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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Uddhav Thackeray and Eknath Shinde: दशहरा रैली के बाद आज रात किसे नींद नहीं आई होगी?

शिवसेना के दो गुटों में बंटने के बाद पहली दशहरा रैली थी. एकनाथ शिंदे की रैली में जहां ठाकरे परिवार के लोग थे तो उद्धव की रैली में शिवाजी मैदान पूरी तरह से भरा था.

महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना की दशहरा रैली इस बार हिंदुत्व, मराठी मानुष या राष्ट्रवाद पर केंद्रित नहीं थी. इस बार शिवसेना के दो गुट अलग-अलग मैदानों से एक दूसरे पर निशाना साथ रहे थे. एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना की रैली बीकेसी मैदान में हुई और उद्धव ठाकरे की शिवसेना की रैली शिवाजी मैदान में. 

बीएमसी चुनाव से पहले दोनों गुटों के लिए ये एक तरह का शक्ति प्रदर्शन था. लेकिन इन रैलियों में कुछ ऐसी बातें हुई हैं जिससे कि दोनों पक्षों के नेताओं को नींद नहीं आई होगी. 
 
इतिहास के नजरिए से देखें तो 19 जून 1966 को बाला साहेब ठाकरे ने शिवसेना का गठन किया था और पहली रैली 30 अक्टूबर को विजयादशमी वाले दिन मुंबई के शिवाजी पार्क में की थी.  तब से लेकर शिवसेना की दशहरा रैली लगातार जारी है.  साल 2012 में बाला साहेब ठाकरे के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी उद्धव ठाकरे इस पार्टी की परंपरा को निभा रहे हैं. 

बुधवार को हुई रैलियों में दोनों ओर से जमकर तीर चले. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सीएम एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए उनको कटप्पा तक कह डाला. ठाकरे ने शिंदे और उनके साथ गए शिवसेना नेताओं पर हमला करते हुए कहा कि गद्दारी का दाग कभी नहीं मिटेगा. 

ठाकरे ने कहा, 'समय के साथ रावण का भी चेहरा बदल गया है. आज ये गद्दारी का चेहरा बन गया है'. ठाकरे ने कहा कि जब वो बीमार थे और अस्पताल में सर्जरी के लिए भर्ती थे तो उन्होंने शिंदे को मुख्यमंत्री का चार्ज दिया था. लेकिन शिंदे साजिश शुरू कर दी और उनको लगा कि शायद वो (उद्धव ठाकरे) कभी अपने पैरों पर दोबारा खड़े नहीं हो पाएंगे.

ठाकरे ने कहा, 'आज का रावण दस सिरों वाला नहीं बल्कि बक्शों वाला हो गया है'. ठाकरे के इस बात का मतलब महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने के लिए पैसों का इस्तेमाल था.

शिवसेना कार्यकर्ताओं की ओर मुखातिब होते हुए ठाकरे ने कहा, 'अगर आप नहीं चाहते हैं कि मैं पार्टी अध्यक्ष बना रहूं तो मैं छोड़ दूंगा. गद्दारी के बाद अब वो (शिंदे) पार्टी का चिन्ह, पूरा पार्टी और खुद को अध्यक्ष की कुर्सी पर देखना चाहते हैं'.

उद्धव ने कहा, 'शिंदे शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत का इस्तेमाल करना चाहते हैं क्योंकि उनको उनके पिता के नाम पर वोट नहीं मिल सकते हैं. ठाकरे ने कहा कि वादा पूरा करने पर उन्होंने बीजेपी को सबक सिखान के लिए साल 2019 में एनसीपी और कांग्रेस के साठ गठबंधन किया था. ठाकर ने कहा कि वह अपने मां-पिता की कसम खाकर कहते हैं कि बीजेपी और शिवसेना के बीच ढाई-ढाई साल के लिए सीएम पद की जिम्मेदारी लेने का समझौता हुआ था.

ठाकरे ने कहा कि उस समय शिंदे शिवसेना की ओर से पहले नेता था जिन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों के साथ मंत्री पद की शपथ ली थी. उस समय उनको कोई दिक्कत नहीं थी. उद्धव ने कहा कि हिंदुत्व का पाठ उनको बीजेपी से सीखने की जरूरत नहीं है. ठाकरे ने कहा कि संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने उनको आईना दिखा दिया है. दरअसल वो होसाबले के बेरोजगारी और असमानता पर दिए गए बयान का हवाला दे रहे थे.


Uddhav Thackeray and Eknath Shinde: दशहरा रैली के बाद आज रात किसे नींद नहीं आई होगी?

इसके बाद उद्धव ठाकरे ने शिवाजी पार्क में उमड़ी कार्यकर्ताओं की भीड़ से भावनात्मक तरीके से कहा, 'आज मेरे पास कुछ नहीं है. लेकिन आपके समर्थन से शिवसेना एक बार फिर खड़ी हो जाएगी. मैं शिवसेना कार्यकर्ता को ही महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाऊंगा. हमें हर चुनाव में गद्दारों को हराना है.' ठाकरे ने इस बयान के साथ ही अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव और मुंबई निकाय चुनाव का एजेंडा सेट करने की कोशिश की.

