कोरोना वायरस के कारण ना सिर्फ हम लॉकडाउन में हैं बल्कि सूरज भी लॉकडाउन अवधि में चला गया है. हमारा लॉकडाउन कोरोना वायरस के संक्रमण को रोककर जिंदगी बचाने के लिए है. जबकि सूरज का लॉकडाउन मौसम में ठंड, भूकंप और अकाल का कारण बन सकता है.


सूरज भी है लॉकडाउन की स्थिति में


वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्तमान में सूरज ‘सौर मिनिमम’ की स्थिति में है. इसका मतलब हुआ कि सूरज की सतह पर गतिविधियां बेहताशा कम हो गई हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि धूप में कमी के सबसे बड़े काल में हम दाखिल होने के करीब हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो सूरज में काले-धब्बे करीब-करीब गायब हो गए हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज के लॉकडाउन में चले जाने से 1790 और 1830 के बीच आफत भरा समय रहा था. उस वक्त के काल को डॉल्टन मिनिमम काल का नाम दिया गया था. उस दौरान जबरदस्त ठंड, अकाल और शक्तिशाली ज्वालामुखी की घटना सामने आयी थी. नासा के वैज्ञानिकों को आशंका है कि वर्तमान में सौर काला-स्याह की रिकॉर्डिंग कहीं पूर्ववर्ती समय की वापसी का तो नहीं है क्योंकि 2020 में भी सूरज सपाट हो चुका है.


जलवायु असंतुलन कहीं खतरे की निशानी तो नहीं!


द इंडिपेंडेंट की खबरके मुताबिक खगोलविद डॉक्टर टोनी फिलिप्स कहते हैं, “20 सालों में तापमान में करीब 2 डिग्री सेल्सियस की कमी दर्ज की जा चुकी है. इस दौरान जलवायु असंतुलन के चलते औसत वैश्विक तामपान में 0.4-0.7 डिग्री सेल्सियस तक की कमी हुई है. उसमें काले धब्बों के दिखाई देने में करीब 76 फीसद की कमी आई है." उनके मुताबिक सूरज का चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो चुका है. जिसके चलते सौर मंडल में अतिरिक्त ब्राह्मांडीय किरणें दाखिल हो रही हैं. ब्राह्मांडीय किरणों की ज्यादती स्वास्थ्य के लिए घातक होती है.


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