बिहार के गोपालगंज में बीजेपी की जीत, क्या गुजरात में भी काम करेगा यही फॉर्मूला?
गुजरात में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे. पहले चरण के लिए वोटिंग 1 दिसंबर और दूसरे चरण के लिए 5 दिसंबर को मतदान होगा. वोटों की गिनती हिमाचल प्रदेश के साथ ही आठ दिसंबर को होगी.
बिहार के गोपालगंज सीट पर हुई बीजेपी की जीत का समीकरण गुजरात में भी देखने को मिल सकता है. बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों का बिखराव ही इस विधानसभा उपचुनाव में जीत की सबसे बड़ी वजह बनी है.
हालांकि मोकामा विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की हार हुई है. लेकिन यहां पर चुनाव एक तरह से दो ध्रुवीय हो गया था. बात करें गोपालगंज की सीट की को तो यहां का समीकरण एक तरह से विपक्ष के लिए सिरदर्द साबित होता दिख रहा है.
इस सीट पर बीजेपी और आरजेडी के बीच तगड़ा और सीधा मुकाबला था. यह सीट बीजेपी के विधायक सुभाष सिंह के निधन से खाली हुई थी. पार्टी ने उनकी पत्नी कुसुम देवी को टिकट दिया था.
आरजेडी ने इस सीट से मोहन प्रसाद गुप्ता को उतरा था. बीजेपी की प्रत्याशी कुसुम देवी को यहां पर 70032 वोट मिले. वहीं आरजेडी प्रत्याशी को 68243 मिले हैं मतलब बीजेपी प्रत्याशी की जीत का अंतर 1800 है.
लेकिन बीजेपी की जीत की कहानी सिर्फ इतनी भर नहीं है. बीएसपी की प्रत्याशी इंदिरा यादव को 8854 वोट मिले हैं. आपको जानकर थोड़ा हैरानी हो सकती है कि इंदिरा यादव उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मामी हैं. वो लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के सगे भाई साधु यादव की पत्नी हैं. बिहार में बीएसपी कभी वो जगह नहीं बना पाई जो यूपी में है.
लेकिन इस चुनाव में विपक्ष के लिए एक बड़ा फैक्टर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम है. उनकी पार्टी से अब्दुल सलमान को 12 हजार से कुछ ज्यादा ही वोट मिले हैं. ओवैसी की पार्टी को इतने वोट मिल जाना जेडीयू-आरजेडी के लिए ठीक नही है. और इस चुनाव के नतीजे से ये भी साफ है कि अगर विपक्ष बिखरा तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलता है.
अगर गोपालगंज उपचुनाव के नजरिए से अगर गुजरात विधानसभा चुनाव देखते हैं तो कमोबेश हालात कुछ ऐसे ही नजर आते हैं. बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ही पहले से ताल ठोंक रहे हैं. अब असदुद्दीन ओवैसी भी गुजरात में ताल ठोंकने तैयारी में हैं.
पहले माना जा रहा था कि ओवैसी का पार्टी मुस्लिम बहुल सीटों पर ही फोकस करेगी. लेकिन एआईएमआईएम ने अहमदाबाद की दाणीलिमडा सीट से कौशिक परमार को टिकट दिया है. यह सीट आरक्षित श्रेणी में आती है. अगर मुस्लिम बहुल सीटों पर एआईएमआईएम ने मजबूती से चुनाव लड़ा तो इन सीटों पर मुकबाल तीन ध्रुवीय न होकर चतुष्कोणीय हो सकता है और इस तरह के हालात बीजेपी के लिए राह आसान कर सकते हैं.
लेकिन दलित बहुल सीटों पर ओवैसी का पार्टी किसको ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी ये आकलन का विषय है. क्योंकि इस वर्ग के बड़े मतदात वो भी हैं जो सरकार की योजनाओं पीएम आवास, किसान निधि, उज्ज्वला योजना जैसी स्कीमों के लाभार्थी हैं और बीजेपी को इनका समर्थन भी कई चुनाव में मिल रहा है.
बीते चुनाव में 13 आरक्षित सीटों पर बीजेपी को 7 और कांग्रेस को 5 सीटें मिली थीं. एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. अहमदाबाद की बापूनगर सीट, जमालपुर-खडिया, पूर्वी सूरत, लिंबायत से एआईएमआईएम के आने से बीजेपी को फायदा मिल सकता है.
एआईएमआईएम के चीफ ओवैसी पर हर चुनाव के बाद बीजेपी की B टीम होने का आरोप लगता रहा है जिसका मतलब ये है कि वो बीजेपी के खिलाफ पड़ने वाले वोटों का बंटवारा करके उसको फायदा पहुंचाते हैं. हालांकि असुदुद्दीन इस आरोप का जोरदार खंडन भी करते हैं.
गोपालगंज के नतीजों पर एबीपी न्यूज से बातचीत में कहते हैं, 'गोपालगंज में हमारे प्रत्याशी ने मुकाबला किया है. हमारी पार्टी को 12 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. हमारी पार्टी की बिहार टीम को मुबारक है.' लेकिन जब उनसे बीजेपी को फायदा पहुंचाने के आरोप की बात की गई है तो उनका कहना था, 'आरोप लगना तो मेरी किस्मत है. लेकिन लालू यादव के साले को भी 8 हजार से ज्यादा वोट मिले तो उनका क्या तमगा देंगे. लालू जी का साला है तो उनको कुछ नहीं कहा जा सकता है. दूसरी पार्टियां भी चुनाव लड़ीं.
एबीपी न्यूज की ओर से जब पूछा गया कि उनकी पहुंच खास तबके तक है और उसका असर बहुत ज्यादा होता है. उस पर ओवैसी का कहना था कि वो गोपालगंज में चुनाव प्रचार करने गए ही नहीं थी. उनकी पार्टी के नेताओं ने वहां पर प्रचार किया है.
ओवैसी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, 'आप हार जाते हैं तो हम पर इल्जाम लग जाता है. आप जीत जाते हैं तो परिवार जीत गया कहा जाता है.' ओवैसी ने कहा कि न तो उनकी पार्टी यूपी की गोला सीट पर चुनाव लड़ी और न ही हरियाणा की आदमपुर सीट पर, लेकिन वहां से भी बीजेपी जीत गई.
जब ओवैसी से पूछा गया कि लोकसभा चुनाव 2024 में भी ऐसे ही नतीजे आएंगे जिस तरह के परिणाम इन विधानसभा चुनावों में आएं तो उनका कहना था ये तो सोचना होगा. ओवैसी ने कहा जो लोग नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनते नहीं देखना चाहते हैं वो सोचें कि सबको साथ लेकर चलना है या खुद को ही बेहतर मानेंगे. मंच पर बैठाना तो दूर हाथ तक नहीं लगाएंगे ऐसे लोगों को मुबारक हो.
ओवैसे ने कहा, 'अभी 2024 तो दूर है, अभी तो कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश बाकी है'. जब उनसे पूछा गया कि क्या वो गुजरात में सीएम प्रत्याशी घोषित करने वाले हैं, तो उनका जवाब था, 'हमारी कोशिश है कि विधानसभा में आवाज उठाने वाले लोग पहुंचे. डर कर शांत होकर न बैठ जाएं'.
इसके साथ ही ओवैसी ने अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि सीलमपुर का हाल देखिए. जमात-ए-इस्लामी का जहां गेट है वहां क्या है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गुजरात में बीजेपी को हराना उनका मकसद है. जो लोग बीजेपी को 27 सालों से हरा नहीं पाएं क्या वो अपनी अयोग्यता मानेंगे.