इंडिया के राष्ट्रपति के बजाय 'भारत के राष्ट्रपति' के नाम पर भेजे गए G20 रात्रिभोज के निमंत्रण को लेकर मंगलवार को केंद्र और विपक्षी दलों के बीच विवाद और बहस जारी है. देश का नाम बदलने के पक्ष में लोगों ने कहा कि भारत शब्द देश के इतिहास और संस्कृति में गहराई से बसा हुआ है. बता दें कि संविधान के अनुच्छेद-1 में लिखा है, 'इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा'. इस लाइन की व्याख्या राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हिसाब से कर रही हैं.
प्राचीनकाल से भारत देश के अलग-अलग नाम रहे हैं. जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान और इंडिया, लेकिन इन सभी में सबसे ज्यादा 'भारत' नाम ही बोला गया है. साथ ही देश के नामकरण को लेकर सबसे ज्यादा धारणाएं और तर्क भी भारत को लेकर ही हैं. जिस तरह भारतीय संस्कृति में विविधिता देखने को मिलती है वैसे ही देश के कई नाम भी अलग-अलग कालखंडों में देखने को मिलते हैं.
क्या हैं तर्क?
जो लोग इंडिया शब्द के खिलाफ हैं उनका कहना है कि 'भारत' का प्राचीन नाम यही था. जो हिंदू धर्मग्रंथ महाभारत में भी देखने को मिलता है. महाभारत में भरत, राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के बेटे थे. उनकी कहानी महाभारत के आदि पर्व यानी शुरुआती पुस्तक में ही बताई गई है. ऐसा कहा जाता है कि भरत राजवंश की स्थापना के साथ ही देश का नाम भारत पड़ा.
एक कहानी ये भी है कि 'भारत' नाम किसी व्यक्ति विशेष का न होकर एक जाति-समूह का था. ये सरस्वती नदी या आज के घग्घर के कछार में बसे थे जो यज्ञप्रिय अग्निहोत्र थे. कहा जाता है कि इन्हीं भरतजन के नाम से उस समूचे भूखण्ड का नाम भारतवर्ष पड़ गया. विद्वानों की मानें तो भरत जाति के मुखिया सुदास थे. कहा जाता है ये जाति महाभारत काल से भी ढाई हजार साल पहले थी.
क्या है शोधकर्ताओं की राय?
शोधकर्ताओं का कहना है कि 'भारत' नाम की उत्पत्ति की कई कहानियां हैं. एक परिभाषा ये है कि इसे संस्कृत के शब्द "भ्र" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "सहन करना" या "पालन करना". इस संदर्भ में, 'भारत' को धर्म (धार्मिकता) और सभ्यता को कायम रखने या साथ देने वाली भूमि के रूप में समझा जा सकता है.
विष्णु पुराण में भी भारतवर्ष को भारतीय उपमहाद्वीप में फैले विशाल क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. ये नाम 'भारत' नाम और उस भूमि के बीच संबंध को दिखाता है जिसे अब भारत के नाम से जाना जाता है.
अशोक के शिलालेखों में मिला 'भारत' का जिक्र
प्राचीन भारतीय इतिहास में भी देश के नाम के चिन्ह मिलते हैं. जैसे सम्राट अशोक (लगभग 269-232 ईसा पूर्व) के शासनकाल के दौरान शिलालेखों पर देश के नाम का वर्णन "भारत" के रूप में किया गया है.
बाद की शताब्दियों में भी कई राजवंशों और शासकों ने अपने क्षेत्रों को दर्शाने के लिए "भारत" शब्द का इस्तेमाल किया था. एक देश के रूप में "भारत" का नाम कई राजवंशों के आने और उनके पतन के बाद भी कायम रहा.
स्वतंत्रता के इतिहास में "भारत"
ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई में भी "भारत" नाम ने खास भूमिका निभाई थी. वहीं कांग्रेस ने भी शुरुआत से ही देश के अलग-अलग क्षेत्रों और लोगों के बीच राष्ट्रीय पहचान और एकता की भावना को बताने के लिए "भारत" शब्द से संबोधित किया. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत माता की छवि और 'भारत माता की जय' का नारा भी प्रमुखता से उभरा था.
क्या कहता है ऋग्वेद
लगभग 1500 ईसा पूर्व ऋग्वेद को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है. जिसमें इस देश को 'आर्यावर्त' बताया गया था. जिसका अनुवाद आर्यों की भूमि कहा जाता है. इसे जम्बु द्वीप भी कहा गया, इसके पीछे की मान्यता देखें तो, जामुन फल को संस्कृत में 'जम्बु' कहा जाता है. ऐसे कई उल्लेख हैं कि इस भूमि पर यानी आज के भारत में किसी काल में जामुन के पेड़ बहुत अधिक मात्रा में हुआ करते थे. इसी वजह से इसे जम्बु द्वीप भी कहा गया. हालांकि जहां तक जम्बु की बात है, ये भारत देश का सबसे पुराना नाम है. जिसके बाद इस भूमि के कई नाम बदले गए.
इतिहास में भारत के कितने नाम?
पूरे इतिहास में भारत देश के कई नाम सामने आते हैं. जैसे (322–185 ईसा पूर्व) भारत को चंद्रगुप्त मौर्य के शासन में मौर्य वंश की तर्ज पर "मौर्य देश" के रूप में जाना जाता था. इसके अलावा स्वर्णकाल (320–550 ईसा पूर्व) यानी गुप्त वंश के शासन में भारत को "आर्यावर्त" के रूप में जाना जाता था. वहीं 7वीं सेंचुरी में जब इस्लाम ने भारत में राज किया तो देश को "हिंदुस्तान" नाम दिया गया. 1526-1857 तक मुग़ल साम्राज्य ने "हिंदुस्तान" शब्द का उपयोग जारी रखा.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने फिर बदला नाम
18वीं और 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत का नाम "ब्रिटिश इंडिया" कर दिया. ये भारतीय इतिहास में एक बड़ा बदलाव था. ये वही दशक था जब "भारत" शब्द स्वतंत्रता सेनानियों के बीच प्रचलित हुआ. जिसका मुख्य कारण ब्रिटिश शासन से छुटकारा पाना था.
जब अंग्रेजों से भारत को आजादी मिली तो देश में इंडिया और भारत दोनों ही शब्दों को इस्तेमाल जारी रहा. सरकारी कामों में भी ये देखने को मिला. अब सविंधान में दर्ज "इंडिया देट इज भारत" को बदलकर केवल भारत करने की मांग की जा रही है. जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है.
हालांकि अब भी देश के नाम पर कई शोध चल रहे हैं. शोधकर्ता अभी भी इसके इतिहास की तलाश में जुटे हुए हैं. वहीं अब संविधान में इसे बदले जाने के लिए इसके पक्ष में लोग अपनी अलग राय दे रहे हैं. तर्क देने वाले भी पुस्तकों में इसके अलग-अलग प्रमाणों की तलाश कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की ओर से जारी निमंत्रण पत्र खासा वायरल हो रहे हैं. विपक्षी पार्टीयों का कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी विपक्षी गठबंधन से डर गई हैं, तो वहीं सत्तापक्ष के नेताओं का कहना है कि 'भारत' शब्द के इस्तेमाल में कुछ भी गलत नहीं है.