ABP Ideas of India Live: विरोधियों को यही कहूंगा की राजनीति में कोई हार अंतिम नहीं होती- नितिन गडकरी
ABP Ideas of India Summit 2022 Day 1 Live: एबीपी नेटवर्क ने आइडियाज ऑफ इंडिया समिट का आयोजन किया है जो 25 और कल 26 मार्च को मुंबई में हो रहा है. इसमें कई हस्तियां अपने विचार प्रस्तुत कर रही हैं.
'द कश्मीर फाइल्स' को टैक्स फ्री करने के मुद्दे पर नितिन गडकरी ने कहा, "हर राज्य सरकार का अपना अधिकार है कि किस फिल्म को टैक्स फ्री करना है या नहीं. जो राज्य सरकार टैक्स फ्री करना चाहती है करे, जो नहीं करना चाहती नहीं करे. ये राज्य सरकार का अधिकार है और इसका सम्मान करना चाहिए."
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "इलेक्ट्रिक बस में 1200 फीसदी राइज देखा गया है, इलेक्ट्रिक कार की वेटिंग लिस्ट शुरू हो गई है. वो दिन दूर नहीं जब पेट्रोल डीजल पर हमारी निर्भरता कम होगी."
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "विरोधियों को यहीं कहूंगा की राजनीति में कोई हार अंतिम नहीं होती. हम भी दो सीटों आने पर रूके नहीं चलते रहे. "
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "जात-पात,धर्म संप्रदाय के आधार पर भेदभाव हमें मंजूर नहीं है. हिंदुत्व के बारे सुप्रीम कोर्ट ने भी व्याख्या की है. हिंदु्त्व जीवन पद्धति है. हिंदुत्व का अर्थ एंटी मुस्लिम, आंटी क्रिशियन नहीं है. हमने अपनी हर स्कीम में सबको फायदा पहुंचाया."
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "राष्ट्रवाद, गुड गर्वनेंस और अंत्योदय हमारी पार्टी के तीन स्तंभ है. अंतिम व्यक्ति को जब रोटी,कपड़ा और मकान मिलेगा उस दिन हमारा लक्ष्य पूरा होगा."
लिएंडर पेस ने कहा- "किरण रिजिजू मेरे पसंदीदा खेल मंत्री हैं. खेलो इंडिया का नारा बहुत प्रभावकारी सिद्ध हुआ. खेलो इंडिया स्लोगन और रिजिजू का नजरिया वो कारण थे जिसकी वजह से टोक्यो ओलंपिक में हमने इतने मेडल जीते.
पूर्व हॉकी खिलाड़ी जफर इकबाल ने कहा, " उड़ीसा मॉडल से हॉकी को बहुत फायदा हुआ है.हर स्टेट को अलग-अलग खेलों के लिए ऐसे ही मॉडल को फॉलो करना चाहिए."
एथलीट अंजू जॉर्ज ने कहा,"मैं हमेशा बच्चों से कहती हूं कि किसी की तरफ मत देखो, हर किसी का टैलेंट अलग होता है, खुद को पहचानों और उसके मुताबिक खेलो."
कपिल देव ने कहा कि हमें जरुरत है कि देश में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर हो ताकि बच्चे अपनी पसंद का खेल चुन सकें. हम अभी तक कामयाब खिलाड़ी देख सके हैं तो सिर्फ इसलिए कि उनमें खेल के लिए पैशन था लेकिन अब इसे बदलना चाहिए. खेलों से जुड़ी सुविधाएं बच्चों तक पहुंचनी चाहिए.
पूर्व टेनिस खिलाड़ी और ओलंपिक पदक विजेता लिएंडर पेस ने कहा, "मेरी समझ में स्पोर्ट पूरे देश को एक कर सकता है. एक सच्चे लोकतंत्र की मजबूती के लिए खेल बड़ी भूमिका अदा करता है."
पूर्व क्रिकेटर कपिल देव ने कहा कि हमारे टाइम में माता-पिता से छुपकर, चोरी-चोरी खेल खेला जाता था. अब माता-पिता खुद बच्चों को ग्राउंड पर लेकर आते हैं ताकि बच्चे खिलाड़ी बन सके.
विद्या बालन का कहना है कि खुद को स्वीकार करना और खुद से प्यार करना बेहद जरूरी है. हरेक शख्स को खुद के लिए स्वीकार्यता होनी चाहिए और जैसे हम हैं, वैसे पसंद करना चाहिए. खुद को दुनिया के लिए बदलना तभी चाहिए जब वो मानवता के लिए जरूरी हो.
विद्या बालन का कहना है कि कोई भी फिल्म फ्लॉप होती है तो इसके लिए जरूर बुरा लगता है और लगता है कि क्या बदल गया है. ऐसा लगता है कि लोग आपको अब और प्यार नहीं करते लेकिन फिल्म के फ्लॉप होने के पीछे बहुत से कारण होते हैं और सबपर आपका जोर नहीं होता.
विद्या बालन का कहना है कि इश्किया फिल्म करते समय मुझे लगा कि ये अन्य फिल्म की तरह हो सकती है लेकिन इसने वास्तव में मेरे लिए सबकुछ बदल दिया, ये फिल्म मेरे लिए गेमचेंजर की तरह साबित हुई. हमें लोगों का फैसला स्वीकार करना होता है और फिल्म की सफलता-असफलता को समान तरीके से स्वीकार करना आना चाहिए.
विद्या बालन ने ऑनर किलिंग के मुद्दे पर कहा कि ये किस तरह की सोच है और क्या किसी का ऑनर महिला के कंधों पर निर्भर होना सही बात है. ऑनर किलिंग के विचार से ही ऐसा लगता है कि कोई इस तरह की सोच कैसे रख सकता है.
विद्या बालन का कहना है कि मैं एक मजाकिया इंसान हूं और खुद पर हंसने में मुझे कोई झिझक नहीं है. मैं अपना काम पसंद करती हूं लेकिन साथ ही साथ मुझे मेरे परिवार के साथ समय बिताना भी बेहद पसंद है. मैं जानती हूं कि एक एक्ट्रेस के लिए सभी चीजों को सही से निभाना एक चैलेंज है लेकिन मैं इस चैलेंज को स्वीकार करती हूं.
विद्या बालन का कहना है कि वो 'द डर्टी पिक्चर' करते समय बेहद कम्फर्टेबल नहीं थीं पर उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया. एक एक्टर के रूप में मैं किसी इमेज के बंधन में बंधना नहीं चाहती हूं. मुझे लगता है कि द डर्टी पिक्चर करना बेहद सही फैसला था जिसने मेरे भीतर का साहस भी बढ़ाया.
