटप्रूफ बीएमडब्ल्यू, सीसीटीवी कैमरे के साथ एयर कंडीशनर घर, लुई वुइटन के जूते और इम्पोर्टेड पिस्तौल. बदन सिंह 'बद्दो' का जीवन और अपराध बॉलीवुड फिल्मों में दिखाई जाने वाली गैंगवार और किंगपिन की दुनिया से कम नहीं है.
बदन सिंह पिछले महीने जेल से कोर्ट ले जाते समय छह पुलिसकर्मियों को शराब के नशे में धुत कर फरार हो गया. जानकारी के मुताबिक 51 वर्षीय बद्दो को कोर्ट ले जाते काफिला जब मेरठ के मुकुट महल होटल में खाने के लिए रुका तो बद्दो ने सभी छह पुलिस अधिकारियों को शराब पिला दी. इसके बाद वह गिरोह के सदस्यों की मदद से एक काली लग्जरी कार में भाग गया. उत्तर प्रदेश पुलिस को बाद में पता चला कि मुकुट महल को पहले बद्दो से आर्थिक मदद मिली थी.
कैसे हुई बंदन सिंह के अपराध की शुरुआत
बद्दो के पिता चरण सिंह जालंधर साल 1970 में पंजाब से बेरीपुर मेरठ में रहने चले गए. चरण सिंह ने परिवार का गुजारा करने के लिए ट्रकों के ड्राइवर का काम शुरू किया और बाद में खुद का अपना ही ट्रांसपोर्ट का बिजनेस शुरू किया. मेरठ के ट्रांसपोर्ट नगर एसएचओ प्रमोद गौतम ने बताया कि बद्दो सात भाई थे और वह सबसे छोटा था. उन्होंने बताया कि उसने अपने पिता और अपने सबसे बड़े भाई किशन सिंह के क्रिमिनल र्सकल में दोस्त बनाने के लिए अपने ट्रांसपोर्ट बिजनेस में शामिल होने के लिए कहा.
गौतम ने बताया कि वह बुरी संगति के लोगों के साथ उठने बैठने लगा. बद्दो जब 40 साल का हुआ तब तक वह अपने सभी छह भाइयों को खो चुका था. बद्दो के सबसे बड़े भाई किशन सिंह की नई दिल्ली से मेरठ वापस जा रहे समय ट्रक से तेज स्पीड की टक्कर की वजह से मौत हो गई थी. इसके अलावा बद्दो के तीन भाइयों की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई थी. तीनों भाइयों में एक की बीमारी से और अन्य दो की दुर्घटनाओं में मौत हो गई थी. 1980 के अंत तक तक बद्दो मेरठ में छोटे बदमाशों के साथ चलता था और शराब की तस्करी कर रहा था. यह न केवल मेरठ, बल्कि पूरे यूपी, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और यहां तक कि आंध्र प्रदेश के अंडरबेली में भी उसके अपराध की शुरुआत थी. इसके बाद वह पश्चिमी यूपी के कुख्यात गैंगस्टर रविंद्र भूरा के गैंग में शामिल हो गया.
आपराधिक इतिहास
बद्दो के जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उसने 1996 में वकील रविंद्र सिंह हत्या कर दी. इसी केस में उसे 31 अक्टूबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन वह फरार हो गया. बद्दो पहले से ही पश्चिमी यूपी में प्रमुख अपराध नेटवर्क में घुस गया था. वह शराब की तस्करी के धंधे से वह जल्द ही ब्लैक मार्केट में लग्जरी कारों की चोरी और बिक्री करने लगा और विवादों के निपटारे के दौरान लोगों से महंगी संपत्ति हड़पने लगा.
बद्दो के आपराधिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उत्तर प्रदेश में अन्य गैंगस्टरों के साथ उसके मेल जोल से आया था. रविंदर भूरा की हत्या के बाद 2007 में बद्दो ने मुजफ्फरनगर के एक और कुख्यात डकैत सुशील मूच के साथ हाथ मिला लिया. सुशील मूच राज्य में 10 से ज्यादा हत्याओं के लिए जाना जाता था. हालांकि पिछले महीने बद्दो के पुलिस से फरार होने के दो दिन बाद ही मूच ने मुजफ्फरनगर की एक स्थानीय अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने सरेंडर कर दिया. एसएचओ गौतम ने बताया कि बद्दो के खिलाफ 1988 में पहला हत्या का मामले दर्ज किया गया था. बद्दो ने व्यापारिक असहमति की वजह से मेरठ में गुदरी बाजार कोतवाली में राजकुमार नाम के एक व्यक्ति को दिनदहाड़े गोली मार दी थी. हालांकि अभी मेरठ पुलिस उसे ट्रैक करने की कोशिश कर रही है.
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