45 दिन के अंदर ही ब्रिटेन अपने तीसरे प्रधानमंत्री की तलाश में जुट गया है. देश की तीसरी महिला प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने लंदन स्थित 10 डाउनिंग स्ट्रीट में अपने संक्षिप्त कार्यकाल के बाद गुरुवार को इस्तीफा दे दिया और वह भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) नहीं करा सकीं.
उम्मीद की जा रही थी कि दिवाली के मौके पर दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार के तहत बिजनेस को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम शुरू हो जाएगा. इससे दोनों ही देशों के उत्पादों को एक नया बाजार मिलने की संभावना है.
भारत के लिए ये समझौता एक बड़ा मौका है. भारतीय उत्पादों को ब्रिटेन के बाजार में उतरने से खजाने में विदेशी रुपये की आमद और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी. लेकिन अब सब कुछ नए प्रधानमंत्री पर निर्भर हो गया है कि वो क्या सोचते हैं.
बुधवार तक संसद में खुद को 'लड़ने वाली और जिम्मेदारी बीच में नहीं छोड़ने वाली' के रूप में प्रस्तुत कर चुकीं ट्रस ने प्रधानमंत्री बनने के महज छह सप्ताह के बाद इस्तीफा दे दिया.
ट्रस के नीति संबंधी फैसलों के बदलने, मंत्रिमंडल में उठापटक और आंतरिक रूप से गतिरोध का सामना कर रही कंजरवेटिव पार्टी का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता के खिलाफ खुले विद्रोह के बाद पूर्व विदेश मंत्री का प्रधानमंत्री पद पर बने रहना असंभव हो गया था.
ब्रिटेन की विदेश और व्यापार मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में भारत के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की वकालत करने वाली ट्रस ने कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व चुनाव में भारतीय मूल के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को मात देकर पिछले महीने 10 डाउनिंग स्ट्रीट ( ब्रिटिश प्रधानमंत्री का आधिकारिक आवास) पर दस्तक दी थी.
पद पर 45 दिन रहने के बाद इस्तीफा देकर वह ब्रिटेन के इतिहास में सबसे कम समय तक रहने वाली प्रधानमंत्री बन गयी हैं. इससे पहले 1827 में जॉर्ज कानिंग अपनी मृत्यु तक 119 दिन ही इस पद पर रहे थे.
जॉनसन मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री रहीं 47 वर्षीय ट्रस को अपनी पूर्ववर्ती महिला प्रधानमंत्रियों मार्गरेट थैचर और थेरेसा में से कहीं अधिक मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा जहां मंदी और महंगाई दोनों से जूझ रहा है.
उन्हें अपनी पार्टी में भी गुटबाजी का सामना करना पड़ा क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए हुए चुनाव में उन्हें 43 प्रतिशत के मुकाबले 57 प्रतिशत मतों से जीत हासिल हुई जिसे बहुत बड़ा अंतर नहीं माना जा रहा है.
लेकिन भारत के मोर्चे पर बात करें तो जॉनसन नीत सरकार में पूर्व अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री रहीं ट्रस ने भारत-ब्रिटेन उन्नत व्यापार साझेदारी (ईटीपी) पर पिछले साल मई में हस्ताक्षर किए थे.
वह ब्रिटेन के लिए ब्रेक्जिट के बाद की बड़ी उपलब्धि के रूप में इस साल के अंत तक की समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए एफटीए को लेकर बातचीत जारी रखना चाह रही थीं.
उन्होंने भारत को 'बड़ा और अहम अवसर' करार दिया था और उनका मानना है कि भारत और ब्रिटेन 'व्यापार में जो गतिशीलता बनी है , उसे लेकर बेहतर स्थान पर हैं.'
ईटीपी पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद ट्रस ने कहा था, 'हम विस्तृत व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं जिसमें सब शामिल हो, वित्तीय सेवा से लेकर कानूनी सेवा तक, डिजिटल और आंकड़ों तक, वस्तु से लेकर कृषि तक. हम मानते हैं कि इस समझौते पर शीघ्र हस्ताक्षर होने की प्रबल संभावना है, जिससे दोनों पक्षों की ओर कर कम होगा, दोनों पक्ष एक दूसरे के बीच अपने सामान की आपूर्ति देखेंगे'.
ट्रस ने पार्टी के कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया (सीएफआईएन) के कार्यक्रम में दोहराया था कि द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के मामले में 'वह बहुत ही प्रतिबद्ध' हैं.
उन्होंने प्रतिबद्धता जताई थी कि वह भारत-ब्रिटेन एफटीए करना चाहती हैं जिसकी समय सीमा उनके पूर्ववर्ती ने तय की है. उन्होंने कहा कि संभवत: यह समझौता दिवाली तक हो जाएगा, लेकिन निश्चित तौर पर इस साल के अंत तक इस समझौते को अमली जामा पहना दिया जाएगा.
ट्रस लगातार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा और सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर देती रही हैं ताकि 'स्वतंत्र नेटवर्क' के लक्ष्य को हासिल किया जा सके और चीन एव रूस की आक्रामकता का मुकाबला किया जा सके. उन्होंने वादा किया कि ब्रिटेन का वीजा प्रशासन भारत से 'बेहतरीन प्रतिभाओं' को आकर्षित करना जारी रखेगा.
ट्रस का जन्म ऑक्सफोर्ड में हुआ था और उनके पिता गणित के प्रोफेसर थे जबकि मां नर्स और शिक्षिका थीं. उनकी परवरिश ब्रिटेन के विभिन्न इलाकों में हुई है. ट्रस के पति एकाउंटेंट ह्यूग ओ लेरी हैं और उनकी दो बेटियां हैं.
