कोरोना के कहर ने देश को तबाह कर दिया है. देश के परिवारों ने अपने लोगों को खोया है. वहीं दूसरी तरफ जिन परिवारों में इस बीमारी ने तांडव मचाया है, उस परिवार में आर्थिक परेशानी में उसकी कमर तोड़ दी है. जो पैसे उन्होंने घर खरीदने, शिक्षा पर खर्च करने या सैर पर जाने के लिए बचा कर रखे थे, वह ऑक्सीजन खरीदन, अस्पताल में भर्ती होने या दवाई खरीदने में खर्च दिए. लाखों परिवारों को बाहर से कर्ज लेना पड़ा. टीओआई में छपी खबर के मुताबिक 24 साल का सक्थि प्रशांत के पास एक साल पहले सब कुछ था लेकिन आज उसके पास कुछ नहीं है. प्रशांत मास्टर डिग्री के लिए 2020 में कनाडा जाना चाहता था. इसके लिए वह महामारी का प्रकोप कम होने का इंतजार कर रहा था लेकिन बाद में उन्हें और उनके पिता कोरोना से संक्रमित हो गए. अस्पतालों के चक्कर में सेविंग के 12 लाख रुपये खर्च हो गए. अब उनके पास कुछ भी नहीं है कि वे कनाडा जा सके. ऐसे में उनका सपना धूमिल होने लगा है. हालांकि कुछ दोस्त उनके लिए क्राउड फंडिंग की व्यवस्था में लगे हुए हैं. 


66 हजार करोड़ अस्पतालों पर अतिरिक्त खर्च 
प्रशांत इस मामले में अकेले नहीं है. उनके साथ देश के करोड़ों लोग हैं जिनकी मेहनत की कमाई अस्पतालों के चक्कर में जाया हो रहा है. जिंदगी बचाना लोगों की फिलहाल पहली प्राथमिकता है. इसलिए अस्पतालों में सबसे ज्यादा खर्च हो रहे हैं. हाल ही में एसबीआई  SBI की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि देश में इस साल लोगों ने 66,000 करोड़ रुपये अस्पतालों पर अतिरिक्त खर्च किए हैं. कोविड से पहले कभी भी हेल्थकेयर पर भारत ने इतना रुपये खर्च नहीं किया था. 


आमदनी में कई गुना की कमी
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति ने हेल्थकेयर पर 100 रुपये खर्च किया है तो उसमें से 65 रुपये उसे अपने पास से यानी अपने पॉकेट के खर्च से किया है. चीन में यह आंकड़ा मात्र 35 प्रतिशत है जबकि थाईलैंड में हेल्थकेयर पर कोरोना के बावजूद अपने तरफ से लोगों को सौ में से 10 रुपये ही खर्च करने पड़े. SBI की रिपोर्ट के मुताबिक यह अनावश्यक खर्च लोगों को कई वजहों से करने पड़ रहे हैं. एक तो अचानक महामारी में लोगों को अस्पताल जाना पड़ रहा है, दूसरी ओऱ मेडिकल सर्विस और मेडिसीन की दर में अचानक वृद्धि कर दी. सबसे बड़ी चोट इस बात की लगी गरीब से अमीर तक हर किसी की आमदनी में कई गुना की कमी हो गई. Centre for Monitoring Indian Economy (CMIE)  की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 97 प्रतिशत लोगों की आमदनी में कमी आई है. 


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