India-Japan Joint Naval Drill: भारत-जापान की नौसेनाओं ने अरब सागर में किया युद्धाभ्यास, चीन को सशक्त संदेश
इस दौरान दोनों देशों की नौसेनाओं ने एक दूसरे के साथ इंटरओपरेबिलेटी बढ़ाने के लिए समंदर में नेवल-मैन्यूवर यानि युद्धाभ्यास भी किया.
India-Japan Joint Naval Drill: जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) टोक्यो में क्वाड की अहम मीटिंग कर रहे थे उसी वक्त अरब सागर में जापान के दो युद्धपोत भारतीय नौसेना Indian Navy) के साथ मैन्यूवर कर रहे थे. भारतीय नौसेना ने मैन्यूवर और फ्यूलिंग की तस्वीरें भी जारी की हैं.
भारतीय नौसेना के मुताबिक, समंदर में जापान के मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) की ट्रेनिंग-स्कॉवड्रेन के दो युद्धपोत, जेएस कासिमा और जेएस शिमकाज़े ने पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र यानि मध्य अरब सागर में इंडियन नेवी के टैंकर (युद्धपोत) आईएनएस आदित्य के साथ अंडरवे-फ्यूलिंग यानि समंदर में चलते हुए ही ईधन सप्लाई की. इस दौरान दोनों देशों की नौसेनाओं ने एक दूसरे के साथ इंटरओपरेबिलेटी बढ़ाने के लिए समंदर में नेवल-मैन्यूवर यानि युद्धाभ्यास भी किया.
भारत और जापान का मैन्यूवर इसलिए है खास
जापान की राजधानी टोक्यो में मंगलवार को पीएम मोदी ने क्वाड देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ अहम बैठक की थी. इस मीटिंग में पीएम मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति, जो बाइडन, जापान के प्रधानमंत्री फ्यूमो किशिदा और आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, एंथनी अल्बेनेस शामिल थे. इस मीटिंग के बाद चारों देशों ने एक साझा बयान जारी किया. इस बयान में इंडो-पैसेफिक क्षेत्र और खासतौर से दक्षिण चीन सागर में फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन यानि किसी भी देश की नौसेना को यहां तैनात रहने की खुली छूट होने पर जोर दिया गया था. क्योंकि साउथ चायना सी में चीन की नौसेना दूसरे देशों की युद्धपोतों के आने पर आंखें तेरती है. ऐसे में भारत और जापान के युद्धपोतों का अरब सागर में एक साथ मैन्युवर काफी मायने रखता है.
चीन कई बार ऐतराज जता चुका है
भारत और जापान की नौसेनाएं (Indio-Japan Naval) सालाना मालाबार एक्सरसाइज में भी हिस्सा लेती हैं. मालाबार एक्सरसाइज में चारों क्वाड देशों की नौसेनाएं यानि भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया हिस्सा लेती हैं. चारों क्वाड देशों की नौसेनाओं की इस नेवल एक्सरसाइज (Naval Excersice) पर चीन कई बार ऐतराज जता चुका है. लेकिन सोमवार को जारी क्वाड देशों के साझा बयान में चीन की तरफ इशारा करता हुए साफ तौर से कहा गया कि चारों क्वाड देश संयुक्त राष्ट्र के लॉ ऑफ द सी यानि समंदर के कानून (यूएनसीएलओएस) का पालन करेंगे और दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में नेविगेशन और ओवरफ्लाइट की स्वतंत्रता को बनाए रखने में मदद करेंगे. चीन का बिना नाम लिए बयान में कहा गया कि इस क्षेत्र में किसी भी ऐसी उत्तेजक या एक-तरफा कारवाई का कड़ा विरोध करेंगे जिससे यथा-स्थिति बदलने की कोशिश की जाएगी.
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