तालिबान-अमेरिका के बीच होगी शांति प्रक्रिया पर बातचीत, भारत का प्रतिनिधि रहेगा मौजूद
कतर सरकार की कोशिशों का फल रंग लाता हुआ दिख रहा है. तालिबान-अमेरिका कल एक मंच पर बैठने जा रहे हैं. दोनों के बीच शांति प्रक्रिया और फौज की वापसी के मुद्दे पर बातचीत होगी. इस दौरान भारत का भी प्रतिनिधि नुमाइंदगी करेगा.
नई दिल्ली: दोहा में शनिवार 29 फरवरी को तालिबान और अमेरिका के बीच एक अहम बैठक होने जा रही है. बैठक में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाये जाने पर समझौता होगा. समझौते के समय भारत को भी शामिल किया जाएगा. भारत ने कतर सरकार के निमंत्रण पर अपना प्रतिनिधि भेजने पर रजामंदी जाहिर कर दी है.
दोहा में तालिबान अमेरिका के बीच शांति प्रक्रिया पर बात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में हैं. इसके लिए उन्हें अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाकर घरेलू मोर्चे पर अपनी दावेदारी मजबूत करने की चुनौती है. राष्ट्रपति बनने से पहले ट्रंप ने अमेरिकी फौजियों की वापसी का मुद्दा जोर शोर से उठाया था. लिहाजा घरेलू मोर्चे पर अगली पारी खेलने से पहले ट्रंप अमेरिकी सेना को वापस बुला लेना चाहते हैं. अमेरिकी प्रशासन इसी सिलसिले में दोहा बैठक में तालिबान से शांति प्रक्रिया और फौज वापसी के मुद्दे पर समझौता करना चाहता है. समझौते के वक्त भारतीय राजदूत पी कुमारन मौजूद रहेंगे.
भारत ने कतर के निमंत्रण पर दूत भेजने का लिया फैसला
ये पहला मौका है जब भारत आधिकारिक तौर पर आयोजित तालिबान-अमेरीकी बैठक में शिरकत करने जा रहा है. इससे पहले 2018 में मॉस्को में भारत गैर आधिकारिक तौर पर बैठक में शामिल हुआ था. मगर इस बार कतर सरकार की तरफ से आधिकारिक निमंत्रण मिलने के बाद भारत ने अपने रुख में बदलाव किया.
हालांकि वार्ता से जुड़े एक शख्स का कहना है कि प्रतिनिधित्व का ये मामला नहीं है कि तालिबान के साथ शांति प्रक्रिया होने से भारत के रुख में बदलाव आया है. बल्कि भारत का रुख अफगान समर्थित हुकूमत के साथ बातचीत किये जाने को लेकर रहा है. बताया जाता है कि भारत दौरे पर आए ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे पर बातचीत की थी. कतर सरकार अमेरिका-तालिबान को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की बहुत दिनों से कोशिश में थी.
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