विद्या बालन का कहना है कि वो फिल्मों के लिए पैशिनेट हैं और वो कुछ ऐसे रोल्स करना चाहती हैं जो जीवन के विभिन्न आयामों को दिखा सकें. शकुंतला देवी में भी उन्हें ऐसा किरदार निभाने का मौका मिला और वो खुश हैं कि वो फिल्म उन्होंने की.
विद्या बालन ने कहा कि जब जलसा के लिए डायरेक्टर पहली बार उनके पास आए तो वो मना कर रही थीं क्योंकि उनको लग रहा था कि वो इस तरह के किरदार को निभा सकती हैं. उन्हें ये वास्तव में बेहद चुनौतिपूर्ण लग रहा था. हालांकि लॉकडाउन के समय उन्हों अपने विचार बदलने का मौका मिला और उन्होंने इस मूवी के लिए हां कर दी. वे बेहद खुश हैं कि उन्होंने ये फिल्म की.
एबीपी आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 के मंच पर अगली वक्ता एक्ट्रेस विद्या बालन होंगी.
आदित्य ठाकरे का कहना है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर ये नहीं कहा जा सकता है कि फलां नेता ने उसका सारा भार अपने कंधे पर ले सकता है. ये एक तरह की कैंपेनिंग होती है और चुनावों में इसका उपयोग जमकर किया जाता है. मेरी उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को शुभकामनाएं हैं. आदित्य ठाकरे ने ये भी कहा कि हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना की जो विचारधारा है वो आज की नहीं बल्कि पुरानी है जिसपर पार्टी आज भी काम कर रही है.
'द कश्मीर फाइल्स' को टैक्स फ्री करने के सवाल पर आदित्य ठाकरे ने कहा कि ऐसी फिल्मों को टैक्स फ्री करने की जरूरत नहीं लग रही है क्योंकि लोग स्वंय जाकर पैसा खर्च करके इस फिल्म को देखने जा रहे हैं. हमारा मानना है कि किसी भी फिल्म को बनाने का अधिकार निर्माताओं के पास है और वो इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. लोग अपनी मुखर प्रतिक्रिया दे रहे हैं लेकिन सरकार के लिए ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि वो हरेक बात पर अपना रिएक्शन दें.
आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमारे पास लोगों का प्यार है और इसी के सहारे हम अपना कार्य अच्छे से कर पा रहे हैं. परिवार के लिए हम कभी अपने राज्य को पीछे नहीं होने देंगे और इसकी तरक्की के लिए लगातार प्रयासरत हैं.
आदित्य ठाकरे ने कहा कि हम सारे देश को परिवार मानते हैं और महाराष्ट्र के सभी निवासी हमारे परिवार हैं ही. परिवारवाद की बात करें तो मेरे दादाजी दिवंगत बालासाहेब ठाकरे, मेरे पिताजी उद्धव ठाकरे और मैं भी केवल परिवार के लिहाज से नहीं सोचते रहे. अगर ठीक काम किया जाए तो लोग स्वीकार करते हैं वर्ना आपको बाहर कर देते हैं. पार्टी की धारणा भी येही रही कि रास्ते बनाए जाएं, स्कूल-हॉस्पिटल का निर्माण किया जाए और कई तरह के कंस्ट्रक्टिव कार्य किए जाएं.
आदित्य ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में रोजगार के मौके इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि यहां पर्यावरण और पर्यटन दोनों के क्षेत्र में रिवॉल्यूशन लाया जा रहा है. पर्यावरण के मामले में ग्रीन एनर्जी, रिन्यूएबल एनर्जी और सोलर एनर्जी पर बड़ा काम हो रहा है जिससे जॉब्स के मौके बन रहे हैं. पर्यटन के मामले में राज्य में कई तरह की जॉब्स क्रिएशन पर ध्यान दिया जा रहा है.
आदित्य ठाकरे ने कहा कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट यानी टिकाऊ विकास के लिए महाराष्ट्र में कई काम किए जा रहे हैं. 11,000 से ज्यादा मैंग्रोव वृक्ष लगाए जा रहे हैं, सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर काफी पहले बैन किया था और इसी को लेकर देश के अन्य राज्यों में भी धीरे धीरे जागरुकता आई है.
महाराष्ट्र सरकार में पर्यटन और पर्यावरण मंत्री और युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने कहा कि कई राज्यों में पर्यावरण और पर्यटन को ज्यादा अहमियत नहीं मिलती है लेकिन महाराष्ट्र के मामले में ऐसा नहीं है. ये राज्य पर्यटन के मामले में बेहद समृद्ध है और इसके बारे में अभी भी जागरुकता फैलानी जरूरी है. भारत के लिए महाराष्ट्र ने कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं जिसमें पर्यावरण और पर्यटन दोनों को अहमियत दी गई है.
महाराष्ट्र सरकार में पर्यटन मंत्री और युवा सेना के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे एबीपी नेटवर्क के आइडियाज ऑफ इंडिया कार्यक्रम में अगले वक्ता होंगे.
एन आर नारायणमूर्ति का कहना है कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं से लेकर डिजिटल उपक्रमों के लिए जरूरी है कि वो तेज और कारगर फैसलों की सोच पर काम कर सकें. डिजिटल युग में हम जितनी तेजी से काम कर पाएंगे उतना ही तेजी से आगे बढ़ने की राह पर सशक्त दिखाई देंगे.
एन आर नारायणमूर्ति का कहना है कि देश में डिजिटलाइजेशन का फायदा हरेक शख्स तक पहुंचाने के लिए सरकार और इंडस्ट्री को मिलकर काम करना होगा. डिजिटलाइजेशन से देश के लोगों के लिए कई बातों में आसानी होगी और ये साथ ही साथ देश के ग्लोबल बेंचमार्क के स्टैंडर्ड्स पर खरा उतरने के लिए भी जरूरी है. सॉफ्टवेयर कंपनियों का इस क्षेत्र में बड़ा योगदान है और आगे भी होगा.
एन आर नारायणमूर्ति का कहना है कि देश में कई समस्याएं तो इसलिए हैं क्योंकि अनस्किल्ड युवाओं के पास नौकरी के सही मौके नहीं हैं. आईटी कंपनियों को भी ट्रेंड एंप्लाई मिलने में दिक्कत होती है. भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियां दुनियाभर में धूम मचा रही हैं और ग्लोबल लॉकडाउन जैसे समय में भी आईटी कंपनियों ने बेहतरीन कार्य किया है. आईटी कंपनियों ने क्वालिटी और सर्विसेज की स्पीड से समझौता नहीं किया और इसका फायदा उन्हें मिला. ऐसी कंपनियों के लिए स्किल्ड ट्रेनिंग की जरूरत होती है जिस पर जोर दिया जाना चाहिए.
