भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर 24 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने चीन को आतंकवाद के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया. जयशंकर ने कहा, "जो भी देश घोषित आतंकवादियों की रक्षा करने के लिए यूएनएससी 1267 प्रतिबंध शासन का राजनीतिकरण करते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा करते हैं." बता दें, चीन अपने वीटो विशेषाधिकार का इस्तेमाल करके अक्सर खूंखार आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र की ब्लैक लिस्ट में शामिल करवाने के भारत के प्रयास में टांग अड़ाता रहता है. 


एस जयशंकर यही नहीं रुके उन्होंने चीन के साथ में पाकिस्तान को भी आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा. जयशंकर ने इशारों में कहा, संयुक्त राष्ट्र में घोषित आतंकवादियों का बचाव करने वाले देश न तो अपने हितों और न ही अपनी प्रतिष्ठा को ध्यान में रख रहे हैं. उन्होंने कहा, कभी-कभी घोषित आतंकवादियों का बचाव करने की हद तक यूएनएससी 1267 प्रतिबंध व्यवस्था का जो राजनीतिकरण करते हैं, वे अपने जोखिम पर ऐसा कर रहे हैं.


खून के धब्बे नहीं ढक सकती
जयशंकर ने कहा कि कोई भी टिप्पणी चाहे किसी भी मंशा से क्यों न की गई हो, कभी भी खून के धब्बे नहीं ढक सकती. विदेश मंत्री ने कहा, "दशकों से सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतता रहा भारत 'जीरो टॉलरेंस' के दृष्टिकोण की दृढ़ता से वकालत करता है. हमारे विचार में आतंकवाद के किसी भी कृत्य को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता है. कोई भी टिप्पणी, चाहे वह किसी भी मंशा से क्यों न की गई हो, कभी भी खून के धब्बे को ढक नहीं सकती."


बता दें कि विदेश मंत्री का यह पाकिस्तान और उसके सदाबहार सहयोगी चीन के खिलाफ परोक्ष रूप से जोरदार हमला था, जिसने कई मौकों पर भारत और उसके सहयोगियों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 1267 प्रतिबंध के दायरे में पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को लाये जाने के प्रस्तावों और कोशिशों को रोकने का प्रयास किया है. 


चीन ने किया था विरोध
इस महीने, चीन ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र में पेश किए गए और भारत द्वारा सह-समर्थित एक प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी. मीर 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले मामले में वांछित है. इसके अलावा इस साल जून में, चीन ने भारत और अमेरिका के एक प्रस्ताव को आखिरी क्षणों में रोक दिया था. यह प्रस्ताव पाकिस्तान में मौजूद आतंकी अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने के लिए लाया गया था.


मायने रखती है यूएन में भाषण
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में ऐसे समय में बयान दिया है जब चीन से सीमा विवाद को लेकर बातचीत की जा रही है. डोकलाम सीमा विवाद के बाद लद्दाख में गतिरोध को लेकर दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ चुकी हैं. वहीं ताशकंद में एससीओ बैठक में जब द्विपक्षीय व्यापार भारत-चीन ने आपसी व्यापार को बढ़ाने पर जोर दिया तो भारत ने पहने सीमा से गतिरोध खत्म करने पर बल दिया. इसके साथ ही आतंकवाद के खात्में पर भी साथ आने को कहा. लेकिन चीन की चालबाजियों को देखते हुए यूएन में भारत ने चीन का काला सच बाहर लाकर रख दिया.   


वहीं, आतंकवाद के मसले पर संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बगैर कोई कारण बताये किसी चीज को बाधित करना व्यावहारिक और संवेदनशील बर्ताव नहीं है. विदेश मंत्री यही नहीं रुके, उन्होंने चीन को लेकर कहा, "हमारा मानना है कि अगर किसी प्रक्रिया में कोई पक्ष फैसला करता है तो उसे इस बारे में पारदर्शी होने की जरूरत है. ऐसे में, बिना कारण बताए किसी चीज को बाधित करना व्यावहारिक और संवेदनशील बर्ताव नहीं है."


ब्रिक्स देशों के सामने उठाया मुद्दा
वहीं, यूएन की बैठक में एस जयशंकर कई देशों के अपने समकक्षों के साथ शामिल हुए थे. जयशंकर समकक्षों से मिलने के बाद कहा, "यह मुद्दा मेरी कई बैठकों में उठा है. मैंने ब्रिक्स देशों के साथ बैठक में भी इसका उल्लेख किया था." उन्होंने यह बात संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर भी ब्रिक्स के सदस्यों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका-के विदेश मंत्रियों की बैठक का संदर्भ देते हुए कहा.


इस बैठक में जयशंकर के अलावा ब्राजील के विदेश मंत्री कार्लोस अल्बर्टो फ्रैंको फ्रांका, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और दक्षिण अफ्रीका के अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं सहयोग मामलों के मंत्री नलैदी पैंडर शामिल हुए थे. 


गौरतलब है कि पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले वाले आतंकवादियों को सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 अलकायदा प्रतिबंध सूची में शामिल कराने के भारत, अमेरिका और अन्य देशों के प्रयास को यूएनएससी में वीटो अधिकार रखने वाले देश चीन ने कई बार बाधित किया है.


भारत ने इशारों में चेताया
जयशंकर ने चीन और पाकिस्तान दोनों ही देशों को लेकर कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि कारण बताया जाएगा और लोग मनमाने तरीके से या राजनतिक रूप से बाधा नहीं डालेंगे. उन्होंने कहा कि कहने का मतलब यह है कि यह कोई अंतर-राज्यीय राजनीति नहीं है जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं." उन्होंने कहा, "हम अपना यह स्पष्ट संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं आतंकवाद राजनीतिक नहीं है. इसका इस्तेमाल राजनीतिक औजार के रूप में नहीं किया जाना चाहिए, इसके परिणाम राजनीतिक नहीं बनाये जाने चाहिए."


उन्होंने कहा, "अगर आप संयुक्त राष्ट्र में जाएंगे और कहेंगे कि क्या हर कोई आतंकवाद को साझा खतरा मानता है, प्रत्येक व्यक्ति इसका 'हां' में जवाब देगा. इसलिए हम भी यह कह रहे हैं." विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सीधे तौर पर किसी भी देश का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने दोनों पड़ोसी देशों को कठघरे में खड़ा कर दिया.