सीमा विवाद पर भारत-चीन की सैन्य वार्ता, जानें किन मामलों पर बनी बात, कहां नहीं निकला समाधान
चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी चिंता के सीमा मुद्दों को सुलझाने पर सकारात्मक, गहन और रचनात्मक चर्चा की. दोनों पक्ष समाधान तक पहुंचने के लिए सैन्य संपर्क रखने पर सहमत हुए.
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में साढ़े तीन साल से अधिक पुराने सीमा विवाद को हल करने के लिए नए दौर की उच्चस्तरीय सैन्य वार्ता की जिसमें दोनों पक्ष जमीन पर 'शांति और स्थिरता' बनाए रखने पर सहमत हुए लेकिन गतिरोध के समाधान का कोई संकेत नहीं दिखा. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 21वें दौर की वार्ता 19 फरवरी को चुशूल-मोल्डो सीमा बैठक बिंदु पर आयोजित की गई. घटनाक्रम से परिचित लोगों ने कहा कि भारतीय पक्ष ने डेपसांग और डेमचोक से संबंधित लंबित मुद्दों के समाधान के लिए दबाव डाला, लेकिन बातचीत में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष समाधान के आगे के तरीकों पर उचित सैन्य और राजनयिक तंत्र के माध्यम से संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए. इसने कहा कि दोनों पक्षों ने 'मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण' माहौल में हुई वार्ता में मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण साझा किया.विदेश मंत्रालय ने कहा, 'दोनों पक्ष उचित सैन्य और राजनयिक तंत्र के माध्यम से आगे के रास्ते पर संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए हैं. उन्होंने अंतरिम रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीन पर शांति बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्धता जताई.'
संपर्क बनाए रखने पर सहमति
बीजिंग में चीन के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों सेनाएं मौजूदा सीमा मुद्दों पर संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुई हैं. इसने कहा कि बातचीत चीनी पक्ष की ओर मोल्डो-चुशूल सीमा बैठक बिंदु पर हुई. चीनी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी चिंता के सीमा मुद्दों को सुलझाने पर सकारात्मक, गहन और रचनात्मक चर्चा की. इसने कहा कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए दोनों देशों के नेताओं की महत्वपूर्ण सहमति से निर्देशित सैन्य और राजनयिक माध्यमों से संपर्क जारी रखने पर सहमत हुए.
पिछली वार्ता में क्या हुआ था?
20वें दौर की सैन्य वार्ता 9 और 10 अक्टूबर को हुई थी. वार्ता के उस दौर के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ शेष मुद्दों के शीघ्र और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए स्पष्ट, खुले और रचनात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया. पिछले महीने थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर स्थिति 'स्थिर', लेकिन 'संवेदनशील' है. उन्होंने कहा था कि किसी भी स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों की अत्यधिक उच्च स्तर की अभियानगत तैयारी बरकरार है. जनरल पांडे ने यह भी कहा था कि भारत और चीन दोनों 2020 के मध्य में मौजूद रही 'यथास्थिति' पर लौटने के उद्देश्य से सैन्य और राजनयिक स्तरों पर बातचीत जारी रखे हुए हैं.
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी
भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर गतिरोध बना हुआ है, जबकि दोनों पक्ष व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर चुके हैं. वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह मुख्यालय वाली 14वीं कोर के कमांडर ने किया जबकि चीनी दल का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया. भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था.
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी. यह दो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे बड़ा सैन्य संघर्ष था. सिलसिलेवार सैन्य और राजनयिक वार्ता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट तथा गोगरा क्षेत्र से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी.