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ग्राउंड रिपोर्ट: इस त्योहारी सीज़न भारत चीन को दे सकता है 40 हज़ार करोड़ का झटका

कैट (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) ने इस साल चीन को 40 हज़ार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का संकल्प लिया है. इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं.

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी और फिर चीन के साथ सीमा विवाद के बाद देशभर में चीनी सामानों का बहिष्कार करने की मांग पहले ही जोर-शोर से उठ रही थी. जब सीमा पर हिंसक झड़प में भारतीय जवानों के शहीद होने की खबर आई, तब तो मानों चीन की धोखेबाजी से लोगों का गुस्सा और अधिक बढ़ गया. जिससे चीनी सामान के खिलाफ लोगों का असली गुस्सा बाहर आया और लोगों ने मानों पूरे देश में "बॉयकॉट चाइनीज़ प्रोडक्ट" की मुहिम ही चला दी. सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक लोगों ने अपना आक्रोश चीन के प्रति दिखाते हुए चीनी वस्तुओं का पूरी तरह से बहिष्कार करने का संकल्प ले लिया. जिन चीनी वस्तुओं का 70% से ज़्यादा प्रभाव भारतीय बाज़ारों और व्यापार पर हमेशा से रहा है, उसका पूरी तरह से बहिष्कार करना आसान नहीं है, लेकिन आत्मनिर्भर भारत का सपना आंखों में सजाएं इस संकल्प के साथ भारतीय व्यापारी सामने आए हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर भारतवासी को आत्मनिर्भर बनने का जो विश्वास दिया है, उससे मानों लोगों में एक नया जोश पैदा हो गया है. राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक, चावड़ी बाजार और करोल बाग से बड़ा व्यापार शायद देश में कहीं नहीं होता और वहां के व्यापारियों ने थोड़ा नुकसान झेलकर भारत को मजबूत बनाने के लिए खुद उत्पादन करने का संकल्प लिया है. जहां ज्यादातर व्यापारी चीन से माल मंगवाते थे और भारत में बेचते थे, तो वहीं अब चीनी उत्पादों के बहिष्कार के लिए सबसे पहला कदम व्यापारियों की तरफ से ही लिया गया कि चीन से व्यापार बंद किया जाए, और काफी हद तक ऐसा हुआ भी. इसके लिए सबसे ज़रूरी था अपने देश में उत्पादन को शुरू करना और बढ़ावा देना. तभी हम सक्षम और मजबूत बन पाएंगे.

ग्राउंड रिपोर्ट: इस त्योहारी सीज़न भारत चीन को दे सकता है 40 हज़ार करोड़ का झटका

कैट (कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स) ने इस साल चीन को 40 हज़ार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने का संकल्प लिया है. इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. पूरे देश से तकरीबन आठ करोड़ ट्रेडर्स को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है और लगातार सबसे लोकल प्रोडक्ट को प्रमोट करने की बात बार-बार कही जा रही है, ताकि प्रधानमंत्री की अपील पर "वोकल फ़ॉर लोकल" को बढ़ावा दिया जा सके और उन चीजों को बायकॉट किया जा सके, जिन्होंने भारतीय बाजारों को पूरी तरह से कैप्चर कर लिया है. सारे ट्रेडर्स की कोशिश है कि इस साल 'हिंदुस्तानी दिवाली' मनाई जाए. जिसमें दिवाली या त्योहारों पर जो भी सामान का इस्तेमाल होता है, वह सभी हमारे देश में बने उत्पादन ही हों.

हर साल जो चीनी वस्तुएं होती थीं, वह त्योहारों के मौके पर पूरी तरह से बाजारों को कैप्चर कर लेती थीं, लेकिन इस साल संकल्प लिया गया है कि दिवाली से पहले पूरी तैयारी कर ली जाएगी, ताकि दिवाली तक बाजारों में लोकल उत्पाद सही दामों पर मौजूद रहे. जिसके लिए कैट ने पूरे भारत में 300 से ज्यादा वर्चुअल एग्जीवीशन की है, जिसमें उन लोगों द्वारा बनाया सामान है, जो लोग समाज में निचले तबके के हैं और आगे बढ़ना चाहते हैं, अपना हुनर दिखाना चाहते हैं. चीन के सामान का बहिष्कार करने के लिए इससे अच्छा विकल्प नहीं हो सकता. जहां आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रोजगार भी दिया जा रहा है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स, प्रेसीडेंट प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "इस साल की दिवाली हिंदुस्तानी दिवाली के रूप में मनाने का संकल्प लिया है. कन्फेडरेशन का पूरे देश में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का जो अभियान चल रहा है, उसके तहत इस 5 महीने के त्यौहारी सीजन में तकरीबन 40 हजार करोड़ का व्यापारिक नुकसान झेलेगा."

