Human-Tiger Conflict: इंसानों और जंगली जानवरों के बीच बढ़ रहा है टकराव, 'टाइगर' को है सबसे ज्यादा खतरा
Human-Tiger Conflict: भारत में इस समय इंसानों और जंगली जानवरों के बीच टकराव के चलते चुनौतियां बढ़ गई हैं. इसका एक बढ़ा कारण दोनों ही की बढ़ती आबादी है.
ऑल इंडिया टाइगर एंड लेपर्ड एस्टिमेशन-2018 के अनुसार, महाराष्ट्र में साल 2014 में टाइगर की संख्या 190 थी. जो कि साल 2018 तक बढ़कर 312 हो गई. वर्तमान की बात करें तो यहां इस समय टाइगर की कुल आबादी 350 है. साथ ही यहां लेपर्ड की संख्या 1,690 है. इसलिए इंसानों के साथ लगातार हो रहे इनके टकराव को रोकने के लिए ठोस एक्शन प्लान की जरुरत है.
राज्य में बड़ा राजनीतिक मुद्दा है इंसानों और जंगली जानवरों का ये टकराव
इंसानों और जंगली जानवरों का ये टकराव एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बना हुआ है. साल 2013 से अब तक यहां इस समस्या पर अलग-अलग सरकारों ने एक्स्पर्ट्स और अधिकारियों की तीन उच्च-स्तरीय समितियों का गठन कर दिया है. वाइल्डलाईफ बोर्ड मेंबर, बांडु धोत्रे के अनुसार, "हाल ही में स्टेट वाइल्डलाईफ बोर्ड की समिति ने इस मामले को लेकर अपनी रिपोर्ट जमा की है लेकिन अब तक उस पर कोई भी ऐक्शन नहीं लिया गया है."
ग्रीन प्लैनेट सोसायटी, चंद्रपुर के अध्यक्ष, सुरेश चोपणे के अनुसार, इंसानों और जंगली जानवरों के बीच उपज ये टकराव जल्द ही इन संरक्षित जानवरों की आबादी के लिए खतरा बन सकता है. अपने बचाव या ग़ुस्से में लोग इन टाइगर या लेपर्ड को मार सकते हैं जो की इनकी प्रजाति के विलुप्त होने का कारण बन सकता है.
WWF और UNEP भी दे चुके हैं चेतावनी
WWF और UNEP की ताजा रिपोर्ट में भी भारत में इंसानों और जंगली जानवरों के टकराव के चलते नई चुनौतियों की चेतावनी दी गई है. रिपोर्ट के अनुसार, " भारत की जनसंख्या दुनिया में दूसरी सबसे ज्यादा है वहीं यहां दुनिया में सबसे ज्यादा टाइगर के साथ साथ एशियन एलिफ़ेंट, एक सिंग वाले गैंडे, एशियाटिक शेर और जंगली जानवरों की अन्य दुर्लभ प्रजातियों की भी बड़ी आबादी मौजूद है. इंसानों और जंगली जानवरों के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए भारत को जल्द से जल्द इस समस्या के उपाय खोजने होंगे."
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