भारत दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जहां हर सौ किलोमीटर के बाद खान-पान, रहन-सहन, कपड़े-लत्ते और भाषा बदल जाती है. यहां की महान सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा है भारतीय हथकरघा. हमारे देश का हर कोना स्वदेशी यंत्र की अलग किस्म की बुनाई और इस पर तैयार किए पहनावे की किस्सा सुनाता है.
हमारे देश के हर राज्य की अपनी अलग पहचान है. यहां हर साल लाखों की तादाद में विदेश से लोग घूमने आते हैं. जिनमें से अधिकतर लोग यहां मिलने वाली चीजों की शॉपिंग करते हैं. विदेश से आ रहे पर्यटकों के बीच हाथ से बनाई जाने वाली साड़ियां भी बेहद मशहूर है. यह साड़ियां इतनी खूबसूरत होती है कि इसकी सुंदरता और भव्यता देख विदेशी भी हैरान हो जाते हैं.
विरासत का दूसरा चरण शुरू
हाथ से बुनी साड़ियों की लोकप्रियता को देखते हुए राजधानी दिल्ली में 3- 17 जनवरी से भारत की 75 हाथ से बुनी साड़ियों का उत्सव यानी 'विरासत' का दूसरा चरण शुरु होने वाला है. इस उत्सव का आयोजन केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की तरफ से किया जा रहा है.
इस उत्सव के दूसरे चरण में देश के अलग-अलग हिस्सों से 90 प्रतिभागी भाग ले रहे. जो टाई एंड डाई, चिकन कढ़ाई वाली साड़ियों, हैंड ब्लॉक साड़ियों, कलमकारी प्रिंटेड साड़ियों, अजरख, कांथा और फुलकारी जैसी प्रसिद्ध दस्तकारी की किस्मों से इस उत्सव का आकर्षण बढ़ाएंगे.
इस उत्सव में जामदानी, इकत, पोचमपल्ली, बनारस ब्रोकेड, टसर सिल्क (चंपा), बलूचरी, भागलपुरी सिल्क, तंगैल, चंदेरी, ललितपुरी, पटोला, पैठनी आदि की विशेष हाथ से बुनी सड़ियों का पदर्शन किया जाएगा. इसके अलावा तनचोई, जंगला, कोटा डोरिया, कटवर्क, माहेश्वरी, भुजोड़ी, शांतिपुरी, बोमकाई और गरद कोरियल, खंडुआ और अरनी सिल्क साड़ियां जैसी कई अन्य किस्म की हथकरघा साड़ियां भी उपलब्ध होंगी.
पहले चरण में 70 प्रतिभागियों ने लिया था भाग
इस उत्सव का पहला चरण 2022 में 16 दिसंबर से शुरू होकर 30 दिसंबर 2022 को संपन्न हुआ था. विरासत का उद्घाटन का उद्घाटन माननीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने किया था. इस अवसर पर माननीय राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश और अन्य महिला सांसद भी उपस्थित थीं.
16 से 30 दिसंबर, 2022 तक आयोजित पहले चरण में, 70 प्रतिभागियों ने "विरासत" कार्यक्रम में भाग लिया था. यह आयोजन बहुत सफल रहा और सभी आयु-वर्गों के लोगों की इसमें प्रभावशाली उपस्थिति से इस क्षेत्र और बुनकरों की ओर ध्यान आकृष्ट हुआ और हथकरघा वस्तुओं की बिक्री हुई.
इन राज्यों की हथकरघा साड़ी मशहूर
भारत में कोविड महामारी के बाद से हथकरघा उद्योग को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई सारी योजनाओं की शुरुआत की गई हैं. हैंडलूम उद्योग के विकास और कारीगरों को बाजार उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कई पहल की शुरुआत की गई है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बताया कि वस्त्र मंत्रालय बुनकरों के लिए मुद्रा योजना चला रहा है. जिसके तहत सभी केंद्र हथकरघा बुनकरों को रियायती ब्याज दर पर ऋण प्राप्त करने में सहायता करता है.
पीएम मुद्रा योजना के तहत खुद का कारोबार शुरू करने के लिए 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का लोन देती है. सरकार इस लोन को कुल तीन कैटेगरी में देती है. पहला शिशु लोन जो 50,000 रुपये तक का लोन होता है. वहीं किशोर लोन 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख तक की राशि मिलती है. वहीं तरुण लोन में सरकार 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का लोन देती है.
हथकरघा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं
भारत में हाथ से बनी साड़ी बनाने वाले कारिगरों और इसके बाजार को बढ़ावा देने के लिए, वस्त्र मंत्रालय द्वारा कई योजनाओं की शुरुआत की गई है. जिसके तहत हाथ से बुने साड़ियों में इस्तेमाल किए जाने वाले कच्चे सामान की खरीद, डिजाइन इनोवेशन, बुनियादी ढांचा विकास, घरेलू के साथ-साथ विदेशी बाजारों में हथकरघा उत्पादों का बाजार और रियायती दरों पर ऋण के लिए अनुदान के रूप में पात्र हथकरघा एजेंसियों/बुनकरों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
इन कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं
- व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना
- हथकरघा बुनकर व्यापक कल्याण योजना
- यार्न आपूर्ति योजना