Amritpal Singh: दीप सिद्धू के बाद अब अमृतपाल सिंह... जानें कैसे देश के लिए खतरा बन गया 'वारिस पंजाब दे' संगठन
Waris Punjab De: पहली बार किसान आंदोलन में 26 जनवरी 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा में दीप सिद्धू का नाम सामने आया था. उस वक्त लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा 'निशान साहिब' फहराया गया था.
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Waris Punjab De: खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह का ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. हिंदी में इस संगठन का मतलब है पंजाब के वारिस. वारिस पंजाब दे संगठन का जिक्र करते ही सबसे पहले किसान आंदोलन और दिल्ली के लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा फहराना जैसी घटनाएं आंखों के सामने आ जाती हैं. लाल किला हिंसा के आरोपी रहे पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने ही वारिस पंजाब दे संगठन को स्थापित किया था. एक कार दुर्घटना में दीप सिद्धू की मौत हो गई थी, जिसके बाद इस संगठन की बागडोर को अमृतपाल सिंह ने अपने हाथ में ले लिया. आइये जानते हैं कि वारिस पंजाब दे संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह कैसे बन गया?
2021 में बना वारिस पंजाब दे संगठन
पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले 30 सितंबर, 2021 को दीप सिद्धू ने वारिस पंजाब दे नाम के संगठन की स्थापना की थी, जिसे पंजाब अधिकारियों की रक्षा के लिए बनाया गया था. भारी संख्या में युवा इस संगठन से जुड़े थे. पहली बार किसान आंदोलन में 26 जनवरी 2021 को गणतंत्र दिवस वाले दिन लाल किले पर हुई हिंसा में दीप सिद्धू का नाम सामने आया था. उस वक्त लाल किले पर खालसा पंथ का झंडा 'निशान साहिब' फहराया गया था. पुलिस ने झंडा लहराने वाले शख्स की पहचान जुगराज सिंह के रूप में की थी, जो पंजाब के तरनतारन जिले का निवासी है. राजनीतिक एजेंडा ना बताते हुए दीप सिद्धू ने वारिस पंजाब दे संगठन का उद्देश्य पंजाब के हक की लड़ाई को आगे बढ़ाना बताया था. हालांकि, चुनाव में सिद्धू ने सिमरनजीत सिंह मान की खालिस्तान समर्थक पार्टी का समर्थन करते हुए उनके लिए प्रचार भी किया था. लेकिन, पंजाब चुनाव से ठीक पहले 15 फरवरी, 2022 को ही हरियाणा में हुए एक कार एक्सीडेंट में सिद्धू की मौत हो गई थी.
अमृतपाल ने उठाया फायदा
दीप सिद्धू की अचानक मौत से उसके समर्थक अकेले पड़ गए थे और वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख खाली हो गया था, जिसका फायदा अमृतपाल सिंह ने उठाया और खालिस्तानी समर्थकों के बीच अपने अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब को आधार बनाया. साल 2022 में ही अमृतपाल दुबई से पंजाब लौटा था और लोगों को जोड़ने के लिए वारिस पंजाब दे नाम की एक वेबसाइट बनाई. इसके जरिये वारिस पंजाब दे के नए प्रमुख के रूप में वह खुद को पेश करने लगा. दीप सिद्धू केवल पंजाब की बात करते थे और अमृतपाल ने भी वैसा ही रास्ता चुना. लेकिन, अमृतपाल के शब्द दीप सिद्धू से ज्यादा तीखे थे. सोशल मीडिया पर इसके तमाम वीडियो वायरल हुए, जिसकी वजह से युवा दोबारा से साथ जुड़ने लगे.
अमृतपाल ने प्रमुख का पदभार संभाला
29 सितंबर, 2022 में वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख पद के लिए अमृतपाल सिंह का नाम अचानक से उछलने लगा. अमृतपाल ने संगठन के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला और मोगा जिले के रोड में एक ‘दस्तार बंदी’ समारोह आयोजित किया. यहां पर जरनैल सिंह भिंडरावाले का पैतृक गांव है. समारोह में शामिल हजारों की भीड़ ने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए. इसी दौरान अमृतपाल ने खुद को वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख के तौर पर घोषित कर दिया.
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