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मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से कांग्रेस को हो सकता है नुकसान, समझिए कैसे?

आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के आरोप पर सीबीआई ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को रविवार को गिरफ्तार किया है.

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी कांग्रेस से लिए बड़ी समस्या बन सकती है. दरसअल मनीष सिसोदिया का जेल जाना हाल ही में हुई कई गिरफ्तारियों की कड़ी का हिस्सा नहीं हो सकता है. इसके पीछे बीजेपी की सोची समझी चाल भी हो सकती है जिससे आम आदमी पार्टी के जरिए कांग्रेस को नुकसान पहुंचा जाया सकता है. 

अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के कई घंटे बाद कांग्रेस की ओर से पार्टी के मीडिया विभाग के हेड जयराम रमेश ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी. 

जबकि दूसरी विपक्षी पार्टियां इस दौरान बीजेपी सरकार पर हमलावर हो चुकी थीं. हालांकि कई कांग्रेस के कई नेता अपने स्तर पर इस घटना पर बयान दे रहे थे. लेकिन कुछ गिरफ्तारी का समर्थन कर रहे थे तो कुछ इसके खिलाफ नजर आ रहे थे.

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की स्वागत करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी ने सत्ता का इस्तेमाल कर पैसा कमाया है. बता दें कि अनिल चौधरी ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा से शराब नीति के खिलाफ शिकायत भी की थी. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई से साबित होता है कि कांग्रेस और उसके कार्यकर्ताओं का आरोप सही था. उन्होंने कहा कि अगर ईमानदारी से जांच हुई तो दिल्ली के सीएम भी सलाखों के पीछे होंगे.

वहीं दूसरे कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी गिरफ्तारी का का स्वागत करते हुए कहा कि वो हैरत में थे कि इस कार्रवाई में देर क्यों हुई. लेकिन कांग्रेस की ही एक और नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाते हुए कहा, 'भगवान आपके साथ है मनीष जी. मैं सत्ता के दुरुपयोग को देखकर निराश हूं.

आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि उनको इस गिरफ्तारी से कोई आश्चर्य नहीं हुआ है. मेरे खुद के नेता ने सब झेला है. उन्होंने कहा कि इस तरह से काम करना अब एजेंसियों का तरीका बन गया है. अब सभी विपक्षी दल सोचें कि सबको साथ आना ही होगा. 

तृणमूल कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन  ने भी बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि अगर मनीष सिसोदिया बीजेपी वाशिंग मशीन में चले जाते तो उनकी गिरफ्तारी नहीं होती. उन्होंने कहा कि शिवसेना, अकाली दल, जेडीयू और टीडीपी ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है और अब सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स विभाग ही उनके सच्चे साथी हैं.

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से साबित हो गया है कि बीजेपी 2024 का चुनाव हार चुकी है.

इन सबसे अहम कांग्रेस की आधिकारिक प्रतिक्रिया थी जो सोमवार को आई. कांग्रेस के मीडिया विभाग के हेड जयराम रमेश ने कहा कि सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स विभाग ने प्रोफेशनल्जिम खो दिया है. ये सभी जांच एजेंसियां राजनीतिक बदला लेने का हथियार बन चुकी हैं. सरकार विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाकर उनकी छवि धूमिल कर रही है.  

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के एक दिन बाद कांग्रेस की ओर से आई इस प्रतिक्रिया में विपक्ष के सभी नेताओं को निशाना बनाने की बात कही गई है. कांग्रेस इस गिरफ्तारी को सिर्फ मनीष सिसोदिया तक ही सीमित नहीं रखना चाहती है. 

यही वजह जयराम रमेश ने किसी का न तो नाम लिया और न ही किसी एक एक केस का जिक्र किया. जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, 'कांग्रेस हमेशा से ही कहती रही है कि ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभाग मोदी सरकार में बदला लेने का हथियार बन चुके हैं'. यहां ध्यान देने वाली बात ये भी है कि कांग्रेस की यह प्रतिक्रिया उसके अपने नेताओं के बयानें से मेल नहीं खाती है.

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी कांग्रेस के लिए खतरा कैसे?
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस की पक्ष में उभरी भावनाओं को मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी आम आदमी पार्टी की ओर मोड़ सकती है. हो सकता है कि इसके पीछे बीजेपी की ही रणनीति भी हो सकती है.

दरअसल विपक्ष में आम आदमी पार्टी भले ही कांग्रेस, टीएमसी या किसी दूसरे दल की तुलना में दिल्ली, पंजाब तक ही सीमित हो लेकिन मोदी सरकार का विरोध और सामना जिस तरह इस पार्टी ने अब तक किया है वो एक विपक्ष के रूप में उस बीजेपी की याद दिलाती है जो कभी कांग्रेस के सामने खड़ी हो.

राष्ट्रवाद हो या हिंदुत्व की पिच आम आदमी पार्टी बीजेपी को हर मैदान में घेरने से नहीं चूकती है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के हाथों से पंजाब छीन लिया है दिल्ली में उसकी सरकार है और गुजरात में उसने कांग्रेस को तगड़ा नुकसान पहुंचा दिया है. 

