India Myanmar Relationship: भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में साल 2021 में  जुंटा आर्मी ने आंग सान सू की की चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया था. इसके बाद उन्हें जेल में डाल दिया. इसके साथ ही वहां गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई थी. इसका असर भी देखने को भी मिला. इस दौरान वहां एक बड़े हिस्से पर अलग-अलग विद्रोही गुट का कब्जा हो गया है. सेना चाह कर भी ऐसे समूहों को हटा भी नहीं पा रही है. वहीं भारत ने सेना का शासन होने पर भी म्यांमार से बात करना बंद नहीं किया. क्योंकि, डर था कि कहीं वो चीन के पाले में न चला जाए. हालांकि, बाद भारत सरकार ने ऐसा खेल खेला है कि उसे न सिर्फ पड़ोसी देश के मिलिट्री लीडरशिप को तगड़ा झटका लगेगा. बल्कि 1 तीर से दो निशाने हो जाएंगे.


रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने दिल्ली में आयोजित होने वाले एक सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए  म्यांमार की सत्तारूढ़ सेना के राजनीतिक और सैन्य विरोधी गुटों को न्योता भेजा है. मामले से संबंधित सूत्रों के हवाले से जानकारी दी गई है कि भारत का मुख्य प्लान है देश की सीमा से सटे चिन रखाइन और काचिन राज्यों के जातीय अल्पसंख्यक विद्रोही समूह को सेमिनार के जरिए अपनी बात रखे, जिसे पड़ोसी मुल्क का विवाद हट जाए.
 
भारत मणिपुर को लेकर चिंतित
बता दें कि भारत के साथ म्यांमार 1,650 किलोमीटर लंबा बॉर्डर शेयर करता है. हमारे देश ने बहुत निवेश भी किया है. इसलिए भारत किसी भी हालत में नहीं चाहेगा कि उन्हें कुछ नुकसान पहुंचे. इसके अलावा बीते दिनों इंटेलिजेंस सूत्रों के हवाले से पता चला था कि मणिपुर में 900 से ज्यादा कुकी विद्रोही पार कर के भारत पहुंच गए थे. जो देश के लिए अच्छे संकेत नहीं है. क्योंकि मणिपुर बीते 1 साल से हिंसा की आग में चल रहा है. इसके मद्देनजर भारत खुद आगे बढ़कर म्यांमार से बात कर शांति का रास्ता अपनाने का काम करेगा.


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