दुनिया के सामने अगली महामारी अमेजन के वर्षा वन से आ सकती है. वैज्ञानिकों ने जंगलों की अंधाधुंध कटाई को लेकर चेताया है. उनका कहना है कि इससे जंगली जानवरों के रहने की जगह पर हमला हो रहा है. जिसका आने वाले दिनों में खतरनाक असर देखने को मिल सकता है.


पारिस्थितिकी तंत्र पर शोधकर्ताओं का कहना है कि शहरीकरण से जूनोटिक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. जूनोटिक बीमारी में जानवर बीमार नहीं होते बल्कि इंसानों को मरीज बनाने की क्षमता होती है. इसका मतलब ये हुआ कि संक्रमण जानवरों से इंसानों तक फैलेगा. जिसमें नया कोरोना वायरस भी शामिल है. जिसके बारे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि असल में ये इंसानों से पहले चमगाड़ में फैला. उसके बाद चीन के वुहान में संक्रमण ने विकराल रूप धारण कर लिया. मानव गतिविधि पर अध्ययन करने वाले ब्राजील के वैज्ञानिक डेविड लपोला कहते हैं, “इससे उष्णकटिबंधीय वन का भविष्य में पारिस्थितिकी असंतुलन का खतरा बढ़ गया है. जिसका असर अमेजन के जंगलों में नजर आ रहा है.”


उनका कहना है कि अमेजन का जंगल वायरस का भंडार है. दुनिया का सबसे बड़ा वर्षा वन खतरनाक स्तर तक तेजी से गायब हो रहा है. पिछले साल 10 हजार स्कवॉयर किलोमीटर से ज्यादा ब्राजील में अमेजन के जंगलों की कटाई देखी गई. इस साल भी यही रुजहान देखने को मिल रहा है.


जनवरी से अप्रैल तक 1202 स्कवॉयर किलोमीटर में जंगल साफ हो गए. ब्राजील के राष्ट्रीय आंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान के मुताबिक साल के चार महीनों में पहली बार कटाई का रिकॉर्ड बना है. वैज्ञानिकों के मुताबिक अमेजन के जंगलों की बेतहाशा कटाई ना सिर्फ धरती के लिए हानिकारक है बल्कि इंसानी स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह है. ब्राजील की कैंपिनस यूनिर्सिटी में पढ़ानेवाले लपोला का मानना है कि जब पारिस्थितिक असमानता होती है तब कोई वायरस जानवरों से इंसानों में प्रवेश कर जाता है. उनके मुताबिक ऐसा HIV, इबोला और डेंगू के मामलों में देखा जा चुका है. ये सभी सामने आए वायरस पारिस्थितिक असमानता के कारण बड़े पैमाने पर फैले. उनका कहना है कि अबतक बीमारी का प्रकोप दक्षिण एशिया और अफ्रीका महादेश में केंद्रित था. जिसका संबंध चमगादड़ों की विशेष प्रजाति से जोड़ा गया. मगर अमेजन की शानदार जैव विविधता क्षेत्र को दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना वायरस का ठिकाना बना सकती है. उनकी सलाह है कि समाज और वर्षा वन के बीच संबंध को फिर से गढ़ा जाए.


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