Turkiye-Syria Earthquake: NDRF के डॉग तुर्किए में मलबे में फंसे लोगों के लिए बने फरिश्ते, मशीनों को छोड़ा पीछे
Turkiye-Syria Earthquake News: तुर्किए भूकंप में जिंदा बचे लोगों की तलाश में भारत की नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के डॉग्स कमाल कर रहे हैं. मलबे में लोगों की तलाश में ये मशीनों को भी मात दे रहे हैं.
Dogs Tale Of NDRF In Turkiye-Syria Earthquake: भूकंप प्रभावित तुर्किए में तैनात नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स - एनडीआरएफ (National Disaster Response Force-NDRF) के 6 डॉग मलबे के नीचे फंसे लोगों की तलाश में ‘‘बेहद प्रभावी’’ साबित हुए हैं. इतना ही नहीं, अन्य देशों की टीम ने भी इन डॉग्स की सेवाएं ली हैं.
एनडीआरएफ के अधिकारियों ने मंगलवार (14 फरवरी) को यह जानकारी दी. एनडीआरएफ अपनी दो टीम को गाजियांटेप से तुर्किए के भूमध्यसागरीय तट स्थित हाते भेजने की प्रक्रिया में है क्योंकि गाजियांटेप में मलबे में दबे लोगों के अब जीवित बचे होने की संभावना लगभग न के बराबर है. एनडीआरएफ की तीसरी टीम पहले से ही हाते में है.
Meet Roxy, a sniffer dog of the @NDRFHQ team deployed in Antakya, a city worst affected in the #TurkeyQuake. Roxy is working tirelessly in the rubbled sites and looking for live victims. A true a messenger of hope! pic.twitter.com/gSFnoHitLu
— Pranay Upadhyaya (@JournoPranay) February 11, 2023
एनडीआरएफ के डॉग बने फरिश्ते
तुर्किए और पड़ोसी सीरिया में 6 फरवरी को आए 7.8 तीव्रता के भीषण भूकंप ने 40,000 से अधिक लोगों की जान ले ली है और बचावकर्ताओं को डर है कि मरने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है, क्योंकि चमत्कारों के बावजूद जीवन की उम्मीद तेजी से फीकी पड़ रही है.
एनडीआरएफ के कमांडिंग ऑफिसर गुरमिंदर सिंह (Gurminder Singh) ने बताया, "तुर्किए ऑपरेशन के दौरान हमारे प्रशिक्षित डॉग बहुत प्रभावी साबित हुए हैं. किसी को मलबे से बचाने के तीन तरीके होते हैं- भौतिक तरीके से या मानवीय साधनों के माध्यम से, उपकरण के माध्यम से तकनीकी खोज और प्रशिक्षित डॉग के सहयोग से."
गुरमिंदर सिंह ने तुर्किए के गाजियांटेप प्रांत के नूरदागी से फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, 'हमने पाया कि तकनीकी उपकरण, भारी मशीनरी, लाइफ डिटेक्टर और भूकंपीय सेंसर जान बचाने में उतने कारगर साबित नहीं हुए हैं, जहां कई इमारतें भूकंप के कारण ध्वस्त हो गयी हैं और चारों ओर अराजकता है.'
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे प्रशिक्षित डॉग को संभालना काफी आसान है और वे आक्रामक नहीं होते हैं. डॉग ने इस ऑपरेशन के दौरान अपने प्रशिक्षण से सब कुछ साबित कर दिया है और हमारे बचाव दल को उन विशिष्ट क्षेत्रों की तलाश में मदद की है जहां जीवन बचे होने की उम्मीद हो सकती है.
'5 महिलाकर्मी पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम'
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ के डॉग दस्तों और उनके संचालकों को तुर्किए अग्निशमन विभाग की बचाव टीम को सहायता प्रदान करने के लिए उपलब्ध कराया गया था और इनके बारे में कहा जाता है कि एनडीआरएफ के डॉग दस्तों की मदद से 'एक या दो जीवित पीड़ितों' को बचाया जा सका.
कमांडेंट सिंह ने कहा कि अपने अंतरराष्ट्रीय अभियान पर पहली बार गयी बल की पांच महिलाकर्मी अपने पुरुष समकक्षों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं और उन्होंने कुछ स्थानों पर प्रभावित महिलाओं की सहायता की है. अधिकारियों ने बताया कि एनडीआरएफ की तीनों टीम 16-17 फरवरी तक लौट सकती हैं क्योंकि मलबे में दबे लोगों को खोजने का काम लगभग पूरा हो चुका है, हालांकि अंतिम निर्णय तुर्की के अधिकारियों द्वारा लिया जाएगा और राजनयिक चैनल के माध्यम से भारत सरकार को सूचित किया जाएगा.