'स्पेक्ट्रम आत्मा की तरह है...अजर है...अमर है..जैसे कि श्रीमदभावद गीता में बताया गया है...आत्मा की स्पेक्ट्रम का भी कोई भौतिक रूप नहीं होता है लेकिन आज कल हर जगह मौजूद है...'


इंडियन टेलीकम्युनिकेश बिल 2022 के ड्राफ्ट लेकर सरकार की ओर से जारी विवरण में लिखीं ये पंक्तियां आपको थोड़ा हैरत में डाल सकती हैं. लेकिन इस ड्राफ्ट में आगे की बातें आपको झटका दे सकती हैं. 


क्योंकि इस ड्राफ्ट में टेलीकम्युनिकेशन के सेवाओं और नेटवर्क देने वाली कंपनियों के लिए लाइसेंस जारी करने की बात कही जा रही है. टेलीकम्युनिकेशन में मोबाइल टेलीकॉम सेवाएं देनी वाली कंपनियां आती हैं. जिनमें वाट्सएप और ओटीटी भी शामिल किया जा सकता है 


अभी तक आपको वाट्सएप के जरिए कॉल करने पर सिर्फ डाटा खर्च करना पड़ता था.लेकिन अगर वाट्सएप जैसी कंपनियों को भारत में सेवाएं जारी रखने के लिए लाइसेंस के लिए भारी-भरकम फीस चुकानी पड़े तो हो सकता है कि इस फीस की भरपाई कंपनियां आपकी जेब से करें और वाट्सएप कॉलिंग पर भी चार्ज लगना शुरू हो जाए. हालांकि इस विवरण नोट में भी ये भी लिखा है कि ये अभी लोगों की सलाह से तैयार किया गया है और इसे ड्राफ्ट का हिस्सा न  माना जाए. 


बिल के ड्राफ्ट में लिखा गया है कि वैश्विक स्तर पर स्थापित सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए स्पेक्ट्रम, टेलीकम्युनिकेशन सेवाएं, नेटवर्क और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए ये नियम तैयार किए गए हैं.  बिल में 3 बातें मुख्य तौर पर लिखी गई हैं.


 





    • टेलीकम्युनिकेशन सर्विस और नेटवर्क लिए लाइसेंस लेना होगा.

    • टेलीकम्युनिकेशन के क्षेत्र में किसी भी तरह का इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा.

    • वायरलेस उपकरणों और स्पेक्ट्रम के लिए सरकार से अधिकार पत्र लेना होगा.

    • इस नोट में जानकारी दी गई है कि बिल के ड्राफ्ट को तैयार करने वक्त आस्ट्रेलिया, जापान, यूके, अमेरिका जैसे देशों में टेलीकम्युनिकेशन के क्षेत्र में तैयार किए गए नियम-कानून की भी जांच की गई है.




टेलीकम्युनिकेशन सेवाएं क्या हैं?
ड्राफ्ट के मुताबिक टेलीकम्युनिकेश सेवाओं में ब्रॉडकास्ट, इलेक्ट्ऱॉनिक मेल, वाइसमेल, वीडियो और डाटा कम्युनिकेशन, ब्रॉडबैंड सेवाएं, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, इंटरनेट आधारित कम्युनिकेशन सेवाएं, मैरीटाइम कनेक्टिविटी, मशीन टू मशीन कम्युनिकेशन, ओवर-द-टॉप यानी ओटीटी कम्युनिकेश सेवाएं शामिल की गई हैं.


क्या टेलीकम्युनिकेश नेटवर्क?
बिल के ड्रॉफ्ट के मुताबिक टेलीकम्युनिकेशन में इस्तेमाल किए सिस्टम या उपकरण, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सैटेलाइट नेटवर्क, सबमैरीन नेटवर्क शामिल हैं.


टेलीकम्युनिकेश बिल 2022 के संभावित ड्राफ्ट की मुख्य बातें





    • टेलीकम्युनिकेश सेवाएं और नेटवर्क प्रदान करने वाली कंपनियों को लाइसेंस लेना होगा. पहले से इस सेक्टर में काम कर रहीं कंपनियों के काम में कोई रुकावट नहीं होगी और जो मौजूदा कानून के मुताबिक उनका ऑपरेशन चलता रहेगा जब तक कि वह नए कानून के दायरे में नहीं आ जाती हैं. 

    • इस सेक्टर में इन्फ्रास्ट्रक्चर देने वाली कंपनियों को सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इनको लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इन्फ्रास्ट्रक्चर में लाइन्स, पोस्ट, टॉवर, केबल, इलेक्ट्रिकल और मकैनिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी चीजें शामिल हैं.

    • वायरलेस सेवाओं के लिए भी सरकार से अधिकार-पत्र लेना होगा. इनमें जैमर, ट्रांसमीशन जैसी उपकरण शामिल हैं.

    • जैमर जिसके इस्तेमाल से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है क्योंकि इसके जरिए टेलीकम्युनिकेशन को रोका जा सकता है, का इस्तेमाल प्रतिबंधित है. इसका इस्तेमाल सिर्फ केंद्र सरकार की इजाजत से ही सकेगा.

    • ड्राफ्ट के विवरण नोट में लिखा गया है कि लाइसेंस जारी करने में, रजिस्ट्रेशन, अधिकार पत्र और पेमेंट को लेकर नियम बनाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा.




यूजर के लिए क्या है
ड्रॉफ्ट के मुताबिक इसमें उपभोक्ताओं के हितों और सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है. बिल में कहा गया है कि न सिर्फ कॉल बल्कि फेस रीडिंग, जूम कॉल,  वॉट्सऐप कॉल, फेसटाइम के जरिए होने वाले फ्रॉड से बचाने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. ड्राफ्ट के मुताबिक उपभोक्ता को यह जानने का अधिकार है कि वो किससे बात कर रहा है. 


ड्राफ्ट के मुताबिक  टेलीकॉम सेवाएं देने वाले प्रोवाइडर को का KYC होना जरूरी होगा. जितने भी कॉलिंग सेवाएं देने वाले प्लेटफॉर्म हैं उन सभी का केवाईसी किया जाएगा.


उपभोक्ताओं की प्राइवेसी का भी इस बिल के ड्राफ्ट में ध्यान रखा गया है. डू नॉट डिस्टर्ब जैसी सुविधाएं चालू करने के बाद भी लगातार इनका उल्लंघन होता है. इसके लिए कानूनी प्रावधान भी जोड़ा गया है.