Electoral Bonds Scheme Verdict Highlights: कांग्रेस ने किया सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत, बोले- अब पता चलेगा कौन-कौन देता है दान
Electoral Bonds Scheme Verdict Highlights: सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया और इसे असंवैधानिक करार दिया.
चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा, "गेंद प्रधानमंत्री के पाले में है, कम से कम इसके लिए मुझे उम्मीद है कि वह अपने मन की बात के साथ सामने आएंगे और कहेंगे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?"
चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा, "गेंद प्रधानमंत्री के पाले में है, कम से कम इसके लिए मुझे उम्मीद है कि वह अपने मन की बात के साथ सामने आएंगे और कहेंगे कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?"
चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा, ''मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सलाम करता हूं. यह फैसला पक्ष और विपक्ष दोनों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस चुनावी बांड योजना के साथ, एक सत्तारूढ़ दल को छोड़कर सभी दल और यहां तक कि लोग भी नुकसानदेह स्थिति में थे."
इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने नेता पवन खेड़ा ने कहा, "बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड में जो 5200 करोड़ रुपए मिले हैं, उसके बदले बीजेपी ने क्या बेचा है? कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करती है और मांग करती है कि एसबीआई तमाम जानकारी को सार्वजनिक पटल पर रखे, जिससे जनता को मालूम पड़े कि किसने कितना पैसा दिया. यह स्कीम मोदी सरकार मनी बिल के तौर पर लाई थी, ताकि राज्यसभा में इस पर चर्चा न हो, यह सीधा पारित हो जाए."
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया. इसे लेकर पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री डॉ. अश्विनी कुमार ने कहा, "इसका देश की राजनीति पर बड़ा असर पड़ेगा."
इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, "हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है कि एसबीआई बताए कि चंदे के तौर पर कितने पैसे का लेन-देन हुआ और दान देने वाले कौन थे."
बैकग्राउंड
Electoral Bonds Scheme Verdict Highlights: सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने गुरुवार (15 फरवरी) को केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया इसे असंवैधानिक करार दिया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे, उन्होंने इस योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग और सर्वसम्मत फैसले दिए.
क्या होता है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे से जुड़ा है. दरअसल वित्तीय साधक के रूप में काम करने वाले चुनावी बॉन्ड के जरिए कोई व्यक्ति या व्यसायी अपना नाम उजागर किए बिना किसी पार्टी को चंदा दे सकता है. योजना के प्रावधानों के अनुसार भारत का कोई भी नागरिक या देश में नियमित या स्थापित इकाई चुनावी बांड खरीद सकती है. ये बांड कई तरह से उपलब्ध होते हैं, जिनकी कीमत एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपए तक होती है. ये बॉन्ड भारतीय स्टेट बैंक की किसी भी शाखा से लिया जा सकता है. साथ ही ये दान ब्याज मुक्त होता है.
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने क्या कहा?
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "राजनीतिक संबद्धता की गोपनीयता का अधिकार सार्वजनिक नीति को प्रभावित करने के लिए किए गए योगदान तक विस्तारित नहीं होता है और केवल सीमा से नीचे के योगदान पर लागू होता है. आयकर अधिनियम प्रावधान में संशोधन और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 सी को प्राधिकार के अधीन घोषित किया गया है. कंपनी अधिनियम में संशोधन असंवैधानिक है.”
इसके बाद जस्टिस संजीव खन्ना बोले, “मैं सीजेआई के फैसले से सहमत हूं। मैंने अनुरूपता के सिद्धांतों को भी कुछ बदलाव के साथ लागू किया है, लेकिन निष्कर्ष वही हैं.” सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “ चुनावी बांड योजना काले धन पर अंकुश लगाने वाली एकमात्र योजना नहीं है.”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “सभी राजनीतिक योगदान सार्वजनिक नीति को बदलने के इरादे से नहीं किए जाते हैं, छात्र, दिहाड़ी मजदूर आदि भी इसमें योगदान करते हैं."
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