भारतीय नौसेना और डीआरडीओ की एक टीम ने 16 जून 2023 को भारत में बना पहला स्वदेशी मानव रहित ड्रोन तापस (TAPAS UAV) के कमांड और नियंत्रण क्षमताओं का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया.
यह प्रदर्शन कारवार नौसैनिक अड्डे ( Karwar Naval Base) से 148 किमी दूर ग्राउंड स्टेशन पर किया गया, जहां यह ड्रोन 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में कामयाब रही. अब इस स्वदेशी ड्रोन का इस्तेमाल सीमाओं पर निगरानी रखने के साथ साथ दुश्मनों पर हमला करने के लिए भी किया जा सकता है.
इस ड्रोन को बनाने की शुरुआत साल 2016 से ही कर दी गई थी. हालांकि, इसे अभी तक भारतीय सेना में शामिल नहीं किया गया है. माना जा रहा है कि इस उड़ान के बाद ये भारतीय सेना में जल्द शामिल हो जाएगा.
तापस BH 201 ड्रोन एक अटैकिंग ड्रोन है, जो लगभग 350 किलोग्राम का वजन लेकर उड़ान भर सकता है. इस ड्रोन की लंबाई 9.5 मीटर है और इसके विंग्स की चौड़ाई 20.6 मीटर है.
तापस ड्रोन का वजन 1800 किलो ग्राम है और इसके विंग्स पर 2 एनपीओ सैटर्न 36टी टर्बोप्रॉप इंजन लगाया गया है. यह दोनों ही इंजन 200 हॉर्स पावर की ताकत दे सकता है.
भारतीय नेवी के लिए क्यों है ये जरूरी?
पहला स्वदेशी ड्रोन तापस के खूबियों की बात करें, तो ड्रोन 28 हजार फीट की ऊंचाई पर 18 घंटे से ज्यादा तक उड़ान भर सकता है. यह एक मीडियम एल्टीट्यूट लॉन्ग-इंड्यूरेंस (MALE) ड्रोन है, जो अमेरिका के MQ-1 प्रीडेटर ड्रोन जैसा ही है.
इस ड्रोन को भारतीय सशस्त्र बलों के लिए खुफिया, निगरानी, टोही मिशन को अंजाम देने के लिए डिजाइन किया गया है. अपने मिशन के दौरान यह ड्रोन अपने छोटे लक्ष्यों की पहचान करके उसे मार गिराने में सक्षम है.
तापस अपने आप ही टेक ऑफ और लैंड करने की क्षमता रखने वाला ड्रोन है. इस ड्रोन को पहले रुस्तम-2 के नाम से पुकारा जाता था. जिसकी अधिकतम रफ्तार 224 किलोमीटर प्रति घंटा थी. 20.6 मीटर के विंग स्पैन वाला तापस ड्रोन लगातार 1000 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है. तापस ड्रोन दिन और रात दोनों में ही निगरानी के लिए इस्तेमाल हो सकता है.
इस ड्रोन में किस इंजन का इस्तेमाल किया गया है
भारत के पहले स्वदेशी ड्रोन यानी तापस में व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ( VRDE) के बनाए गए स्वदेशी इंजन का इस्तेमाल किया गया है. यह इंजन ड्रोन को 130 किलोवाट या 180 हॉर्स पावर की ताकत देता है.
भारत को प्रीडेटर ड्रोन की जरूरत क्यों
फिलहाल भारत को सबसे ज्यादा खतरा चीन से ही है. भारत के पड़ोसी देश चीन के पास विंग लॉन्ग-2 ड्रोन है, जो न सिर्फ रेकी बल्कि हमला भी कर सकता है. यही वजह है कि भारतीय नौसेना को अमेरिकी ड्रोन को प्रीडेटर की तत्काल जरूरत है. रिपोर्ट की मानें तो पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान एमक्यू-1 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने पर समझौता हो सकता है.
कितना ताकतवर है विंग लॉन्ग-2 ड्रोन
- विंग लॉन्ग-2 ड्रोन, विंग लॉन्ग 1 मानवरहित ड्रोन का अपडेटेड वर्जन है.
- इस ड्रोन को चेंगदू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री (ग्रुप) कंपनी ने बनाया है.
- विंग लूंग 2 ड्रोन लंबे समय तक आसमान में रह सकता है.
- ये ड्रोन 1100 किग्रा तक के वजन के साथ उड़ान भर सकता है.
- विंग लॉन्ग ड्रोन 200 किग्रा तक अतिरिक्त वजन यानी विस्फोटक ले जा सकता है.
अब जानते हैं दुनिया में सबसे लंबी रेंज वाले ड्रोन के बारे में
शहीद-136 ड्रोन: यह ड्रोन रूस यूक्रेन के बीच युद्ध के दौरान काफी चर्चा में आ गया था. यूक्रेन ने आरोप लगाया था कि रूस ईरानी निर्मित शहीद-136 मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) का इस्तेमाल यूक्रेनी क्षेत्र के अंदर लक्ष्य पर हमला करने के लिए कर रहा है.
शहीद-136 यूएवी को 'कामिकेज़' ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है. इस एक ड्रोन की कीमत 20 हजार डॉलर है. यह ड्रोन 11 फीट लंबे और 200 किग्रा वजनी है और करीब 40 किग्रा वजन लेकर उड़ान भर सकता है.
यह ड्रोन कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ड्रोन टारगेट मिलते ही अपने लक्ष्य के करीब पहुंच जाता है और अपनी पूरी क्षमता से अपने लक्ष्य को निशाना बनाता है. इसके अलावा ईरानी ड्रोन शाहिद-136 का निशाना अचूक है यानी यह ड्रोन अपने टारगेट से कभी नहीं भटकता.