नई दिल्ली: सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का संबंध आर्थिक मोर्चे पर होने वाली गतिविधियों से तय होता है. मगर एक प्रतिष्ठित संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उसका संबंध जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से भी होता है. मैक्किंजे ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में 2030 तक भारत को 2.5 से 4.5 फीसदी तक GDP के नुकसान की आशंका जताई गई है.
मैक्किंजे ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट में खुलासा
मैक्किंजे ग्लोबल इंस्टीट्यूट (MGI) ने चेताया है कि एक दशक के अंदर जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारत की GDP प्रभावित हो सकती है. MGI ने अपने अध्ययन में खुलासा किया है कि 2030 तक भारत का तापमान ऊंचे स्तर तक पहुंच सकता है. जिसके कारण घातक गर्मी पड़ेगी. इसके प्रभाव से बचने के लिए बाहरी मजदूर अपने दिन के कामकाजी घंटों को कम करने पर मजबूर हो जाएंगे. MGI ने अनुमान लगाया है कि गर्म हवाओं के कारण 2030 तक दिन के काम के घंटों के अनुपात में भारत को 2.5 से 4.5 फीसदी तक GDP का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
2.5 से 4.5 फीसदी तक GDP के नुकसान की आशंका
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर जलवायु परिवर्तन की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया तो भारत के एक बड़े हिस्से में बाहर काम करने का माहौल अत्यधिक गर्म हो जाएगा. आद्रता और गर्मी से मुकाबला करना मजदूरों का मुश्किल हो जाएगा. ऐसी परिस्थिति में मजदूरों को काम के दौरान ज्यादा ब्रेक लेना पड़ेगा. इसके अलावा शहरी गरीबों पर भी इसका प्रभाव देखा जाएगा. जिसके कारण उत्पादन क्षमता में गिरावट आने से भारत को 2.5 से 4.5 फीसदी तक GDP के नुकसान की आशंका है. सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर खदान, खेती, यातायात और विनिर्माण होंगे.
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