जानिए, भारत ने बीते 5 सालों में कितने देशों को बेचे हैं हथियार और अन्य साजो-सामान, क्या है आगे का प्लान?
भारत ने तय कर लिया है कि अब वह रक्षा के क्षेत्र में पश्चिमी या दूसरे देशों से निर्भरता कम करेगा. इसके साथ ही अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी स्वदेश निर्मित हथियारों को बढ़ावा देगा.
रक्षा के क्षेत्र में भारत दुनिया के बड़े बाजारों में से एक है. सरकार का पूरा ध्यान इस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है. 'मेक इन इंडिया' अभियान में डिफेंस सेक्टर एक अहम भूमिका निभा रहा है.
बीते कुछ दिनों में आपने देखा होगा कि भारत सेना को कई हथियार दिए हैं जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित हैं. आईएनएस विक्रांत इसकी सबसे बड़ी नजीर है. आपको बता दें कि भारत दुनिया में तीसरा ऐसा देश है जो रक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा खर्च करता है. वह जीडीपी का 2.15 प्रतिशत रक्षा क्षेत्र में खर्च करता है.
भारत सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि 2025 तक भारत रक्षा क्षेत्र में 25 बिलियन डॉलर निर्यात करके कमाएगा इसमें 5 बिलियन डॉलर एयरस्पेस के क्षेत्र से जुड़ा है. भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स बनाने का ऐलान किया है. जिसमें एक उत्तर प्रदेश में बन रहा है और दूसरा तमिलनाडु में.
- रक्षा के क्षेत्र में अब तक की उपलब्धियां
- साल 2021-22 में भारत ने डिफेंस सेक्टर में 12,815 करोड़ रुपये का साजो-सामान दूसरे देशों को बेचा है.
- सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सड़क बनाने में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. लद्दाख में 19024 फीट की ऊंचाई पर वाहनों की आवाजाही के लिए एक सड़क बनाई है.
- बीते 5 सालों में डिफेंस सेक्टर के निर्यात 334 फीसदी बढ़ा है और भारत ने 75 देशों को रक्षा से जुड़ा साजो-सामान भेजा है.
- भारतीय रक्षा एवं विकास संगठन (DRDO) ने टारपीडो सिस्टम से चलने वाली सुपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है.
- डीआरडीओ नई जेनरेशन की अग्नि-P मिसाइल का सफल परीक्षण किया है.
- 10000 फीट की ऊंचाई पर मनाली-लेह हाइवे पर अटल टनल बनाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया है. ये उपलब्धि इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि यहां पर तापमान माइनस डिग्री पर होते हुए भी काम जारी रखा गया.
- शॉर्ट रेंज की बैलेस्टिक मिसाइल पृथ्वी-2 के जरिए एक छोटे से लक्ष्य को सफलता पूर्वक टारगेट किया गया. मिसाइल के जरिए इतना सटीक निशाना लगाने का सिस्टम अभी तक सिर्फ अमेरिका और चीन जैसे ही देश कर पाते थे.
- लेजर तकनीक पर आधारित स्वदेश निर्मित एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का सफल परीक्षण.
- सर्च और रेस्क्यू के लिए भारत में ही निर्मित एडवाांस लाइट हेलीकॉप्टर MK-III को भारतीय नेवी को सौंपा गया.
- हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) ‘अभ्यास’ का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. ये एक स्वदेशी सिस्टम है.
- सीमा पर किसी भी गतिविधियों, निर्माण, परिवर्तन आदि पर नजर रखने के लिए CoE-SURVEI तकनीक का निर्माण किया गया है. ये AI आधारित सॉफ्टवेयर तकनीक पर काम करता है.
मेक इन इंडिया के तहत क्या हैं और प्रोजेक्ट
उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में बन रहे डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स के अलावा देसी तकनीक पर आधारित जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम आकाश, अर्टिलिरी गन सिस्टम धनुष, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, अग्नि-5, ब्रह्मोस, पिनाका, रॉकेट सिस्टम, पिनाका मिसाइल सिस्टम, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल हेलिना जैसे प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है. मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से अब तक 500 से ज्यादा डिफेंस इंडस्ट्रियल लाइसेंस 351 कंपनियों को जारी किया जा चुका है.