एन आर नारायणमूर्ति का कहना है कि देश में बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए तकनीकी कौशल पर ध्यान देना होगा. तकनीक के माध्यम से देश के लोगों का भविष्य बेहतर बनाया जा सकता है. हमारे देश में अपार संभावनाएं हैं जिनका इस्तेमाल करके हम वर्ल्ड क्लास सर्विसेज के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं. सरकार के साथ-साथ उद्योगों को भी इस बात को समझना होगा कि एकसाथ मिलकर ही देश का भविष्य उज्जवल बनाया जा सकता है.
इंफोसिस के फाउंडर और चेयरपर्सन एमिरेट्स एन आर नारायणमूर्ति का कहना है कि देश में नए भविष्य की रूपरेखा बनानी है तो ट्रांसपरेंसी से लेकर क्वालिटी ऑफ गुड्स पर भी ध्यान देना चाहिए. सर्विसेज की स्पीड से लेकर एजूकेशन सेगमेंट पर पूरा ध्यान देना होगा.
ABP Ideas of India Live के मंच पर अब इंफोसिस के फाउंडर और चेयरपर्सन एमिरेट्स एन आर नारायणमूर्ति अगले वक्ता होंगे.
अपग्रैड (UPGRAD) के को-फाउंडर फाल्गुन कोंपाली ने ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर कहा कि, इंफ्रास्ट्रक्चर की सबसे ज्यादा कमी है. इसीलिए दूरदराज के कस्बों और गांवों तक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर आसानी से पहुंचाया जा सकता है. हमें इसे लेकर काम करना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि आने वाले सालों में ये तेजी से होगा और ऑनलाइन एजुकेशन सभी के लिए होगी.
सुमीत मेहरा ने कहा कि, जब कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो वो ये चाहते हैं कि जब वो कॉलेज में जाएं तो वो अपनी आगे की जिंदगी के लिए पूरी तरह तैयार रहें. लेकिन आमतौर पर स्कूलों में ज्यादातर बच्चों में वो स्किल नहीं होती हैं, जिससे उन्हें अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल सके. स्कूल सिर्फ एग्जाम के लिए तैयार करते हैं, उन्हें कैसे जिंदगी जीनी है उसके लिए नहीं. बच्चों को कम्युनिकेशन के लिए तैयार नहीं किया जाता, सोचने के लिए तैयार नहीं किया जाता, बेसिक सिटिजनशिप के लिए और एक अच्छा इंसान बनने के लिए उन्हें तैयार नहीं किया जाता है.
आनंद कुमार की जिंदगी पर फिल्म सुपर 30 बन चुकी है, जिसमें ऋतिक रोशन ने उनका किरदार निभाया था. जब आनंद से इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, स्क्रिप्ट तो 8 साल पहले ही लिखकर तैयार कर ली गई थी, लेकिन इस देहाती मास्टर पर फिल्म बनाने के लिए कोई तैयार नहीं था. लेकिन एक समय आया, जब लोग मेरे पास आने लगे कि हम आपकी फिल्म बनाएंगे. लेकिन ऋतिक जी की बात ही कुछ और थी. उन्होंने इस फिल्म के लिए काफी ज्यादा मेहनत की.
फाल्गुन कोंपली का कहना है कि देश में इस समय अच्छे ऑनलाइन माध्यम सामने आ रहे हैं जो उनके सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है. बच्चे फिजिकल क्लास के साथ-साथ ऑनलाइन क्लासेस के जरिए भी बहुत कुछ सीख रहे हैं. देश में ऑनलाइन एजूकेशन के लिए इंफ्रास्टक्चर डेवलप हो रहा है जिसका फायदा भी देखा जा रहा है. बच्चों को क्वलिटी एजूकेशन देना भी संभव है.
सुपर 30 के आनंद कुमार का कहना है कि जब दो साल से स्कूल नहीं खुले थे और बच्चों के सामने शिक्षा जारी रखने की समस्या थी तब निश्चित तौर पर ऑनलाइन एजूकेशन के क्षेत्र में बड़ा काम हुआ. हालांकि 12 साल के बच्चे को और अधिक पढ़ाई में लगाया जा सकता है क्योंकि उसकी वीडियो गेम में जैसी रुचि है वैसी ही पढ़ाई के और माध्यमों में भी पैदा की जा सकती है. हालांकि देश के कई स्कूल ऐसे हैं जो अच्छे टीचर्स की कमी से जूझ रहे हैं और बच्चों के लिए अच्छी पढ़ाई हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है.
अपग्रेड के को-फाउंडर फाल्गुन कोंपली का कहना है कि विश्व स्तरीय शिक्षा पद्धति से मुकाबला करने के लिए भारत में अभी भी काफी चुनौतियां हैं. मेरा एक्सपीरिएंस ये कहता है कि ऑनलाइन एजूकेशन के जरिए बच्चों को ऐसे समय में भी सिखाया जा सकता है जब फिजिकल क्लासेस नहीं संभव हो पा रही हों. लॉकडाउन के चलते बच्चे शिक्षा से वंचित होने से बच गए. हालांकि ऑनलाइन एजूकेशन के सामने भी कई चैलेंजस हैं लेकिन इसको एक अच्छे टूल के रूप में देखा जाना चाहिए न कि किसी बाधा के रूप में.
Lead के को-फाउंडर और सीईओ सुमीत मेहता का कहना है कि ऑनलाइन एजूकेशन ने बच्चों के पढ़ने के तरीके पर काफी असर डाला है और निश्चित तौर पर इसका असर देखा जा रहा है. हालांकि देश में अभी भी शिक्षा का जो स्तर है, वो उठाने की जरूरत है. बच्चों को जो पढ़ाया जा रहा है वो उनके लिए नौकरी करने का आधार नहीं बन पा रहा है.
ABP Ideas of India Live: लेखक चेतन भगत के सवाल के जवाब में सुपर 30 के फाउंडर आनंद कुमार का कहना है कि भारत में टीचर की पढ़ाने की कला खत्म होती जा रही है. बड़ी कंपनियों के संदर्भ में ये कहा जा रहा है कि उनके पास इतना पैसा है और उसे ही सबकुछ समझो. लेकिन इस तरह की सोच से आम अध्यापक के लिए असमंजस की स्थिति आ गई है और वो नए परिप्रेक्ष्य में अपने को फिट करने की छटपटाहट में है.
ABP Ideas of India के मंच पर अब Super 30 के फाउंडर आनंद कुमार, Lead के को-फाउंडर और अपग्रेड के फाल्गुन कोंपली आ चुके हैं.
प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि देश में प्रॉपर्टी मार्केट में जॉब के मौके बन रहे हैं और लोगों के पास काम करने का अवसर आ रहा है. प्रॉपर्टी मार्केट में भी हम वर्ल्ड क्लास स्टैंडर्ड्स को फॉलो कर रहे हैं और अपने उत्पादों के लिए बेहतर मौके बना रहे हैं.
