नई दिल्ली/लखनऊ : मिलेट्री इंटेलीजेंस यानि एमआई की सूचना पर यूपी एटीएस ने एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय जासूसी रैकेट का भांडाफोड़ किया है. माना जा रहा है कि इस जासूसी के तार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मध्य-पूर्व के देशों से जुड़े हुए थे. इसमें भारतीय सेना से जुड़ी संवदेनशील जानकारियां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को मुहैया कराई जा रही थी.


दिल्ली के एक जानेमाने कोचिंग सेंटर का टीचर है


एटीएस अधिकारियों ने एबीपी न्यूज को बताया है कि रैकेट का सरगना, राजधानी दिल्ली के एक जानेमाने कोचिंग सेंटर का टीचर है. जो पहले अफगानिस्तान में रहकर नाटो देशों की सेनाओं के लिए कम्पयूटर ऑपरेटर का काम करता था. अबतक रैकेट में कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. यूपी एटीएस की मानें तो इस रैकेट से जुड़े आरोपी, फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के जरिए जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना के अधिकारियों को फोन कर उनसे खुफिया जानकारी इकठ्ठा करते थे.


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रैकेट में शामिल लोग ‘सिम-बॉक्स’ का इस्तेमाल करते थे


फिर जानकारियों को आईएसआई को भेज देते थे. ये रैकेट पिछले डेढ़ साल से सक्रिय था. रैकेट में शामिल लोग ‘सिम-बॉक्स’ का इस्तेमाल करते थे. इसके लिए उन्होनें अपना खुद का क्लॉउड तैयार किया और फिर दिल्ली और यूपी में इस तरह के 18 सिमबॉक्स तैयार किए. वहां बैठे लोग सेना के अधिकारियों को फोन करते थे. अधिकारियों के मोबाइल नंबर पर वे उनके सीनियर का नंबर डिस्पले करने में कामयाब हो जाते थे.


सस्ती दरों पर विदेश में कॉल करने का फर्जीवाड़ा करता था


फिर सीनियर अधिकारी बन सेना के (मातहत) अधिकारियों से देश की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी ले लेते थे. एटीएस के मुताबिक, आरोपी ये सब इंटरनेट कॉल को वोआइस कॉल में तब्दील कर करते थे. जानकारी के मुताबिक, ये रैकेट शुरुआत में तो लोगों को सस्ती दरों पर विदेश में कॉल करने का फर्जीवाड़ा करता था. लेकिन, पिछले 3-4 महीने से इस रैकेट से जुड़े लोगों ने सेना के अधिकारियों को फोन करना शुरु किया था.


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सूचना मिलते ही मिलेट्री इंटेलीजेंस के कान खड़े हो गए


जम्मू कश्मीर में सेना के अधिकारियों से फोन पर संवदेनशील जानकारियां लेने की बात जैसे ही एमआई को लगी, मिलेट्री इंटेलीजेंस के कान खड़े हो गए. पूरे मामले की जांच की गई तो पता चला कि दिल्ली, सीतापुर और हरदोई से ये कॉल की जा रही हैं. इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्कॉवयड (एटीएस) को अलर्ट किया गया. सबसे पहले लखनऊ के करीब सीतापुर और हरदोई में चले रहे इस रैकेट से जुड़े कॉल सेंटर्स पर छापा मारा गया.


वहां काम कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया गया तो पता चला


वहां काम कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया गया तो पता चला, रैकेट का सरगना, गुलशन सेन दिल्ली में रहता है. दिल्ली के महरौली इलाके में रहने वाले गुलशन को गिरफ्तार किया गया. गुलशन ने अपने महरौली स्थित घर में भी फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज बनाकर रखा था. घऱ की छत पर बाकयदा मोबाइल टॉवर तक लगा रखा था. पूछताछ में गुलशन ने बताया कि वो पंजाबी बाग स्थित फिटजी (FITTJEE) कोचिंग सेंटर में टीचर का काम करता है.


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वो अफगानिस्तान में नॉटो देशों के सेनाओं के लिए काम करता था


इससे पहले वो अफगानिस्तान में नॉटो देशों के सेनाओं के लिए काम करता था. वो वहां कम्पयूटर ऑपरेटर का काम करता था. वहीं पर बताया जा रहा है कि उसे जासूसी करने की तकनीक पता चली. भारत वापस आकर उसनें पहले तो फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज का काम शुरु किया. इसके लिए उसने 18 सिमबॉक्स तैयार किए. एक सिमबॉक्स में एकबार में 256 सिम इस्तेमाल किए जा सकते थे. इस तरह से विदेशों में फर्जी कॉल करने की धंधे से उसनें टेलीकॉम विभाग को एक महीने में करीब 2 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया.


एक महीनें में करीब 36 करोड़ रुपये का चूना लगा रहा था


इस तरह से इन 18 सिमबॉक्स के जरिए वो एक महीनें में करीब 36 करोड़ रुपये का चूना लगा रहा था. बताया जा रहा है कि फिर इसने सेना की जासूसी का काम करना शुरु कर दिया है. एटीएस नें फिलहाल गुलशन को रिमांड में ले रखा है. और उससे पता किया जा रहा है कि उसने किस तरह की जानकारी सेना के अधिकारियों से इकठ्ठा की और कितनी आईएसआई और दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों को लीक की है.


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