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सवाल: देशभर के किसान हड़ताल क्यों कर रहे हैं? उनके इस आंदोलन के पीछे क्या मांगें हैं? (संयम जैन, दमोह)
जवाब: देशभर के किसान एक से 10 जून तक हड़ताल पर हैं. राष्ट्रीय किसान महासंघ ने ज्यादा से ज्यादा किसानों से हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया है. किसानों से अपील की गई है कि शहरों में सब्जियों, अनाज और दूध जैसे कृषि उत्पादों की आपूर्ति ना करें. किसान नेता शिवकुमार के मुताबिक आंदोलन की बड़ी वजह फसल का सही दाम नहीं मिल पाना है. किसान फसल की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का एलान किया है लेकिन वो भी नहीं मिल रहा है. उस पर कर्ज इतना है कि आत्महत्या करने पर मजबूर है.
किसानों की प्रमुख 4 मांगें हैं-
पहली मांग- देश के सभी किसानों का पूरा कर्ज माफ हो
दूसरी मांग- किसानों को उनकी उपज का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिले
तीसरी मांग- छोटे किसानों की एक आय निश्चित की जाए
चौथी मांग- दूध, फल, सब्जी, आलू, प्याज, लहसुन, टमाटर इत्यादि के लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य निर्धारित करना
सवाल: ये आन्दोलन कितने राज्यों में चल रहा है इस की अगुवाई कौन से दल और संगठन के नेता कर रहे हैं (नीलेश चौधरी, भोपाल) (बजरंग लाल सैनी)
जवाब: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ताज़ा ट्वीट में किसानों का समर्थन किया है. उन्होंने लिखा है कि केंद्र सरकार का ध्यान किसानों की समस्या की ओर लाने के लिए वो 6 जून को मंदसौर में किसान रैली को संबोधित करेंगा. इसके पहले राष्ट्रीय किसान महासंघ ने 130 संगठनों के साथ मिलकर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कराने और किसानों की आमदनी बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल का ऐलान किया. महासंघ का दावा है कि देश के लगभग 22 राज्यों के 130 संगठनों ने इसका समर्थन किया है. मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब में किसान संगठनों ने इसका समर्थन किया है. छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन भी बंद में शामिल हैं. अभी तक किसी राजनीतिक दल ने इस आंदोलन के समर्थन का औपचारिक तौर पर ऐलान नहीं किया है.
सवाल: किस राज्य में कितने किसानों का होगा कर्ज माफ हुआ है, किसानों की कर्जमाफी की मांग का देश की अर्थव्यवस्था पर क्या असर हुआ है? (श्याम, बागली) (नील घोष)
जवाब: यूपी- योगी सरकार ने बजट में किसानों की कर्ज माफी के लिए 36 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की थी. सरकार का दावा है कि इस योजना के तहत 21,000 करोड़ रुपए खर्च भी किए जा चुके हैं और 33 लाख किसानों को फायदा पहुंचाया गया है.
महाराष्ट्र- फडणवीस सरकार ने किसानों के लिए 34 हजार करोड़ रुपए की सशर्त कृषि माफी की घोषणा की थी. सरकार का दावा है कि इस योजना के तहत 46 लाख से ज्यादा किसानों का 14 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज चुकाया गया है.
पंजाब- अमरिंदर सरकार का दावा है कि 6 जिलों (गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) और होशियारपुर) के 26,998 किसानों को 156.12 करोड़ रुपए के ऋण राहत सर्टिफिकेट बांटे जा चुके हैं.
राजस्थान- बांसवाड़ा में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक समारोह में एक लाख 9 हजार किसानों के कुल 250 करोड़ रुपए के कर्ज माफ करने का दावा किया है.
कुल मिलाकर देश के आठ राज्यों के किसान कुल 3.1 लाख करोड़ का कर्ज माफ करने की मांग कर रहे हैं. यह देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद का 2.6 फीसदी है.
सवाल: किसानों के लिए मोदी सरकार ने चार सालों में क्या-क्या किया कृपया बताने का कष्ट करें? (अमित, भोपाल)
जवाब: फसल बीमा योजना- देश में पिछले चार सालों में कृषि विकास दर का औसत 1.9 प्रतिशत रहा. 2016 में खेतों में खरीफ की फसल की रोपाई के साथ ही मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत उन आपदाओं के दायरे में विस्तार किया गया जिनसे फसल को नुकसान पहुंचता है. साथ ही, खरीफ की फसलों के मामले में किसानों के लिए बीमाकृत राशि की दो फीसदी जबकि रबी फसलों के लिए डेढ़ फीसदी प्रीमियम की दर रखी गईं. इनके अलावा बागवानी वाली फसलों के लिए यह दर पांच फीसदी तय की गई. बचे प्रीमियम में केंद्र और राज्यों को भी 50-50 फीसदी अपना हिस्सा देना होता है.
2017 में 14,453 करोड़ रुपए के फसल नुकसान का दावा किसानों की तरफ से किया गया जिसमें बीमा कंपनियों ने 733 करोड़ रुपए के नुकसान का भुगतान कर दिया है जो महज 5 फीसदी है. इससे पहले यानि साल 2016 में बीमा कंपनियों ने फसल नुकसान से जुड़े 95 फीसदी दावों के भुगतान का दावा किया था. हालांकि कुछ किसान संगठनों का कहना है कि इस योजना से सिर्फ और सिर्फ बीमा कपंनियों को मुनाफा हुआ और ज्यादातर मामलों में किसानों को बीमा दावे का भुगतान नहीं किया गया.
सॉयल हेल्थ कार्ड योजना- किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार ने किसानों के खेतों की उर्वरा शक्ति की जांच करने का निर्णय लिया. दावा है कि इस योजना के तहत 10 लाख किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड बांटे जा चुके हैं
नीम कोटेड यूरिया- अभी तक यूरिया का खेतों में कम अन्य उद्योगों में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता रहा है जिसके चलते सीजन के समय किसानों को यूरिया की किल्लत से जूझना पड़ता था. यूरिया की इस कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने यूरिया पर नीम की लेप चढ़ानी शुरू कर दी. नीम कोटिंग यूरिया का अन्य कामों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. सरकार का कहना है कि अब किसानों के लिए नीम कोटेड यूरिया आसानी से उपलब्ध है जिससे फसल की पैदावार 15 से 20 फीसदी बढ़ जाएगी
सवाल: क्या किसान आंदोलन से शहरों में फल सब्जी का भाव बढ़ सकतें हैं? (अयुब खिलजी)
जवाब: किसानों के 10 दिनों के 'गांव बंद' की वजह से शहरों में फल-सब्जियों की सप्लाई पर थोड़ा बहुत असर पड़ना तय है. लेकिन अभी हड़ताल का दूसरा ही दिन है इसलिए व्यापक असर देखने को नहीं मिल रहा. कहीं-कहीं मंडियों में सब्जियों और फलों की आवक में कमी जरूर आई है और दाम बढ़े हैं लेकिन मध्य प्रदेश सहित कई राज्य सरकारों ने ये दावा किया है कि 10 दिनों की घेराबंदी के दौरान जरूरी सामान की आपूर्ति ठप नहीं होने दी जाएगी.