अंकित डागा का कहना है कि देश के कई प्रोडक्ट्स ऐसे हैं जो यहां के लोगों, वातावरण और अन्य जरूरतों के आधार पर बनाए जाते हैं, वो निश्चित तौर पर कई विदेशी ब्रांड से बेहतर हैं क्योंकि वो यहां की परिस्थिति के आधार पर बनाए गए हैं. इस समय भारत में कई मौके बन रहे हैं जिनका फायदा छोटे उद्योग उठा रहे हैं लेकिन अगर लोगों का सपोर्ट नहीं मिलेगा तो इनको आगे बढ़ने में दिक्कत होगी.
अभिषेक अग्रवाल का कहना है कि मेक इन इंडिया के तहत बड़े पैमाने पर भारतीय मैन्यूफैक्चरिंग हो रही है और इसके लिए लोगों को खुलकर सपोर्ट भी करना होगा. अगर हम एक इटेलियन ब्रांड और इंडियन ब्रांड की तुलना करें तो हो सकता है कि इसमें इटेलियन ब्रांड को वरीयता मिल जाए लेकिन सिर्फ विदेशी होने के चलते किसी भी वस्तु को भारतीय ब्रांड से बेहतर मानना सही नहीं है. भारत में भी ब्रांड स्ट्रेटजी के चलते काफी अच्छे प्रोडक्ट आ रहे हैं. जहां तक हमारे सेगमेंट यानी लाइफस्टाइल की बात करें तो इसमें काफी अच्छे ब्रांड आ रहे हैं.
प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि भारत के व्यापार को अगर ग्लोबल तौर पर स्थापित करना है तो इसके स्टैंडर्ड्स को ग्लोबल स्टैंडर्ड पर खरा उतरना होगा. जो ग्लोबल स्टैंडर्ड हैं वो मैच करने होंगे और ऐसा हो भी रहा है. भारत में अभी इस दिशा में काफी काम होना है और इसके लिए कंपनियां जमकर मेहनत कर भी रही हैं जिसका असर दिख रहा है.
अंकित डागा का कहना है कि इस समय कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए तेजी से काम करना ज्यादा जरूरी हो चला है. भारत के लोगों और भारत के लिए ट्रेड के मोर्चे पर काफी भरोसा आया है और इसकी बड़ी वजह ब्रांड्स की कई मायनों में मार्केटिंग भी है. इसमें सोशल मीडिया भी शामिल है.
स्ट्रेटेजी ओजोन इंडिया के प्रेसिडेंट अभिषेक अग्रवाल ने इंडियन और वेस्टर्न ब्रांड्स को लेकर कहा कि, इंडियन ब्रांड्स की ताकत दुनियाभर में फैल रही है. हालांकि कई लोग इंडियन मैन्युफैक्चरर्स की क्वालिटी पर भरोसा नहीं करते हैं. ये माना जाता है कि अगर ये भारत में बना है तो क्वालिटी हाई नहीं होगी, लेकिन हमें ब्रांड इंडिया पर भरोसा करना होगा, ऐसा नहीं है कि विदेशी कंपनी है तो उसका ही सब कुछ सही होगा.
प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि, कोरोना के दौरान काफी कुछ बदला, लोगों ने अपने माकिन मालिक में काफी बदलाव देखे. लोगों ने इसके बाद घर खरीदने शुरू किए. जैसे ही अनलॉक हुआ लोगों ने जमकर घर खरीदने शुरू कर दिए. लोगों ने कहा कि, हम समझ गए कि अपना घर होना जरूरी है.
सिग्नेचर ग्लोबल ग्रुप के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि, 2015 में मोदी जी ने हाउसिंग फॉर ऑल 2022 पॉलिसी लॉन्च की. लेकिन 2021 में ही इसे लेकर काफी ज्यादा काम कर लिया गया. प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाएं लाई गईं. आज की तारीख में अफॉर्डेबल हाउसिंग से नौकरियां मिल रही हैं, वहीं लोगों को सस्ते दाम पर घर मिल रहे हैं. रियल एस्टेट काफी ज्यादा एडवांस हो चुका है
डॉ अनीश शाह का कहना है कि वो क्रिकेट देखने के अलावा टीवी नहीं देखते हैं और परिवार के साथ क्वालिटी समय बिताना पसंद करते हैं. वो खाली समय में अपनी पत्नी के साथ चर्चा करते हैं और बच्चों के साथ क्रिकेट भी खेलते हैं.
अनीश शाह का कहना है कि अगर वो युवा और बच्चों को किसी किताब पढ़ने की सलाह देंगे तो उसका नाम मिशन सक्सेस है. ये किताब नए इनोवेशन के लिए उत्साहित करती है और सिखाती है कि अगर आपकी सफलता में कोई आड़े आता है तो वो आपके अपने निगेटिव विचार हो सकते हैं. अगर आपने किसी बात के लिए ठान लिया है तो उसके लिए पक्का निश्चय करें और रास्ते निकल आते हैं.
अनीश शाह का कहना है कि देश में सोलर एनर्जी की लागत दुनिया में सबसे कम है और इसका फायदा उद्योगों को भी मिल रहा है. हालांकि अभी घरेलू स्तरों पर इसका प्रसार होने के लिए समय लगेगा लेकिन हमारे यहां तेजी से इसके डेवलपमेंट को लेकर काम किया जा रहा है. पीएलआई स्कीम्स निश्चित तौर पर उद्योगों और कंपनी के लिए लाभकारी साबित हो रही है और कंपनी को भी इसका फायदा मिलेगा.
एमएंडएम के सीईओ डॉ अनीश शाह ने कहा कि कंपनी का फोकस सस्टेनबिलिटी पर भी है और कंपनी लगातार अपनी स्ट्रेटेजी पर काम कर रही है. कंपनी के लिए मुकाबला भी है लेकिन अपनी अच्छी फाउंडेशन के बल पर हम लगातार चुनौतियों से पार हो रहे हैं. कंपनी की टीम हर मामले में बेहतर है और इसका फायदा हमें मिल रहा है.
डॉ अनीश शाह ने कहा कि हाल ही में सेमी कंडक्टर चिप की कमी का असर ऑटो इंडस्ट्री पर आया है और बिजनेस को तेज बनाए रखने के लिए ये मामला चुनौतीपूर्ण भी था. हालांकि एमएंडएम ने इस मुद्दे को अच्छे से समझा और इसके अनुसार स्ट्रेटेजी बनाई.
डॉ अनीश शाह का कहना है कि कारोबार के उद्देश्य के साथ प्रॉफिट को भी बनाए रखने की जिम्मेदारी संयुक्त होती है और अलग-अलग कारोबार इसी पर ध्यान भी दे रहे हैं. इस समय हमारे वाहन बिक्री का बहुत बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रिक व्हीकल का हो रहा है और ये बिजनेस को बढ़ाने के साथ वातावरण की बेहतरी के लिए भी अच्छा है. इस तरह से हम अपने उद्देश्यों को पूरा करने के साथ प्रॉफिट पर भी ध्यान दे रहे हैं और वातावरण के लिए भी काम कर रहे हैं.
