Patriarch Kiril: रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच जारी जंग के बीच यूरोपीय यूनियन (European Union) ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के करीबी समझे जाने वाले ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख पैट्रिआर्क किरिल (Patriarch Kiril) को अपने प्रतिबंधों की लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, किरिल को ड्राफ्ट ब्लैकलिस्ट में डाला गया है. जिसमें क्रेमलिन से संबंधित सैकड़ों वो लोग शामिल हैं जिन पर यूरोपीय संघ यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का समर्थन करने का आरोप लगाता है. यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित प्रतिबंधों में किरिल की संपत्ति को सील करना और उनकी यात्रा पर रोक लगाना शामिल है. 


किरिल पर प्रस्तावित प्रतिबंधों के जवाब में हंगरी ने रूस का समर्थन किया है. हंगरी के प्रधानमत्री विक्टर ओर्बन ने कहा कि उनका देश किरिल के खिलाफ प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करेगा, क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा मुद्दा है. पैट्रिआर्क किरिल ने यूक्रेन पर रूस के हमला का समर्थन किया था, जिसके बाद से वेटिकन के साथ उनके रिश्तों खटास आ गई. रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च ने 4 मई को पोप फ्रांसिस के उस बयान को लेकर चेतावनी दी थी जिसमें उन्होंने पुतिन और किरिल को लेकर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था.


रूसी रूढ़िवादी चर्च


रूसी रूढ़िवादी चर्च (Russian Orthodox Church), जिसे मॉस्को पैट्रिआर्कट के रूप में भी जाना जाता है, जिसके अनुयायियों की संख्या 100 मिलियन के आसपास है. ये पूर्वी रूढ़िवादी ईसाई चर्चों में सबसे बड़ा है. पैट्रिआर्क किरिल मॉस्को स्थित चर्च का नेता है. वह जॉर्जिया, यूक्रेन के अलावा सोवियत संघ के पूर्व गणराज्यों में रहने वाले सभी पूर्वी रूढ़िवादी ईसाइयों पर विशेष अधिकार होने का दावा करता है. तीन साल पहले जनवरी 2019 में, यूक्रेन में नए स्थापित रूढ़िवादी चर्च को दुनियाभर में रूढ़िवादी ईसाइयों के आध्यात्मिक प्रमुख द्वारा स्वतंत्रता प्रदान की गई थी, जो रूसी रूढ़िवादी चर्च से एक ऐतिहासिक विराम का संकेत देता है. 


आरओसी की जड़ें उत्तरी और पूर्वी यूरोप के एक राज्य, कीवन रस के समय से जुड़ी हुई हैं, जो 9वीं सदी के अंत से लेकर 13वीं शताब्दी की शुरुआत तक अस्तित्व में थी. जबकि 10वीं शताब्दी के मध्य तक एक संगठित ईसाई समुदाय पहले से ही यहां मौजूद था, व्लादिमीर  प्रथम (कीवन रस के शासक) को व्यापक रूप से धर्म का प्रचार करने का श्रेय दिया जाता है. रूस में रूढ़िवादी चर्च उस समय, दुनियाभर में रूढ़िवादी ईसाइयों के धार्मिक नेता, कॉन्स्टेंटिनोपल के अधीन था. उस समय रूस महानगर के चर्च के प्रमुख का निवास स्थान कीव में था, जिसकी गिनती उस इलाके के सबसे महत्वपूर्ण शहरों में की जाती थी. हालांकि, 1237 में मंगोल आक्रमण के बाद 14वीं शताब्दी तक इसे मास्को में स्थानांतरित कर दिया गया. 


पैट्रिआर्क किरिल ने किया युद्ध का समर्थन


साल 2009 से रोमन ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख रहे पैट्रिआर्क किरिल ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को समर्थन देने के संबंध में किए बयान दिए. किरिल लंबे समय से राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी भी रहे हैं, और उन्होंने अपने लंबे कार्यकाल को "भगवान का चमत्कार" बताया. किरिल ने अप्रैल में एक बयान के जरिए यूक्रेन पर रूस के हमले का समर्थन करते हुए कहा कि, भगवान इस कठिन समय में रूस के बाहरी और आंतरिक दुश्मनों को पीछे हटाने में मदद करें. किरिल ने यूक्रेन में युद्ध को एक तरह की आध्यात्मिक लड़ाई के रूप में चित्रित करने की मांग की है. यही नहीं पैट्रिआर्क ने रूसी सेना को अपने आर्शीवाद के तौर पर एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी को 'वर्जिन मैरी' का प्रतीक दिया. वह द्वितीय विश्व युद्ध में सोवियत संघ के हाथों नाजी सेना को मिली हार के अवसर पर 9 मई को रूस के वार्षिक 'विजय दिवस' समारोह में भी शिरकत की.  


रूढ़िवादी के भीतर विभाजन


किरिल के यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का समर्थन करने पर वेटिकन और रूढ़िवादी समुदायों ने उनकी कड़ी निंदा की है. जबकि, द न्ययॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मताबिक यूक्रेन (Ukraine) में ऐसे 45 में से 22 सूबे जो यूक्रेन में रूढ़िवादी उपासक जो विभाजन के बावजूद रूसी चर्च का पालन करते हैं उन्होंने अपनी प्रार्थना में किरिल को याद नहीं करते. फादर प्लुज़्निक, जिन्होंने रूसी आक्रमण के दौरान अपने घर से भागकर अब पश्चिमी यूक्रेन के चेर्नित्सि शहर में पनाह ली, उन्होंने ने बीबीसी को बताया कि वह रूसी चर्च के कार्यों से "हैरान" थे. फादर प्लुज़्निक ने कहा कि उन्होंने अब आरओसी छोड़ दिया है और यूक्रेनी ऑर्थोडॉक्स चर्च में शामिल होने के लिए आवेदन किया है.


यदि किरिल पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो यह 100 मिलियन से अधिक अनुयायियों वाले धार्मिक नेता के खिलाफ बड़ी कार्रवाई होगी. पश्चिमी ताकतों द्वारा हाल की के दिनों में इसी प्रकार का प्रतिबंध ईरान (Iran) के सबसे बड़े नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पर भी लगाया गया था. अयातुल्ला अली पर ये प्रतिबंध जून 2019 में ईरानी सेना द्वारा एक अमेरिकी ड्रोन (Amerian Drone) को मार गिराए जाने के बाद लगाया गया था. अमेरिका ईरान की इस हरकत से इतना नाराज हुआ कि उसने ईरान के सर्वोच्च नेता पर कार्रवाई करते हुए उनकी अमेरिका यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया. 


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