पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने सोमवार को स्वीकार किया कि कांग्रेस प्रमुख पद को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष है, लेकिन यह भी जोर दिया कि असंतोष के बिना बदलाव नहीं हो सकता. उनका ये बयान कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की सात घंटे चली बैठक के कई घंटों बाद आया. इस बैठक में पार्टी के आंतरिक मतभेदों पर चर्चा के हुई थी.
पार्टी नेतृत्व के बारे में कांग्रेस के भीतर असंतोष के बारे में पूछे जाने पर, पी चिदंबरम ने कहा, "मैं कभी नहीं कहता कि सब ठीक है. क्या समुद्र की लहरें कभी खामोश हो जाती हैं, समुद्र में हमेशा लहरें उठती रहेंगी. हमेशा कुछ असंतोष रहेगा. आज हमने कुछ मुद्दों पर बात की. मुझे लगता है कि आगे बढ़कर पार्टी मजबूत और अधिक सक्रिय हो जाएगी."
असंतोष बदलाव लाता है
पी. चिदंबरम ने आगे कहा,"जिन भी नेताओं ने पत्र लिखा है वो सभी भाजपा विरोधी है उनमें मैं भी हूं और राहुल गांधी भी हैं. वहां हमेशा असंतोष रहता है. यहां तक की, कई बार असंतोष बदलाव लेकर आता है. अगर अंसतोष नहीं होगा, तो बदलाव नहीं हो पाएगा." उन्होंने पार्टी लीडरशिप को लेकर सोनिया गांदी को लिखे पत्र पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर भी बात की.
बीजेपी के साथ कोई नहीं मिला
राहुल गांधी ने कथित तौर पर कहा था कि सोनिया गांधी को ये पत्र बीजेपी के साथ सांठगांठ होने पर लिखा गया है. पी. चिदंबरम ने इस पर कहा,"यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी ने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है. किसी ने भी आरोप नहीं लगाया कि कोई बीजेपी के साथ मिला हुआ है."
पार्टी को मजबूत करने पर चर्चा
गौरतलब है कि सात घंटे तक चली पार्टी की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का हाथ हरसंभव तरीके से मजबूत करने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया. साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि किसी को भी पार्टी नेतृत्व को कमजोर करने या कमतर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इन लोगों ने किए पत्र पर हस्ताक्षर
बता दें कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा, पीजे कुरियन, रेणुका चौधरी, मिलिंद देवड़ा और अजय सिंह शामिल हैं. इनके अलावा सांसद विवेक तन्खा, सीडब्ल्यूसी सदस्य मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राजेंद्र कौर भट्ठल, एम वीरप्पा मोइली और पृथ्वीराज चव्हाण ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.