महिंद्रा एंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ डॉ अनीश शाह का कहना है कि पिछले कुछ सालों में देश में इंडस्ट्री के साथ-साथ लोगों की सोच में भी बड़ा बदलाव आया है. सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी से लेकर जनता के प्रति जिम्मेदारी का बोध बढ़ा है. आज की सच्चाई ये है कि हमें मिलजुल कर अपने कारोबार को बढ़ाने के उद्देश्य से लेकर इसके प्रॉफिट पर भी ध्यान देना है.
ABP Ideas of India समिट 2022 के मंच पर अब महिंद्रा एंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ डॉ अनीश शाह आ चुके हैं. वो रीइंवेंटिंग बिजनेस के मुद्दे पर अपनी राय रखेंगे.
तापसी पन्नू ने हाल ही में आई आलिया भट्ट की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी की सफलता पर कहा कि वो खुश हैं कि हीरोइन आधारित फिल्में भी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. हालांकि किसी फिल्म के लिए ये बहुत बड़ा कारण होता है कि वो कितनी स्क्रीन्स पर रिलीज हुई है. अक्सर कई फिल्में कम स्क्रीन पर आने के बाद भी अच्छी सफलता हासिल कर लेती हैं जो कि बेहद बड़ी बात है.
तापसी पन्नू का कहना है कि राजनीतिक विचारधारा को मानने का अर्थ ये नहीं है कि लोगों को इससे मूवी देखने के आइडिया पर असर पड़ता है. मेरी फिल्म को लेकर आज भी अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है जिससे मैं संतुष्ट हूं. वर्चुअल वर्ल्ड में शायद लोगों को इससे बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है और इसी कारण सोशल मीडिया के आधार पर मैं अपनी आइडियोलॉजी तय नहीं करती.
आपके लिए सफलता का पैमाना क्या है इस सवाल के जवाब में तापसी पन्नू का कहना है कि मैं दो बातों पर सफलता को देखती हूं. पहला ये कि मुझे रेस्टोरेंट जाने पर राइट टू लेफ्ट देखना ना पड़े और दूसरा जब मैं बिस्तर पर जाऊं तो 15 मिनट के अंदर मुझे चैन की नींद आ जाए. ये दो बातें अगर मेरे साथ हैं तो मेरा मानना है कि मैं सफल हूं.
तापसी पन्नू का कहना है कि वो अपने सोशल मीडिया हैंडल्स को अपनी तरह से चलाना पसंद करती हैं, किसी दूसरे के नजरिए से अपनी जिंदगी को देखना उन्हें पसंद नहीं है. इंस्टाग्राम पर किसी दूसरे के लिए लाइक करना या ना करना लोगों का अपना मानना है और इसके विषय में वो किसी को जज नहीं कर सकती हैं.
अपनी शादी के सवाल पर तापसी पन्नू का कहना है कि हां वो सोचती हैं कि आगे चलकर वो शादी के बारे में सोचेंगी और घर-परिवार के बारे में उनके विचार पॉजिटिव हैं. उनके लिए एक परिवार का हिस्सा होना बड़ी बात होगी लेकिन इसके लिए वो अपने करियर से छुट्टी ले लेंगी, ऐसा नहीं सोचती हैं.
तापसी पन्नू का कहना है कि आज भी समाज में महिलाओं के लिए सोच में रुढ़िवादिता देखी जा रही है. उदाहरण के लिए एक महिला अगर विवाहित है और उसे घर से दूर रहकर जॉब करना होता है तो ये उसके रिश्तेदारों और समाज के कई लोगों को पसंद नहीं आता है. ऐसा उदाहरण उनके परिचितों में भी देखने को मिला है.
तापसी पन्नू का कहना है कि लोगों को आजकल भी महिलाओं का ऊंचे स्थानों पर आना सही नहीं लगता है. अगर कोई महिला सफल है तो भी उसके लिए कहा जाएगा कि उसे महिला होने का फायदा मिला है. और वहीं अगर महिला अफसल है तो कहा जाएगा कि हां उसके अंदर उतनी काबिलियत नहीं है तभी उसे सफलता नहीं मिली. निश्चित तौर पर समाज की ये सोच बदलनी चाहिए.
तापसी पन्नू का 'द कश्मीर फाइल्स' के बारे में कहना है कि वो नहीं मानती कि इसके आधार पर लोगों को बांटने की मंशा है लेकिन इस फिल्म ने लोगों को झकझोरा है, ये सच है. वहीं आजकल आप किसी भी धर्म के बारे में बात करेंगे उस पर लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो जाएगी. ये लोगों का ओपिनियन है कि वो इसे प्रोपेगंडा फिल्म या कुछ और नाम दें. ये उनका सोचना है. तापसी पन्नू ने ये भी कहा कि इस फिल्म को लेकर लोगों का जज्बाती होना किसी भी तरह से गलत नहीं है, ये पूरी तरह से उनकी आजादी है.
एक्ट्रेस तापसी पन्नू ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि वो किसी बात में भी कम हैं और बचपन से ही वो खुद को अलग मानती थीं. उनके पास भले ही बचपन में उतनी फाइनेंशियल आजादी नहीं थी लेकिन वो अपने बच्चों को पूरी आर्थिक आजादी देंगी. उनका मानना है कि बच्चों को अगर अच्छी शिक्षा दी जाए तो वो भी पैसों के मामले में जिम्मेदार बन सकते हैं. जब भी उनकी संतान होगी तो वो उसके लिए बंदिशों का दायरा नहीं बनाएंगी.
एक्ट्रेस तापसी पन्नू का कहना है कि वो मानती हैं कि अल्फा वूमेन का अर्थ केवल आकर्षक दिखना नहीं है. इसे इंटेलीजेंस, बुद्धिमत्ता से जोड़कर भी देखा जाना चाहिए. लोगों के लिए अल्फा वूमेन या फीमेल का कॉन्सेप्ट समझना जरूरी है.
लेखक चेतन भगत ने तापसी पन्नू से पूछा कि क्या वो खुद को अल्फा वूमेन मानती हैं तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हां वो खुद को अल्फा वूमेन मानती हैं.
एबीपी नेटवर्क के आइ़डियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में अगली मेहमान एक्ट्रेस तापसी पन्नू होंगी जो अल्फा वूमेन के तहत डिस्कशन में हिस्सा लेंगी.
