पावर और पैसे से सत्ता बदलने वाले जॉर्ज सोरोस की नजर क्या अब भारत पर है? जानिए अराजकता के एजेंट की कहानी
जॉर्ज सोरोस को यूरोप और अमेरिका का एक बड़ा वर्ग दुनिया का सबसे बुरा और गद्दार इंसान मानता है. सोरोस पर अपने यहूदियों साथियों के पैसे हड़पने और नाजियों की मदद आरोप भी लगते रहे हैं.
अमेरीका के अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस ने दावोस में चल रही वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. जॉर्ज सोरोस ने कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्रवादी देश बनाया जा रहा है. सोरोस ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से गौतम अडानी मामले पर जवाब देने का भी जिक्र किया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से पहले दिए गए अपने भाषण में सोरेस ने पीएम मोदी और अडानी को एक-दूसरे का करीबी बताया.
जॉर्ज सोरोस कौन हैं?
जॉर्ज सोरोस को बिजनेस की दुनिया में सबसे कामयाब निवेशक माना जाता है. हंगरी में जन्में अमेरिकी निवेशक सोरोस को सोरोस फंड मैनेजमेंट के संस्थापक और अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा जॉर्ज सोरोस को राजनीतिक सक्रियता के लिए भी जाना जाता है. सोरोस को 'अराजकता का एजेंट' भी कहा जाता है, दूसरी तरफ उन्हें "एक परोपकारी इंसान " भी माना जाता है.
सबसे पहले बात सोरोस के अच्छे कामों की
जॉर्ज सोरोस ने अपने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के जरिए अरबों डॉलर का दान दिया है. ऐसे में जॉर्ज का नाम दुनिया भर में लोकतंत्र, मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने वालों की लिस्ट में शुमार किया जाता है. जॉर्ज की कुल संपत्ति लगभग 8.5 बिलियन डॉलर है.
झूठी पहचान के साथ किया पलायन
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब नाजियों ने हंगरी पर आक्रमण किया, तो सोरोस और उनके परिवार ने खुद को ईसाई बताया और झूठी पहचान के साथ पलायन किया. सोरोस 1947 में यूनाइटेड किंगडम में आ गए. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई पूरी करने के बाद एक निवेश बैंकर के रूप में नौकरी की शुरूआत की.
1956 में, सोरोस न्यूयॉर्क चले गए, जहां उन्होंने वॉल स्ट्रीट में कई पदों पर काम किया. सोरोस ने 1960 के दशक के अंत में क्वांटम फंड की स्थापना की, द गार्जियन के मुताबिक क्वांटम फंड "अब तक के सबसे सफल हेज फंडों में से एक" है.
सोरोस को लेकर ताजा विवाद क्या है
इस सप्ताह की शुरुआत में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए सोरोस ने अडानी और भारत सरकार के एक दूसरे से जुड़े हुए होने को लेकर तीखी टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “मोदी और बिजनेस टाइकून अडानी करीबी सहयोगी हैं. दोनों की किस्मत एक दूसरे से जुड़ी है.
बता दें कि अडानी पर स्टॉक मैनिपुलेशन का आरोप है और हालिया दिनों में अडानी के स्टॉक में गिरावट दर्ज की गई. सोरोस ने कहा कि मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों के सवालों का और संसद में भी सवालों का जवाब देना होगा.
पैसों के दम पर जेल से बाहर रहने वाले राजा की कहानी
पिछले कुछ सालों में सोरोस का नाम कई राजनीतिक विवादों से जुड़ा. 2011 के एक इन्वेस्टर्स बिजनेस डेली के संपादकीय में ये कहा गया था "पैसा ही वह सब कुछ है जिसकी बदौलत सोरोस अब तक जेल से बाहर हैं. 1992 तक ब्रिटेन में सोरोस को "द मैन हू ब्रेक्ड द बैंक ऑफ इंग्लैंड" के नाम से जाना जाता था.
साल 1992 का ही दौर था जब सोरोस ने इंगलैंड के बैंको से किसी सट्टेबाज की तरह पाउंड उधार लिया और फिर उन्हें बेच दिया. जिससे मुद्रा बाजारों में इंगलैंड के पैसे की कीमत गिर गई, और ब्रिटेन यूरोपीय विनिमय दर तंत्र से बाहर हो गया. इससे सोरोस के क्वांटम फंड ने 1 अरब डॉलर कमाए.
यहूदियों के पैसे हड़पने के आरोप लगे
द वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक सोरोस पर अपने यहूदियों साथी के पैसे हड़पने और नाजियों की मदद आरोप भी लगते रहे हैं. अभिनेता रोसने बर्र ने 2018 में ट्वीट किया था कि जॉर्ज सोरोस एक नाज़ी है, जिसने अपने ही साथियों की सपंत्ती चुरा ली. इसे सोरोस की अब तक की सबसे घिनौना साजिश भी माना जाता है. हालांकि, द वाशिंगटन पोस्ट में ही , सोरोस ने कहा था कि उन्होंने कभी भी यहूदियों से संपत्ति जब्त नहीं की या नाजियों पर दांव नहीं लगाया.
