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मैं संसद बोल रही हूं...मैंने देखा है नियति से साक्षात्कार, अंधकार से अमृतकाल...मुझे भूल न जाना
'मैं भारत की संसद हूं..मैं नेहरू से लेकर पीएम मोदी तक के राजनीतिक इतिहास की साक्षी हूं. भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए नई इमारत तैयार है. मेरी यात्रा के समाप्त होने का वक्त आ गया है'
मैं संसद बोल रही हूं... 96 सालों से चली आ रही मेरी यात्रा अब खत्म को होने को है. नई संसद बदलते भारत के लोकतंत्र की रक्षा के लिए तैयार है. लेकिन मुझे भूल न जाना. मैं भारत के अंधकारकाल से लेकर अमृतकाल
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शंभू भद्रएडिटोरियल इंचार्ज, हरिभूमि, हरियाणा
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