हिंदुस्तान शिखर समागम: CAA पर बोले मनोज झा, 'इमरजेंसी भी संसद में पास कानून था लेकिन फैसला सड़कों ने किया'
CAA पर मनोज झा ने कहा- अगर सरकार की ओर से यह तर्क दिया जाता है कि यह संसद से पास कानून है तो आपातकाल भी संसद से पास कानून था. लेकिन अगर सरकार नहीं चाहती कि भारत की हालत सीरिया जैसी ना हो तो यह कानून वापस ले लेना चाहिए.
नई दिल्ली: एबीपी न्यूज़ के खास कार्यक्रम 'हिन्दुस्तान शिखर समागम' में देश की बड़ी राजनीतिक हस्तियां देश के मौजूदा हालात पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं. इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता गौरव भल्लव और राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने भी अपनी बात रखी. दोनों ने सरकार की नागरिकता कानून लाने को लेकर खूब आलोचना की.
संविधान में अमेंडमेंट करना और संविधान की अवहेलना अलग बात है- गौरव भल्लव
गौरव भल्लव ने कहा,'' मेरे घर में गांधी जी की तस्वीर है. मैं रोज उसको देखता हूं. मैं उस तस्वीर को देखता हूं क्योंकि देश में गोडसे को जिंदाबाद कहा जाता है. मैं गोडसे जिंदाबाद पर चुप नहीं रह सकता हूं. मैंने ऐसे लोगों की कड़ी निंदा की है. जो लोग गांधी के आंदोलन को ड्रामेबाज कहते हैं वो देश के विकास के लिए काम नहीं कर सकते हैं. रोजगार, महंगाई पर बहस नहीं हो पाएगी यही ये लोग चाहते हैं.
CAA को लेकर उन्होंने कहा,'' संविधान में अमेंडमेंट करना और संविधान की अवहेलना करना दो अलग-अलग बात है. आज हमें रोजगार, जीडीपी की बात करनी चाहिए लेकिन हम इसमें उलझे रहे. सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है.''
आपातकाल भी संसद से पास कानून था, फैसला सड़कों ने किया- मनोज झा
वहीं आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने कहा, ''पिछले पांच वर्षों में देश की फिजा जहरीली हो गई है. अगर हम अपने अभी के सत्ता पक्ष के भाषा और भाव देखें तो हमारी ऐसी भाषा और भाव नहीं हो सकती. सीएए पर सरकार हम लोगों को बौद्धिक दिवालिया समझती है. हमें भी पता है कि यह नागरिकता देने का कानून है ना कि लेने का. अगर सरकार की ओर से यह तर्क दिया जाता है कि यह संसद से पास कानून है तो आपातकाल भी संसद से पास कानून था. लेकिन अगर सरकार नहीं चाहती कि भारत की हालत सीरिया जैसी ना हो तो यह कानून वापस ले लेना चाहिए.''
पहले भी नागरिकता देने का कानून था- गौरव भल्लव