मास्को: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस यात्रा पर हैं. राजनाथ सिंह सोमवार देर शाम रूस पहुंचे हैं. सूत्रों के मुताबिक राजनाथ सिंह आज रूस में अहम मुलाकातें करेंगे. इसमें रूस के रक्षा मंत्री समेत अन्य नेताओं के साथ बैठकें होंगी. भारत और चीन के बीच एलएसी पर जारी तनाव के बीच रूस की राजधानी मॉस्को में दोनों देशों के रक्षा मंत्री एक साथ होंगे.


ल रूस की विक्ट्री डे परेड में एक साथ होंगे भारत और चीन के रक्षा मंत्री


राजनाथ सिंह रूस में 75वीं विक्ट्री डे परेड समारोह में शरीक होने रूस पहुंच गए हैं. वहीं चीनी रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही भी 24 जून (यानि कल) को हो रहे समारोह में शिरकत करने पहुंच रहे हैं. वहीं दोनों देशों के सैनिक भी एक साथ रेड स्क्वेयर पर साथ कदमताल करते नजर आएंगे. राजनयिक सूत्रों के मुताबिक रूस के विक्ट्री डे परेड में समारोह में चीन के 105 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल का प्रतिनिधत्व रक्षा मंत्री फेंगही करेंगे. भारत ने मॉस्को में 24 जून को होने वाली परेड के लिए जहां तीनों सेनाओं के 75 सैनिकों का कंटिंजेंट भेजा है. इसकी अगुवाई एक कर्नल रैंक अधिकारी कर रहे हैं. वहीं भारतीय दल की अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे.



सोवियत युद्ध की स्मृति में आयोजित इस समारोह के लिए दुनिया के कई देशों के नेता और सैनिक दस्ते पहुंचे हैं. सीमा तनाव के बीच यह पहला अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम होगा जहां दोनों देशों के सैनिक साथ होंगे तो वहीं रक्षा मंत्री भी शरीक होंगे.


25 जून की देर शाम वापस लौटेंगे राजनाथ सिंह 


राजनाथ सिंह 25 जून की देर शाम वापस लौटेंगे. हालांकि मास्को में भारत और चीन के रक्षा मंत्रियों के बीच किसी द्विपक्षीय मुलाकात का कोई निर्धारित कार्यक्रम नहीं है. मगर इतना जरूर है कि रूसी मेजबानी में हो रहे इस समारोह में दोनों रक्षा मंत्री साथ होंगे. वहीं रूसी रक्षा मंत्री द्वारा मेहमान नेताओं के सम्मान में देने वाले भोज में भी साथ हो सकते हैं. वैसे इस बाबत आधिकारिक तौर पर न भारत की तरफ से कुछ कहा गया है और न चीन की ओर से कोई बयान आया है.


रक्षा मंत्री की रूस यात्रा भारत के खास रणनीतिक साझेदार देश के साथ संवाद के एक मौके के तौर पर भी देखी जा रही है. इस दौरान जहां भारत रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम से लेकर सुखोई-30 व आधुनिक मिग-29 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति तेज करने का आग्रह करेगा. वहीं बातचीत के दौरान पुराने दोस्त रूस के साथ चीन के आक्रामक रवैये और सीमा तनाव पर भी बात संभव है.


भारत की ही तरह रूस भी चीन का पड़ोसी देश


महत्वपूर्ण है कि भारत की ही तरह रूस भी चीन का पड़ोसी देश है. इतना ही नहीं रूस को पूर्ववर्ती सोवियत संघ के जमाने में सीमा पर चीन की आक्रामक कार्रवाई को झेलना पड़ा था. हालांकि पामीर के इलाके में 1969 की की गई आक्रामक कार्रवाई पर चीन को मुंह की खानी पड़ी थी. सोवियत संघ के रिकार्ड के मुताबिक, मार्च से सितंबर 1969 के बीच चली संघर्ष में चीन के 200 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे. हालांकि हमेशा की तरह चीन ने इस टकराव में भी अपने हताहत सैनिकों की संख्या को बहुत कम ही बताया था.


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