नई दिल्ली: पानी की बर्बादी नहीं रुक रही है. सवा अरब की आबादी वाला हमारा देश जल संरक्षण को लेकर गंभीर नहीं है तभी तो देश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले अकेले मुंबई में ही वाहनों को धोने में हर रोज पचास लाख लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. पानी की बर्बादी में बड़े शहरों का योगदान अधिक है. यानि बड़े शहरों की तुलना में जल संरक्षण को लेकर गांवों में अधिक जागरूकता है.


देश में पानी की बर्बादी की कहानी हैरान करने वाली है. दिल्ली, मुंबई और चेन्नई आदि महानगरों में पाइप लाइनों में लीकेज जैसी दिक्क्तों के कारण प्रतिदिन 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है. पानी के महत्त्व को समझने के लिए हमें इजराइल से सीख लेने की जरुरत है. इजराइल में औसतन मात्र 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है, भारत की तुलना में बेहद छोटा, लेकिन यह देश इस वर्षा से इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है. वहीं भारत में औसतन 50 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है.



पानी को लेकर होने वाले अपराध हैरान करते हैं. पिछले 50 सालों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं. आज भी कई गांव में महिलाओं को पीने के पानी के लिए हरदिन औसतन चार मील पैदल चलना पड़ता है. सही तरह से संरक्षण और उचित प्रबंधन न होने से पानीजन्य रोगों से देश में हर वर्ष हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है.


पृथ्वी का 97 प्रतिशत पानी खारा है
आपको जानकार हैरानी होगी कि एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी पृथ्वी पर मौजूद है. जिसमे से 97.5 प्रतिशत पानी खारा है और यह समुद्र में है. शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ़ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है. इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है. इस एक प्रतिशत पानी का 60 वां हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है. बाकी का 40 वां हिस्सा पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं.हमारे यहां 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है.