ऋषि सुनक पर अभी सहमति नहीं
ट्रस के साथ चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी रहे रिषी सुनक को अब प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है लेकिन आपस में बंटी हुई टोरी पार्टी में अभी तक इस लिहाज से आम सहमति नहीं बनी है. विपक्षी लेबर पार्टी ने तत्काल आम चुनाव कराने की अपनी मांग दोहराई है.
बताया जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन भी दौड़ में शामिल होने पर विचार कर रहे हैं. इस मुकाबले में पिछली बार उम्मीदवार रहे पेनी मॉरडॉंट और सुएला ब्रेवरमैन तथा रक्षा मंत्री बेन बालेस के भी नाम माने जा रहे हैं
पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के करीबी लोगों का कहना है कि 2019 के आम चुनाव में उन्हें मिले जबरदस्त जनादेश को देखते हुए पार्टी को उन्हें वापस लाना चाहिए.
हालांकि, ट्रस की मौजूदा परेशानी इस बात की याद दिलाती है कि किस तरह जॉनसन को उनकी पार्टी के सांसदों और मंत्रियों की खुली बगावत के बीच जुलाई में पद छोड़ने और इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा था. एक दिन पहले ही सुएला ब्रेवरमैन ने ट्रस की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
भारत ने क्या कहा
ब्रिटेन में राजनितिक उथल-पुथल के बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर ब्रिटेन के साथ भारत की बातचीत पूरी तरह से पटरी पर है. हालांकि, उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा.
गोयल ने राष्ट्रीय निर्यात सम्मेलन में कहा, 'हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या होता है. क्या वहां नेतृत्व का जल्द परिवर्तन होता है या पूरी प्रक्रिया चलेगी. हमें देखना होगा कि सरकार में कौन आता है और उसके क्या विचार होंगे.
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के नेताओं और कारोबारियों ने माना है कि भारत के साथ एफटीए समझौता करना उनका लिए बहुत महत्वपूर्ण है. गोयल ने कहा, 'मेरी अपनी समझ है कि जो भी सरकार में आएगा वह हमसे बात करना चाहेगा.'
गोयल ने कहा, 'इसलिए हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा. लेकिन मुझे विश्वास है कि ब्रिटेन, कनाडा, यूरोपीय संघ के साथ हमारे एफटीए की जल्द ही घोषणा कर सकते हैं. सब पर अच्छे से काम चल रहा है.'
क्या होता मुक्त व्यापार समझौता (FTA)
दो देशों के बीच आयात-निर्यात को लेकर तमाम समझौते हैं जिसमें एक दूसरे के उत्पादों में टैक्स की छूट और सहूलियतें शामिल होती हैं. सरल शब्दों में समझें तो एक मुक्त व्यापार नीति के तहत वस्तुओं और सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार खरीदा और बेचा जा सकता है. जिसके लिये बहुत कम सरकारी शुल्क, कोटा और सब्सिडी के नियम बनाए जाते हैं.
भारत की क्या है नीति
साल 2109 में भारत क्षेत्रीय आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर हो गया था. इसमें 15 देश शामिल थे. जिसमें जापान, चीन और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. इन देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता था. भारत के बाहर होने के बाद यह ग्रुप भी निष्क्रिय हो गया था. दूसरी ओर साल 2013 से हुई रुकी भारत-यूरोपीय संघ की बातचीत 2021 में शुरू हो गई है. वहीं संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते भारत कर रहा है या कर चुका है.
भारत के साथ अहम समझौते
- भारत और मॉरीश के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौता जिसे CCPA कहा जाता है.
- दक्षिण एशिया तरजीही व्यापार समझौता (SAPTA) के तहत सार्क देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना.
- दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) के तहत पूरी तरह मुक्त व्यापार शामिल है. हालांकि इसमें आईटी जैसी सेवाएं शामिल नहीं की गई हैं.
ब्रिटेन में पीएम चुनने की प्रक्रिया शुरू
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और टोरी नेता के तौर पर लिज ट्रस की जगह लेने के लिए चुनाव लड़ने की योजना बना रहे कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों के लिए नामांकन प्रक्रिया गुरुवार शाम से शुरू हो गई है.
कंजर्वेटिव पार्टी के चुनावों की प्रभारी समिति के अध्यक्ष ग्राहम ब्रैडी ने कहा कि संभावित उम्मीदवारों के सोमवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर दो बजे तक नामांकन दाखिल करने की संभावना है. अंतिम दो उम्मीदवारों को प्रधानमंत्री चुनाव के लिए चयनित किया जाएगा. जब तक किसी एक उम्मीदवार के नाम पर आम सहमति नहीं बन जाती है, तब तक अंतिम दो उम्मीदवारों को ऑनलाइन मतदान प्रक्रिया के लिए तैयार रखा जाएगा.
ब्रैडी ने हाउस ऑफ कॉमंस में 357 कंजर्वेटिव सांसदों को देखते हुए तीन संभावित उम्मीदवारों के सामने आने की संभावना भी जताई है. पार्टी के अध्यक्ष जेक बेरी ने कहा, 'यह संसद के सदस्यों पर निर्भर करता है कि हमारा एक उम्मीदवार होगा या दो. अगर दो उम्मीदवार होते हैं तो हमारे सदस्य अपने विचार रख सकते हैं.'
अगर सोमवार को दोपहर दो बजे तक केवल एक उम्मीदवार नामांकन दाखिल करता है तो पार्टी को उसी दिन शाम तक नया नेता मिल जाएगा. यदि दो अंतिम उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता है तो नया प्रधानमंत्री अगले शुक्रवार तक बनने की संभावना है. पार्टी में ऋषि सुनक के कई समर्थकों ने उम्मीद जताई है कि वह ट्रस की जगह लेने के लिए सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के तौर पर उभरेंगे.
(इनपुट- PTI)