लोगों को प्रोटेस्ट करने के लिए पैसे देते हैं सोरोस ?
2018 में, रेसेप तैयप एर्दोगन ने दावा किया कि सोरोस कार्यकर्ता उस्मान कवला का समर्थन कर रहे थे, जिसे तुर्की के राष्ट्रपति ने 2013 के गीज़ी पार्क विरोध के लिए दोषी ठहराया था. उस वक्त राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा था कि " सोरोस के पास इतना पैसा है और वह इसे इस तरह खर्च करते हैं ". 2020 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी ये दावा किया था कि सोरोस एंटीफा या फासीवाद-विरोधी” प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन करने के लिए पैसे देते हैं.
अराजकता का एजेंट
2016 के के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों कई चुनावों में जॉर्ज सोरोस पर 'सत्ता-परिवर्तन' के प्रयासों के इल्जाम लगते रहे हैं. DCLeaks ने ये साबित किया कि सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन की तरफ से ओएसएफ को हिलेरी क्लिंटन के अभियानों को बढ़ाने और उनके पक्ष में प्रदर्नशनकारियों को बढ़ावा देने के लिए कई मेल भेजे गए थे.
बता दें कि DCLeaks एक हैकिंग एजेंसी है. इन मेल्स में लाखों डॉलर खर्च करने की बात थी. सोरोस हिलेरी के अकेले सबसे बड़े दानकर्ता थे. ये भी बताया गया कि सोरोस ने हिलेरी के अभियानों के लिए 30 मिलियन का भुगतान किया.
1992 में जॉर्ज सोरोस के क्वांटम फंड बैंक ऑफ इंग्लैंड पर लगाया गया दाव सबसे मशहूर बिजनेस माना जाता है. इसके अलावा जॉर्ज सोरोस 1997 में थाईलैंड के वित्तीय संकट को रोकने की जिम्मेदारी ली. बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोरोस ने [थाई मुद्रा] बाहत (BAHT) के मुकाबले 12 बिलियन के कुल वॉर चेस्ट में से 1 बिलियन से कम का दांव लगाया था.
सोरोस ने खुद टिप्पणी की थी कि "जनवरी 1997 में थाई बाहत को कम दाम में बेचकर, मेरी निवेश कंपनी क्वांटम फंड ने बाजार को एक संकेत भेजा था कि बाहत का मूल्य बढ़ सकता है. लेकिन ऐसा नही हुआ, और कुछ दिनों बाद ही अधिकारियों ने बाहत में और गिरावट की जानकारी दी, ये थाइलैंड के लिए विनाशकारी साबित हुआ. नतिजनत बैंक ऑफ थाईलैंड भी बैंक ऑफ इंगलैंड की तरह ही टूट गया, ये सौदा भी सोरोस के लिए मुनाफे का साबित हुआ.
स्पुतनिक न्यूज के मुताबिक 2016 में, DCLeaks की तरफ से लीक किए गए OSF ईमेल ने यह भी दिखाया कि कैसे जॉर्ज सोरोस ने 'पुतिन को बाहर करने और रूस को अस्थिर करने' की कोशिश की.
सोरोस अलग-अलग लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों का समर्थन करने में भी शामिल रहे हैं, जैसे शीत युद्ध के दौरान पूर्वी यूरोप में और हाल ही में अरब स्प्रिंग के दौरान सोरोस का नाम बार बार सामने आया. हांलाकि इन आंदोलनों को बड़े पैमाने पर स्थानीय कार्यकर्ताओं और संगठनों की तरफ से संचालित किया गया था. सोरोस ने धन और संसाधन प्रदान करके सहायक भूमिका निभाई.
यूरोप और अमेरिका में बड़ा वर्ग सोरोस को गद्दार और "दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक की नजर से देखता है. थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, जापान और रूस सहित कई देशों के वित्तीय पतन का जिम्मेदार जॉर्ज सोरोस को माना जाता है.
क्या सोरोस अब भारत को भी तोड़ना चाहते हैं?
92 साल के जॉर्ज सोरोस भारत के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं. बीजेपी ने आरोप लगाया है सोरोस भारतीय लोकतंत्र को 'नष्ट' करना चाहते हैं और कुछ "चुने हुए" लोगों को सरकार चलाने के लिए लाना चाहते हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जॉर्ज सोरोस के बारे में ये कहा कि सोरोस एक अमीर, बुजुर्ग और बेहद ही खतरनाक इंसान हैं. “कुछ साल पहले, उन्होंने हम पर लाखों मुसलमानों की नागरिकता छीनने की योजना बनाने का आरोप लगाया, जो बाद में गलत साबित हुआ.
जयशंकर ने कहा कि मानता हूं कि सोरोस न्यूयॉर्क में बैठे एक पुराने विचारों वाले व्यक्ति हैं जो अभी भी सोचते हैं कि उनके विचारों से ही दुनिया की सरकारें काम करें. जयशंकर का ये बयान जॉर्ज सोरोस के बयान के बाद आया है.