अमित शाह पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि वो गृहमंत्री हैं या फिर बीजेपी के मंत्री हैं जिनका काम सिर्फ राज्य सरकारों को गिराना है. ठाकरे ने यहीं नही रुके उन्होंने बीजेपी के उस पर आरोप का जवाब दिया जिसमें कहा जाता है कि कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करके हिंदुत्व से समझौता करने की बात कही जाती है. संघ प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए ठाकरे ने कहा कि हाल ही में वो मस्जिद गए थे तो क्या उन्होंने हिंदुत्व छोड़ दिया? 

उद्धव ठाकरे को क्यों नहीं आई होगी नींद?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि उद्धव ठाकरे के आने के बाद से महाराष्ट्र या मुंबई में शिवसेना उतनी आक्रामक नहीं दिखी है जितनी की बाल ठाकरे से समय थी. बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपनी ताकत बढ़ाई है और अपने दम पर सरकार बना लेनी की स्थिति में आ गई है. इसके बाद एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना में फूट पड़ गई. उद्धव ठाकरे को सीएम पद से हटना पड़ा है. एकनाथ शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के दूसरे गुट ने बीजेपी के साथ सरकार बना ली है. 

इन झटकों से पार्टी अभी पूरी तरह से उबर भी नहीं पाई थी कि एकनाथ शिंदे की रैली में बाल ठाकरे के बड़े बेटे जयदेव ठाकरे भी पहुंच गए. इसके अलावा उद्धव ठाकरे के सबसे बड़े भाई बिंदूमाधव ठाकरे के बेटे निहार भी मंच पर मौजूद थे.


Uddhav Thackeray and Eknath Shinde: दशहरा रैली के बाद आज रात किसे नींद नहीं आई होगी?

(एकनाथ शिंद के साथ जयदेव ठाकरे)

साथ ही एक कुर्सी खाली रही गई थी जिसको बाल ठाकरे ने ठाणे में हुई अपनी आखिरी रैली में इस्तेमाल किया था. 27 सालों तक बाल ठाकरे के सहयोगी रहे चंपा सिंह थापा भी एकनाथ शिंदे मंच पर दिखे.

अपने छोटे से संबोधन में जयदेव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के 'साहसिक कदम' की तारीफ की और कार्यकर्ताओं से अपील की उनका साथ कभी न छोड़ें.

जाहिर शिंद के मंच से आई ये तस्वीरें उद्धव ठाकरे की नींद उड़ाने के लिए काफी हैं. शिंदे ने पार्टी में ही नहीं परिवार में भी सेंध लगा दी है. उद्धव ठाकरे का अपने बड़े भाई से मतभेद काफी पहले से है लेकिन संकट की इस घड़ी में भाई का किसी दूसरे मंच में दिखना उद्धव के लिए अच्छे संकेत नहीं है.

एकनाथ शिंदे ने भी किया पलटवार
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने भी बीकेसी मैदान से उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि उनका विद्रोह कोई धोखा नहीं था. शिंदे ने कहा उद्धव ठाकरे को बाल ठाकरे के स्मारक पर घुटने टेक कर उनको आदर्शों पर समझौता करने और कांग्रेस-एनसीपी के साथ गठबंधन पर माफी मांगनी चाहिए.

शिंदे ने कहा कि साल 2019 के चुनाव में वोटरों ने बीजेपी और शिवसेना के पक्ष में मतदान किया था.  लेकिन उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ गठबंधन करके जनादेश को धोखा दिया था.


Uddhav Thackeray and Eknath Shinde: दशहरा रैली के बाद आज रात किसे नींद नहीं आई होगी?

शिंदे ने कहा, 'हमने गद्दारी नहीं 'गदर' किया है. हम गद्दार नहीं, बाला साहेब ठाकरे के सिपाही हैं. आपने बाला साहेब के सिद्धांतों को बेच दिया'. शिंदे ने कहा कि गद्दार कौन है, जिसने सत्ता के लिए हिंदुत्व को धोखा दिया. 

शिंदे ने कहा, 'क्या आपको (उद्धव ठाकरे) बाल साहेब ठाकरे के सिद्धांतों से समझौता करने के बाद क्या आपके पास शिवसेना का अध्यक्ष बने रहने का अधिकार है?' शिंदे ने कहा कि इस रैली में आई भीड़ से साबित हो जाता है कि कौन बाला साहेब का असली उत्तराधिकारी है.

ये भीड़ देखकर क्या आई होगी एकनाथ शिंदे को नींद
शिवसेना इस समय अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है. पार्टी और परिवार में बुरी तरह से फूट पड़ गई है. लेकिन शिवाजी पार्क में आयोजित दशहरा रैली में आई भीड़ चौंकानी वाली है. इस मैदान को पूरी तरह भरने में कामयाबी बाला साहेब ठाकरे की रैलियों को मिली है. लेकिन इतनी भीड़ उद्धव ठाकरे की रैली में कभी नहीं मिली है. कार्यकर्ताओं की इस ये भीड़ शिवसेना के कॉडर को मनोवैज्ञानिक तौर पर बहुत संबल देगी. और बीएमसी के चुनाव के पहले शिवाजी मैदान का ये नजारा एकनाथ शिंदे के लिए भी नींद उड़ाने जैसा ही है.  


Uddhav Thackeray and Eknath Shinde: दशहरा रैली के बाद आज रात किसे नींद नहीं आई होगी?

(शिवसेना की रैली में उमड़ी भीड़)

हालांकि भीड़ जुटाना या परिवार में सेंध लगाना दोनों ही गुटों के लिए कितना फायदामंद साबित होगा या बीएमसी इलेक्शन के नतीजे ही बता पाएंगे जिस पर शिवसेना का कब्जा है. 

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