IIT Directors Appointment: देश को बेहतर इंजीनियर देने वाली आठ आईआईटी (IIT) में महीनों से निदेशकों (Directors) के पद खाली पड़े हैं. इन पदों के लिए उम्मीदवारों के इंटरव्यू होने के बावजूद भी सरकार अभी तक निदेशकों की नियुक्ति नहीं कर पाई है. काफी समय से चयन प्रक्रिया जारी है लेकिन अभी भी ये पद खाली पड़े हैं. कई आईआईटी में तो काफी समय से इन पदों पर भर्ती का इंतजार है.
आपको बता दें कि देश के भुवनेश्वर, रुड़की, जम्मू, गोवा, धारवाड़, पलक्कड़, भिलाई और तिरुपति आईआईटी में डायरेक्टर के पद कई महीनों से खाली पड़े हैं. इन खाली पड़े पदों को भरने के लिए इंटरव्यू होने के बावजूद भी सरकार नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पाई है.
बता दें कि भुवनेश्वर (Bhubaneswar) और रुड़की में आईआईटी में डायरेक्टरों के पद के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा बीते 15 मार्च को में इंटरव्यू लिया गया था. वहीं इसके अलावा केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता वाले एक अन्य पैनल ने बीते 11 अप्रैल को जम्मू, गोवा, धारवाड़, पलक्कड़, भिलाई और तिरुपति में आईआईटी के निदेशक पद के लिए उम्मीदवारों के एक बैच का साक्षात्कार लिया था. लेकिन अभी तक इन आईआईटी में निदेशकों के पद पर नियुक्ति नहीं हो पाई है.
आपको बता दें कि आमतौर पर आईआईटी के निदेशक पद के लिए इंटरव्यू के बाद दो हफ्ते में राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद चयनित उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र जारी कर दिया जाता है. हांलाकि, नियुक्ति पत्र जारी करने को लेकर कोई निश्चित समय तय नहीं है. इस संबंध में कोई स्पष्टता नहीं होने के चलते उम्मीदवारों के इंटरव्यू के बाद से नौ हफ्ते से अधिक समय बीत चुका है.
IIT भुवनेश्वर की स्थिति हैरान करने वाली
आईआईटी भुवनेश्वर की स्थिति इन सब में सबसे अधिक हैरान करने वाली है. मंत्रालय द्वारा मार्च में दूसरी बार साक्षात्कार का आयोजन किया गया था. इससे पहले जुलाई 2021 में इंटरव्यू को बिना कारण बताए रद्द कर दिया गया था. इससे पहले साल 2020 में साक्षात्कार का आयोजन किया गया था. बीते दो सालों से भी अधिक समय से ये संस्थान कार्यवाहक निदेशकों द्वारा चलाया जा रहा है.
इस देरी को लेकर पता चला है कि क्योंकि सरकार उम्मीदवारों का चयन करने में विफल रही है. इसलिए नियुक्तियों से संबंधित फाइलें राष्ट्रपति को नहीं भेजी गई है. वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों का कहना है कि, इस तरह के हस्तक्षेप के लिए वैधानिक समर्थन की कमी के बावजूद, प्रधानमंत्री कार्यलय है जो सरकार के तहत हाई रैंकिंग अकेडमिक नियुक्तियों का निर्णय ले रहा है. अधिकारियों का दावा है कि आईआईटी निदेशकों की नियुक्ति में हो रही देरी का सबसे बड़ा कारण पीएमओ की वैचारिक रूप से उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश करने में विफलता है.
एक तरफ जहां इन आठ आईआईटी में काफी समय से निदेशकों के पद खाली पड़े है वहीं दूसरी तरफ बॉम्बे, दिल्ली, रुड़की, मंडी, रोपड़ और गांधीनगर आईआईटी में नियमित चेयरपर्सनों की कमी है. इन सभी छह आईआईटी में से रुड़की में साल 2017 से कोई नियमित चेयरपर्सन नहीं था.
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