Alliance Theory: ब्रह्मांड में पृथ्वी जैसे दर्जनों ग्रह लगा रहे चक्कर, तो क्या सच है एलियन्स की थ्योरी?
Milky Way Galaxy यानी आकाशगंगा में वैज्ञानिकों ने ऐसे कई ग्रहों की खोज की है जो आकार में पृथ्वी से 10 गुणा तक विशाल हैं और जिन पर जीवन बसे होने की संबावना है.
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Earth Exoplanets In Milky Way Galaxy: फिल्मों में एलियन्स (Extra Terrestrial) को देखकर हम अक्सर रोमांचित हो उठते हैं. कई बार तो मन इस उम्मीद से भर जाता है कि कहीं सच में सौरमंडल में दूर किसी ग्रह पर एलियन्स (Aliens) तो नहीं बसते? फिर यह सोचते हैं कि फिल्मों में दिखायी जाने वाली बातें केवल काल्पनिक हैं और इसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं होगा.
अगर हम आपको यह बताएं कि आपकी कल्पना किसी दिन सच भी साबित हो सकती है, तो आप क्या कहेंगे? दरअसल, वैज्ञानिकों ने सौरमंडल में करीब दर्जन भर ऐसे ग्रहों की खोज की है जो आकार में पृथ्वी से 10 गुणा अधिक विशाल हैं. इन्हें सुपर अर्थ कहते हैं. इन ग्रहों की तुलना पृथ्वी से इसलिए की जा रही है क्योंकि इनके वातावरण में ऐसे तरल पदार्थ और गैस पाए गए हैं जिनसे वहां जीवों के होने की संभावना को बल मिलता है.
सुपर अर्थ से जुड़े 5 रोचक तथ्य-
वैज्ञानिक लगातर साक्ष्य इकट्ठा करने में जुटे हैं कि क्या वाकयी ब्रह्मांड में ऐसे ग्रह हैं जहां पृथ्वी जैसा जीवन संभव है. अभी तक की खोज में इन ग्रहों यानी सुपर अर्थ के बारे में कई रोचक बातें सामने आई हैं-
- पृथ्वी की तरह सुपर अर्थ भी किसी न किसी सितारे के चारों तरफ चक्कर लगा रहे हैं. कुछ को एक चक्कर पूरा करने में मात्र 2.4 दिन लगते हैं. वहीं हमारी धरती को सूरज का एक चक्कर पूरा करने में 365 दिन लग जाते हैं.
- पहली बार 1992 में सुपर अर्थ की खोज सामने आई थी. इस ग्रह का नाम PSR B1257+12 है और यह हमारी पृथ्वी से करीब चार गुणा बड़ा है.
- नासा के स्पिटजर स्पेस टेलीस्कोप ने साल 2016 में सुपर अर्थ का पहला टेम्प्पेचर मैप तैयार किया और पाया कि इस ग्रह के एक छोर पर लावा की वजह से बहुत गर्मी है, तो वहीं दूसरी छोर पर सब फ्रीज है.
- वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इन ग्रहों पर पेड़-पौधे भेजे गए तो उनके जित रहने की प्रबल संभावना है. हालांकि एलियन्स की मौजूदगी पर फिलहाल कोई ठोस दावा नहीं किया गया है.
- सुपर अर्थ का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक ट्रांसिट मेथड का सहारा लेते हैं. इस प्रक्रिया में जब एक ग्रह किसी तारे के आगे से गुजरता है तो तारे की रौशनी से ग्रह चमक उठता है. स्पेस के दूरबीन इसी रौशनी के उतार-चढ़ाव कोमाप कर उस ग्रह के आकार, गति और वायुमंडल की संरचना विकसित करते हैं.
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