ग्राउंड रिपोर्ट: इस त्योहारी सीज़न भारत चीन को दे सकता है 40 हज़ार करोड़ का झटका

चीन और भारत के बीच व्यापारिक संबंध काफी मजबूत थे, लेकिन हाल ही में जो हुआ उसके बाद से धीरे-धीरे भारतीयों के अंदर एंटी चाइना सेंटीमेंट्स बहुत ज्यादा मज़बूत हुआ है. अब ट्रेडर्स अपनी खुद की मैन्युफैक्चरिंग करके ऐसे प्रोडक्ट्स बना रहे हैं, जो कम दामों में बेहद ही सुंदर और खूबसूरत है. खिलौने ज्यादातर चीन से आया करते थे, लेकिन अब ज्यादातर ट्रेडर्स ने मैनुफैक्चरिंग पर ध्यान देकर प्रोडक्शन कैपेसिटी बढ़ाकर, भारतीय उपकरणों का इस्तेमाल कर, भारतीय प्रोडक्ट्स को बढ़ावा दे रहे हैं. चांदनी चौक में खिलौने का बड़ा व्यापार है. वहां एबीपी न्यूज़ ने राजीव बत्रा और अन्य व्यापारियों से बात की. उन्होंने विस्तार से चीनी सामानों का बहिष्कार करके किस तरह से मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रहे हैं, उस बारे में बताया. चांदनी चौक के खिलौना वयापारी राजीव बत्रा ने कहा, "हमारा टॉयज़, साईकिल, ट्राई साइकिल का बिजनेस है. हम मैनुफैक्चर भी करते हैं और ट्रेड भी करते हैं पूरे इंडिया में. आउटलेट भी हैं हमारे. हालात नॉर्मल थे तो चाइना से बहुत माल आता था. यह समझ लीजिए कि 100 में से 75 से 80% मार्केट चाइना के पास था और अगर साइकिल की बात की जाए तो बहुत ज्यादा माल साइकिल का चाइना से आता था. लेकिन चाइना ने जो गलवान में किया उसके बाद एंटी चाइना सेंटीमेंट बहुत है. ना दुकानदार चाइना का माल रखना चाहता है और ना अब लोग चाइना का माल खरीदना चाहते हैं. 20-25 हजार करोड़ की चपत हम लगा देंगे चाइना को, जो सामान वहां से आता था उसको पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. सिर्फ टॉयज इंडस्ट्री से ही 20-25 हजार करोड़ की चपत चाइना को लगेगी. इस वक्त बहुत अच्छा मौका है इंडिया में मैनुफैक्चरर के लिए अपने आप को सक्षम बनाने का."

ग्राउंड रिपोर्ट: इस त्योहारी सीज़न भारत चीन को दे सकता है 40 हज़ार करोड़ का झटका

इसी के साथ ही कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स का इस बार पूरी तरह से इरादा मजबूत है. चीनी सामान के बहिष्कार के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत वोकल फ़ॉर लोकल मिशन को आगे बढ़ाते हुए घर घर रोजगार और हुनर को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है. जो ट्रेडर्स दिल्ली महिला संगठन के अध्यक्ष पूनम गुप्ता के नेतृत्व में हो रही. उन महिलाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिनके अंदर हुनर है और कुछ करना चाहती हैं. ऐसी महिलाओं को भी आगे बढ़ाया जा रहा है. पूनम गुप्ता जो कैट की महिला संगठन अध्यक्ष हैं, उनका कहना है कि चाइना का बहिष्कार करने के लिए हमारे देश के व्यापारी पूरी तरह से तैयार हैं. पहले जब मॉल में जाते थे तो इंपोर्टेड सामान का ज्यादा क्रेज रहता था. लेकिन अब लोग खुद ही पूछते हैं कि कहीं चाइना का तो नहीं है.

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