'मुझे रंजन ने नहीं भगाया है. मैं खुद उसे लेकर भागी हूं.. परिवारवालों से रिक्वेस्ट है कि आप लोग अपने पावर का गलत इस्तेमाल मत कीजिए', ये कहना है बिहार के बेतिया कि एक लड़की मधुबाला कुमारी (21 वर्ष) का. उसने हाल ही में अपने प्रेमी के साथ भागकर विवाह किया था. अब मधुवाला ने एक वीडियो जारी कर अपने परिवार पर धमकी देने का आरोप लगाया है और पुलिस से सुरक्षा की मांग की है. 


लड़की को उस वीडियो में साफ कहते सुना जा सकता है कि वह अपनी मर्जी से पहले अपने मामा के घर आई और फिर लड़के को लेकर भागी. उसने कहा कि उसके प्रेमी पर लगाया गया अपहरण का केस झूठा है. 


ऐसा ही एक वीडियो दरभंगा की रूपांजलि का भी वायरल हो रहा है. रूपांजलि ने भी अपने प्रेमी राजकुमार के साथ भागकर शादी कर ली. लेकिन रूपांजलि के पिता ने उसके प्रेमी पर अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया. जिसके बाद उसने भी सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए अपनी आपबीती सुनाई और पूरे मामले को ही उलट दिया. 


वहीं मुजफ्फरपुर की शाजिया के घरवालों ने उसकी शादी किसी और से तय कर दी थी और वह निकाह से पहले घर छोड़कर भाग गई. भागने के कुछ दिन बाद उसका वीडियो सामने आया जिसमें वह अपने परिवार से गुहार लगाती नजर आई कि उसे और उसके परिवारवालों को परेशान ना किया जाए. उसने वीडियो में बताया कि उसने अपने प्रेमी से शादी कर ली है. 


बिहार में पिछले कुछ महीनों का आंकड़ा देखें तो ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं जिसमें लड़की के परिवारवाले अपने बच्ची के गायब हो जाने या उसकी किडनैपिंग का एफआईआर दर्ज करवाते हैं. गंभीर मामला समझ जब पुलिस इसकी जांच करती है और तह तक पहुंचती है तो पता चलता है कि पीड़िता की किडनैपिंग हुई ही नहीं थी. पुलिस जब लड़की को वापस लेकर आती है तो पीड़िता अपना अपहरण होने से इनकार करती है और कोर्ट में बयान देते हुए अपने प्रेमी के साथ रहने की बात स्वीकार करती है. 


ऐसे मामलों को ही पुलिस द्वारा हनीमून किडनैपिंग का नाम दिया गया है. इस टर्म का इस्तेमाल पुलिस शादी के लिए घर से लड़के-लड़कियों के भागने वाले मामले के लिए करते थे.


हर रोज भाग रहीं दस लड़कियां


पुलिस की एक रिपोर्ट की माने तो बिहार में पिछले 6 महीने में शादी के लिए भागने वाले ऐसे 1870 मामले सामने आए. जिसमें जनवरी महीने में 240 मामले दर्ज किए गए, फरवरी में 247, मार्च में 297, अप्रैल में 330, मई में 383, जून में 373 मामले सामने आए हैं. अगर इसी आंकड़े को हर दिन के हिसाब से देखा जाए तो बिहार में हर ढाई घंटे में एक प्रेमी जोड़ा घर से फरार हो रहा है. वहीं इस साल यानी 2022 में अबतक हनीमून किडनैपिंग के 2778 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार इस मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है. जहां 2020 में 5308 ऐसी घटनाएं हुईं थी, वहीं 2021 में 6589 मामले सामने आए.




हर साल बढ़ रही है घटनाएं 


समय के साथ इस तरह के मामलों में भी बदलाव आ रहा है. पहले लड़के लड़की को लेकर भागते थे और अब लड़की अपने प्रेमी को लेकर फरार हो रही है. इस बात का सबूत है सोशल मीडिया पर आने वाले वीडियोज जिसमें प्रेमिका आगे आकर खुलेआम एलान करती नजर आ जाती हैं कि वो अपने प्रेमी के साथ भागी है. साल 2015 में बिहार में प्रेम प्रसंग और शादी की नीयत से अपहरण के 4229 मामले सामने आए थे. वहीं 2016 में ये मामले बढ़कर 4652 हो गए. साल 2017 में अपहरण के मामलों के FIR में बढ़ हुई और 6217 मामले दर्ज किए गए. 2018 में 2017 की तुलना में 2000 केस की बढ़ोत्तरी हुई और करीब 8 हजार मामले दर्ज किए गए. 


क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट


इस मामले पर साइकोलॉजिस्ट अरुण का कहना है कि अगर साल दर साल ऐसे मामले बढ़ रहे हैं तो इसका कारण माता-पिता और बच्चों के बीच अंडरस्टैंडिंग का ना होना कहा जा सकता है. आज के दौर में परिवार अपने बच्चों को अच्छे स्कूल अच्छे कपड़े देने की रेस में इतना खो गया है कि वह अपने बच्चों से बात ही नहीं कर पाते हैं. माता पिता और बच्चों के बीच धीरे धीरे गैप इतना बढ़ने लगता है कि उन्हें किसी तीसरे व्यक्ति पर भरोसा होने लगता है और जिस पर आपको सबसे ज्यादा भरोसा है उसके साथ किसी भी तरह का गलत कदम उठाने से पहले वह नहीं सोचते. 


उन्होंने कहा कि ऐसे कदम उठाने वाले ज्यादातर लड़के लड़कियां 15 से 20 साल के अंदर के होते हैं. उस वक्त उनके शरीरिक, मानसिक के साथ जीवन में भी कई बदलाव आते हैं जिसे समझने और जिसके बारे में बात करने के लिए उन्हें एक भरोसेमंद इंसान की जरूरत होती है. ऐसे में वो मोबाइल फोन, स्कूल, ट्यूशन या अपने आसपास रहने वाले किसी एक व्यक्ति से जुड़ जाते हैं और इस तरह के कदम उठाते हैं. 




नहीं मिलता सपोर्ट


वकील रवि कहते हैं कि ज्यादातर मामलों में लड़के लड़की माता-पिता को बिना बताए घर से भाग जाते हैं. इसका कारण है उसके ही परिवार से उन्हें सपोर्ट नहीं मिलना. अधिकत्तर मामलों में जब परिवारवालों को अपने बच्चों के प्रेस प्रसंग के बारे में पता चलता है तो या तो वो उसे डांटने लगते हैं, उन पर कई बंदिशें लगाते हैं या फिर जल्दबाजी में कहीं और शादी करने की फैसला ले लेते हैं. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. इस परिस्थिति में परिवार वालों को अपने बच्चों की बात सुननी चाहिए और अगर उनका फैसला गलत है तो सबसे पहले उन्हें अपने बच्चे को भरोसे में लेना चाहिए और धीरे धीरे समझाना चाहिए कि उनका ये फैसला गलत है. 


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