इमामी के हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि आंत्रप्रेन्योर्स के लिए देश में काफी मौके हैं. इसके साथ-साथ स्टैबलिश बिजनेस भी अपने विशाल कारोबार के जरिए लोगों को मौका दे रहे हैं. देश में परोपकार के क्षेत्रों में भी कंपनियां सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी) के जरिए अपना योगदान दे रही हैं और लोगों की मदद के लिए आगे आ रही हैं. आंत्रप्रेन्योरशिप के जरिए जॉब क्रिएशन भी हो रहा है और इस क्षेत्र में इमामी भी बड़ा काम कर रही है.
इमामी के हर्षवर्धन अग्रवाल का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के समय कंपनी के सामने भी औरों के सामने चुनौतियां थीं पर कंपनी ने इसे अच्छे तरीके से मैनेज किया. हालांकि कंपनी के साथ अपने कर्मचारियों के साथ कारोबार को चलाए रखने के लिए जरूरी कैपिटल की भी जरूरत रहती है लेकिन लॉकडाउन के समय भी इमामी ने अपने ग्राहकों का पूरा ख्याल रखा. ऑनसिक्योरिटी के कुलीन शाह का कहना है कि ऐसी परिस्थितयों में कई समझदारी से भरे फैसले करने होते हैं और खासकर स्टार्टअप्स के लिए लॉकडाउन का समय काफी मुश्किल था लेकिन इसे अच्छे से प्रबंधित करने की कोशिशें सभी स्टार्टअप्स ने कीं.
इमामी के हर्षवर्धन अग्रवाल का कहना है कि देश में जहां नए-नए उद्योगों के लिए विकास के काफी अवसर हैं वहीं जमे जमाए बिजनेस भी अपनी नई रणनीतियों के चलते नई कारोबारी ग्रोथ पर जा रहे हैं. देश के विकास के लिए सस्टेनेबल ग्रोथ की जरूरत है और इसके लिए पुराने कारोबार के साथ नए स्टार्टअप्स को भी आगे आने होगा. ऑनसिक्योरिटी के कुलीन शाह का कहना है कि स्टार्टअप्स में लोग नए-नए आइडिया के साथ आते हैं और कई विचार इतने अच्छे होते हैं कि वो अच्छे मैनेजमेंट के साथ मिलकर इसे बड़ा बना देते हैं. जहां हमें कस्टमर का विश्वास बनाए रखना है वहीं नए इंवेस्टर्स का भी ख्याल रखना है. देश में स्टार्टअप्स के सामने चुनौतियां भी हैं और कारोबार फैलाने के मौके भी हैं.
ऑनसिक्योरिटी के कुलीन शाह का कहना है कि देश में स्टार्टअप्स के सामने कई चुनौतियां भी रही हैं और अपना कारोबार फैलाने के लिए विशाल अवसर भी सामने रहे हैं. ऑनसिक्योरिटी ने इसी जगह का फायदा उठाने के लिए अपना कस्टमर बेस काफी मजबूत किया है और व्यापार के संदर्भ में शानदार ग्रोथ हासिल की है. इमामी के हर्षवर्धन अग्रवाल का कहना है कि कंपनी कमर्शियल और फाइनेंशियल मोर्चे के साथ-साथ साख को बनाए रखने के लिए भी लगातार प्रयास करती रहती है.
ऑनसिक्योरिटी के कुलीन शाह का कहना है कि हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं और ग्राहकों के विश्वास पर खरा उतरने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं. ग्राहकों को समय पर सर्विस देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और लगातार इसी दिशा में बेहतरी की ओर बढ़ रहे हैं. इमामी के हर्षवर्धन अग्रवाल का कहना है कि असफलता से काफी कुछ सीखा जाता है और इमामी ने कड़ी चुनौतियों के बाद भी असफलता के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी है. ग्राहकों के विश्वास पर खरा उतरने के लिए हम लगातार सीखने की कोशिश करते हैं और इसका नतीजा हमारी नई लरनिंग के रूप में भी सामने आता है.
इमामी के हर्षवर्धन अग्रवाल का कहना है कि हमारे जैसी कंपनी सालों से देश में कारोबार कर रही है और देश के लोगों को उत्पादों और रोजगार के जरिए अपना योगदान दे रही है. देश की तरक्की होगी तो हमारी तरक्की होगी और इसी दिशा में इमामी लगातार कार्यरत है. ऑनसिक्योरिटी के कुलीन शाह का कहना है कि एक स्टार्टअप होने के नाते हमारे सामने बड़ी चुनौतियां थी लेकर लगातार डिटरमिनेशन के साथ कंपनी ने अपना स्थान बनाया है. कंपनी और भी तेजी से अपना कारोबार बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं.
ABP Ideas of India Live के मंच पर अब इमामी के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हर्षवर्धन अग्रवाल के साथ ऑनसिक्योरटी के कुलीन शाह मौजूद हैं. उन्होंने देश के उद्योगों के जरिए भविष्य की राह कैसे आसान होगी इस विषय पर अपने विचार रखे हैं.
सोनम वांगचुक ने कहा कि मैं फिर से गुजारिश करता हूं कि वो अपने शहरों में सादा जीवन अपनाएं जिससे पहाड़ों में रहने वाले लोग भी सामन्य जीवन जी सकें. आपके पास 30-40 जोड़ी जूते होने से उस इंसान को क्या कोई फायदा हो रहा है जिसके पास पहनने के लिए जूते, चप्पल तक नहीं हैं. इस बारे में भी कुछ सोचें.
सोनम वांगचुक के किरदार के ऊपर थ्री ईडियट्स में जो किरदार गढ़ा गया उसके ऊपर उन्होंने कहा कि ये दुख की बात है कि किसी को तब जाना जाए जब उसके ऊपर फिल्म में दिखाया जाए. आपमें से कितने लोग अपने पड़ोसियों के बारे में जानते हैं जो अपने जीवन में कुछ खास कर रहे हैं. लद्दाख के ऊपर जो फिल्में बनी हैं उसमें काफी कम दिखाया गया है, असल में लद्दाख उससे कहीं ज्यादा महान है.
क्लाइमेट चेंज को लेकर सोनम वांगचुक ने कहा कि, जब तक हम 30 डिग्री तापमान में रहने की बजाय 16 डिग्री में रहेंगे तो यही सब होगा. आज देश में बाढ़ आती है, जब मैं बाढ़ प्रभावितों के बीच था तो मैंने एक बुजुर्ग से पूछा कि आखिरी बार आपने कब बाढ़ देखी थी, तो उन्होंने बताया कि मैंने पहले कभी ऐसी बाढ़ नहीं देखी. आज हर दो साल के अंतराल में ऐसी आपदाएं आ रही हैं. इसीलिए सभी को बड़े शहरों में साधारण तरीके से जीना होगा, तभी हमारे पहाड़ स्वस्थ रहेंगे.