सरल शब्दों में कहें तो गुजरात में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के पीछे राज्य में आम आदमी पार्टी का भी उभार रहा है. आम आदमी पार्टी अब बाकी राज्यों में भी खुद फैलाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. मध्य प्रदेश में आम आदमी पार्टी खासी सक्रिय है, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आप नेता काम कर रहे हैं. इन तीनों ही राज्यों में इसी साल विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. तीनों ही प्रदेशों में बीजेपी और कांग्रेस की सीधी टक्कर है.

दूसरी ओर बीजेपी भी पूरे देश में 'गुजरात मॉडल' लागू करने की कोशिश में है. मतलब अगर पार्टी को चुनाव जीतना है तो गुजरात की तरह ही विपक्षी वोटों का बिखराव जरूरी है. इन तीन राज्यों में अगर आम आदमी पार्टी गुजरात की तरह ही प्रदर्शन करती है तो निश्चित तौर पर यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.

गुजरात में बीजेपी ने 182 विधानसभा सीटों में 156 सीटें जीती हैं. इसमें आम आदमी पार्टी ने कई सीटों पर कांग्रेस के पक्ष में पड़ने वाले वोटों का बांटा है. अगर कुछ विश्लेषणों की मानें तो आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन की वजह से बीजेपी को कम से कम 50 सीटों पर बढ़त का फायदा मिला है. हालांकि कांग्रेस इसके लिए आम आदमी पार्टी को दोष नहीं दे सकती है क्योंकि हर पार्टी को अधिकार है कि वो अपने विस्तार के लिए काम करे. 

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी आम आदमी पार्टी को बूस्टर देने जा रहा है. इस पार्टी के पास भले ही सभी राज्यों में बीजेपी या कांग्रेस की तरह मजबूत संगठन न हो लेकिन अगर वो गुजरात की तरह ही वोट प्रतिशत पाने में कामयाब होती है तो भविष्य में मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका की सबसे बड़ी दावेदार बन सकती है. 

वहीं बीजेपी जरूर चाहेगी जिन राज्यों में उसके मुकाबले विपक्ष थोड़ा भी मजबूत है वहां आम आदमी पार्टी का उभार हो. कोई हैरत के बात नहीं है कि लोकसभा चुनाव 2024 तक आते-आते बीजेपी के हमले आम आदमी पार्टी पर बढ़ते चले जाएं.

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की टाइमिंग से ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जब कांग्रेस के सभी नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को सफल और अडानी समूह को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं उसी समय सिसोदिया की गिरफ्तारी सुर्खियां बन गईं. 

कांग्रेस की जगह लेने को तैयार है आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी के गठन हो या उससे पहले शुरू हुए अन्ना आंदोलन दोनों ने अब तक सबसे ज्यादा कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचाया है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा था. इस पर यूपीए सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में अन्ना आंदोलन की बड़ी भूमिका थी. इसके बाद दिल्ली में कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई. अब यहां पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी ही आमने-सामने की लड़ाई लड़ रही हैं. जबकि एक समय कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी थी. 

इसके बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 10 साल लगातार संघर्ष किया और कांग्रेस को हराकर अपनी सरकार बना ली. यहां पर अकाली दल को भी तगड़ा झटका दिया है. इसके बाद गुजरात में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. पार्टी फिलहाल पूरे देश में विपक्ष में कांग्रेस की जगह लेने की रणनीति पर काम करती दिख रही है.  

अब आम आदमी पार्टी कर्नाटक में भी काफी सक्रिय है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश में भी विपक्ष में उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में है. राजस्थान में भी पार्टी अपनी भूमिका बढ़ा रही है. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के विरोध में पार्टी के कार्यकर्ता जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. 

क्यों गिरफ्तार किए गए मनीष सिसोदिया
सीबीआई ने 2021-22 की आबकारी नीति (अब रद्द की जा चुकी) को लागू करने में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में रविवार शाम सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. अदालत में एक घंटे से अधिक समय तक चली सुनवाई के दौरान, सिसोदिया के वकील ने कहा कि उपराज्यपाल ने आबकारी नीति में बदलावों को मंजूरी दी थी, लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी निर्वाचित सरकार के पीछे पड़ी हुई है.  वहीं, जांच एजेंसी के वकील ने दलील दी कि गिरफ्तार किये गये उपमुख्यमंत्री को हिरासत में रखकर मामले में पूछताछ करने की जरूरत है. सीबीआई ने कहा कि सिसोदिया ने दावा किया है कि मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन जांच से यह पता चला कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से फैसले लिये थे.

क्या हैं आरोप
साल 2022 के जुलाई महीने में सीबीआई ने जांच शुरू की थी. दरअसल दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एलजी विनय कुमार सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें आरोप था कि मनीष सिसोदिया ने शराब लाइसेंस देने में कई वेंडरों को 'अनुचित लाभ' दिया है और बदले में उनको 'रिश्वत' और 'कमीशन' दिया गया है. इस पैसा का आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किया है.

 

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