सोनम वांगचुक ने कहा कि, मैं 9 साल की उम्र में स्कूल गया. जहां मैंने कई चीजें सीखीं. लेकिन बेस्ट स्कूल वो होता है जहां बच्चों को सवाल पूछने और सीखने का तरीका सिखाया जाता हो. मेरे स्कूल में भी यही हुआ. अगर आपमें कुछ जानने की ललक है तो आपको कोई नहीं रोक सकता. आप हर चीज से सीख सकते हैं. अगर आपकी मातृभाषा मजबूत हो तो आप कोई भी भाषा आसानी से सीख सकते हैं. मैंने 6 महीने में ही कई भाषाएं सीख लीं. मैं ये पूछना चाहता हूं कि हमें ये आजादी कब मिलेगी?
सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख में सर्दियों के मौसम में इतनी ठंड पड़ती है कि ये पानी तक को जमा देता है, कई बार ऐसी स्थिति आती है कि वहां बिजली तक नहीं होती है. जीवन वहां कठिन है और लोगों के लिए सामान्य जरूरतों को पूरा करने के लिए भी स्ट्रगल करना पड़ता है. ऐसे में वहां लोग जुझारू हो जाते है. तापमान वहां -20 से लेकर -30 डिग्री तक हो जाता है जिसके चलते भारी दिक्कतें होती हैं, लेकिन वहां लोगों में जिजीविषा बहुत है और इसी के सहारे वो कठिन से कठिन स्थिति से भी पार पा लेते हैं.
एक्टर, आंत्रप्रेन्योर और पायलट गुल पनााग ने सोनम वांगचुक ने सवाल किया कि क्लाइमेंट चेंज बहुत बड़ा मुद्दा है और इसके लिए वो क्या सोचते हैं? इस सवाल के जवाब में सोनम वांगचुक ने कहा कि आधुनिर बनने की होड़ में आजकल हर कोई विशेष उपकरणों के जरिए अपने माहौल को अनुकूल बनाने के पीछे दौड़ रहा है. जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि एसी के जरिए तापमान को नियंत्रित करने के लिए हम इतने उत्सुक हैं कि बाहर इसका कैसा असर आ रहा है, इस पर हमारा कोई ध्यान नहीं है. हमें जीवन को सिंपल बनाए रखने के लिए काम करना होगा और सामान्य जीवन को जीने की आदत डालनी चाहिए. प्रकृति के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी है जिसे समझना होगा.
सोनम वांगचुक ने कहा कि हर बच्चा खास है और उसके लिए शिक्षा का अधिकार सबसे जरूरी है. मुझे चिंता है कि देश के हरेक कोने में मौजूद बच्चे के लिए समान शिक्षा के अधिकार की स्थिति अभी भी पूरी नहीं हो पाई है और कई बच्चे इस अधिकार से वंचित होने के चलते अपने विकास का हक खो रहे हैं. मुझे स्वंय 9 साल तक प्राथमिक शिक्षा की सुविधा नहीं मिली और इसके पीछे कई कारण रहे. मैं चाहता हूं कि आजकल के दौर में कोई बच्चा इससे वंचित ना हो.
एबीपी के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में इंजीनियर और एजूकेशन रिफॉर्मर सोनम वांगचुक ने सबसे पहले कहा कि आज के लिए मेरा परिधान एक संदेश है कि देश कई विभिन्नता के बावजूद एक है और यहां के अलग-अलग राज्यों के परिधानों के लिए भी हमारे मन में सम्मान होना चाहिए. हम इस जगह बैठे हैं जहां 18 डिग्री के करीब तापमान है जबकि बाहर मुंबई में काफी अच्छा तापमान है और मौसम सुहावना है. मुझे मुंबई में भी लद्दाख जैसा तापमान इन जगहों पर मिल रहा है जो काफी ठंडा है और इसके लिए भी ये परिधान धारण करना जरूरी भी हो गया है.
संत गौर गोपाल दास ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौरान देश में लॉकडाउन की स्थिति आई थी और ये सच है कि देश में महामारी के दौरान कई लोगों का जाना बेहद दुखद था. लोगों के लिए लॉकडाउन अप्रत्याशित था लेकिन इस दौरान लोगों ने बहुत से सबक भी सीखे. कई लोगों ने परिवार के साथ वो वक्त बिताया जो उनके लिए कभी संभव नहीं था. लोगों ने स्वास्थ्य की महत्ता समझी और परिवार की भी महत्ता उन्हें समझ आई.
संत गौर गोपाल दास ने कहा कि हर इंसान के मन में एक शक्ति होती है जिसका इस्तेमाल करके वो अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कोशिश करता है. हालांकि खुश रहने के लिए सांसारिक वस्तुओं पर निर्भरता सही नहीं है और इसके बजाए अपने मन की शक्ति का इस्तेमाल आंतरिक सुख और प्रसन्नता के लिए करना चाहिए.
संत गौर गोपाल दास ने कहा कि जीवन में विषैली बातें और विषैले विचार हमको खुद ही नुकसान पहुंचाते हैं. इनसे दूर रहना चाहिए, कई बार आप परिस्थितियों को बदल नहीं सकते लेकिन ऐसी बातों को लेकर हर समय मन में कटुता नहीं रखनी चाहिए. धर्म और आध्यात्मिकता आपको जीवन के हर पहलू को स्वीकार करने के प्रति आसान बनाते हैं.
ABP Ideas of India समिट में अभिनेत्री गुल पनाग ने संत गौर गोपाल दास से सवाल किया कि धर्म की हमारे जीवन में कितनी महत्ता है और इस पर संत गोपाल दास ने कहा कि धर्म के मूल में असामनता नहीं है और इससे जिम्मेदारी का भाव भी आता है. कल्पना कीजिए कि किसी को गंभीर बीमारी होती है और उसके पास ज्यादा समय नहीं है लेकिन उसे ये स्वीकार करना होगा. हर बात के लिए आपको अस्वीकार्यता का भाव नहीं होना चाहिए.
संत गौर गोपाल दास ने कहा कि मानवता के लिए हर इंसान में भाव होना चाहिए और ये हमारी जिम्मेदारी है. देश को आगे तभी ले जा पाएंगे जब खुद में इंसानियत का भाव होगा. किसी ने सही कहा है कि इंसान हर घर में होते हैं लेकिन इंसानियत हर जगह नहीं होती. पहले खुद को बेहतर इंसान बनाएं और फिर दूसरी बातों के लिए भी खुद को काबिल बनाएं.
संत गौर गोपाल दास ने अपने संबोधन में कहा कि उन लोगों के बारे में सोचिए जो खाना, शिक्षा और जीवन की मूलभूत सुविधाओं को हासिल नहीं कर रहे हैं लेकिन आप छोटी-छोटी बातों पर दुखी हो जाते हैं , ऐसी वस्तुओं के लिए परेशान होते हैं जो जीवन में सुख के लिए जरूरी नहीं है. जीवन को सुखी बनाने के लिए विचारों में खुशी लानी जरूरी है, ये बाहरी कारणों पर आधारित नहीं होनी चाहिए और आपके अंदर से आनी चाहिए.
आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में संत, लेखक और मोटिवेशनल स्ट्रेटेजिस्ट संत गौर गोपाल दास ने कहा कि जीवन में समस्याओं का अंत नहीं हैं लेकिन इसे स्वीकार करके खुशी का चुनाव हमें ही करना है. तनाव, स्ट्रेस, नफरत के पल, दुख के पल आएंगे लेकिन ये हमें चुनना है कि हम इन्हीं में उलझे रहते हैं या खुशी के पलों को महसूस करते हैं.
शांति का नोबेल पुरस्कार पाने वाले कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि मैंने जब काम शुरू किया तो ये कोई मुद्दा नहीं था. बाल मजदूरी, चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे शब्द सुने नहीं जाते थे. हमारे देश में अपना कोई कानून नहीं था. भारत समस्याओं के लिए नहीं समाधानों के लिए जाना जाता है. हम सब समाधान हैं. इसके लिए हमारी सरकारों को चाहिए कि वो अपने बजट में बच्चों को प्राथमिकता दें. 40 फीसदी आबादी हमारी 18 साल से नीचे की है. लेकिन उनकी शिक्षा, सुरक्षा और स्वास्थ्य को मिलाकर हमारी जीडीपी का 4 फीसदी से भी कम पैसा खर्च होता है. अगर इस देश में एक भी बच्चा शिक्षा से वंचित है और गुलामी में जी रहा है तो हमें अपने आप को शीशे में देखना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि ये बच्चे किसी और के बच्चे नहीं हैं बल्कि ये भारत माता की संतान हैं. हमें इनका बचपन लौटाना चाहिए.
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि देश का हर बच्चा निर्भय होकर पूरी आजादी के साथ स्कूल के क्लासरूम में हो, उसे वैसे ही शिक्षा मिले जैसे देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों और नेताओं के बच्चों को मिल रही हो. इस आइडिया को मापने के लिए गांधी जी से प्रेरित होकर मेरा एक पैमाना है कि देश के बहुत गरीब इलाके में एक लड़की की कल्पना कीजिए जो गुलामी में पैदा हुई है, जिसके मां-बाप बंधुआ मजदूरी में रहते हैं. जो बच्ची हर तरह के यौन शोषण के लिए ट्रैफिकिंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर हम सब लोग उस बच्ची के चेहरे पर आज मुस्कान लाएंगे तो 25 साल बाद भारत दुनिया का महानतम राष्ट्र होगा.
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि देश को बड़ा बनाने के लिए सपने देखने चाहिए, सपनों में बड़ी ताकत होती है और इनके जरिए बड़े और महान लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है. भारत का असली विकास तभी होगा जब सभी को समान शिक्षा मिल पाएगी, साथ ही सबसे आखिरी पंक्ति में खड़ी बच्ची के चेहरे पर हम मुस्कान लाने का काम करेंगे.
कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि सरकार बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दे और उन्हें उच्च स्तर की शिक्षा के साथ संसाधन भी मुहैया कराए जिनसे वो आगे आ सकें. वे अपना और देश का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित कर सकें.
भारत के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार जीत चुके कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि देश का हर बच्चा सुरक्षित रहकर, स्वस्थ रहकर देश के भविष्य को बनाने में अपना योगदान दे सके. अगर बचपन सुरक्षित है तो देश का भविष्य सुरक्षित रहेगा और देश की योजनाएं इस दिशा में कार्यरत होनी चाहिए. देश आज भी महान है लेकिन अगर हम हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान लाना चाहते हैं और इसे फिर से सोने की चिड़िया बनाना चाहते हैं तो इसके लिए बच्चों पर विशेष ध्यान देना होगा.
गायिका संजीवनी भिलांडे ने दिवंगत लता मंगेशकर जी को याद करते हुए उनको ट्रिब्यूट देते हुए वंदे मातरम गीत गाया. कार्यक्रम में इस गीत के जरिए लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि दी गई.
एबीपी नेटवर्क के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में देश के कई हस्तियां भाग ले रही हैं और कार्यक्रम की शुरुआत में एबीपी नेटवर्क से सीईओ अविनाश पांडे ने कहा कि आइडियाज ऑफ इंडिया का उद्देश्य भविष्य के भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए की गई है. हमें उम्मीद है कि इन कार्यक्रम के जरिए फ्यूचर के भारत के लिए कोई रोडमैप तैयार किया जा सकता है.
बैकग्राउंड
ABP Ideas of India Live: भविष्य के भारत की सोच के लिए एबीपी नेटवर्क पर आईडियाज ऑफ इंडिया का आयोजन किया जा रहा है जिसमें देश की कई प्रमुख हस्तियां अपने बेहतरीन दिमाग के साथ विचार प्रस्तुत करेंगी. इसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, अभिनेता आमिर खान, एन नारायणमूर्ति, कैलाश सत्यार्थी सहित कई दिग्गज सिलेब्रिटीज हिस्सा ले रही हैं. एबीपी नेटवर्क के आइडियाज ऑफ इंडिया कार्यक्रम में देश के कई दिग्गज, अपने-अपने क्षेत्र में ऊचांइया हासिल कर चुके लोग एक मंच पर आएंगे और अपने बेहतरीन दिमाग से निकले शानदार विचारों को साझा करेंगे.
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हमारा देश समस्याओं के समाधान के लिए जाना जाता है तो इसके बच्चों का भविष्य सुधारने में आने वाली कठिनाइयों को भी सुलझाया जाना चाहिए. संत गौर गोपाल दास ने इस कार्यक्रम में कहा कि जीवन में समस्याओं का अंत नहीं हैं लेकिन इसे स्वीकार करके खुशी का चुनाव हमें ही करना है. सुपर 30 के फाउंडर आनंद कुमार ने कहा कि इस समय प्राइवेट एजूकेशन सिस्टम में अपनी जगह बनाने के लिए शिक्षकों को संघर्ष करना पड़ रहा है.
सिग्नेचर ग्लोबल ग्रुप के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने बताया कि 2015 में पीएम मोदी ने हाउसिंग फॉर ऑल 2022 पॉलिसी लॉन्च की. लेकिन 2021 में ही इसे लेकर काफी ज्यादा काम कर लिया गया. प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी योजनाएं लाई गईं. महिंद्रा एंड महिंद्रा के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ डॉ अनीश शाह का कहना है कि पिछले कुछ सालों में देश में इंडस्ट्री के साथ-साथ लोगों की सोच में भी बड़ा बदलाव आया है. सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी से लेकर जनता के प्रति जिम्मेदारी का बोध बढ़ा है.
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