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राम मंदिर निर्माण के लिए साधु-संतों ने सीएम योगी से मिलकर अल्टीमेटम दिया है. इस खबर के बारे में लोगों ने कई सवाल पूछे, जिनके जवाब हमारी टीम ने दिए हैं.


सवाल- राम मंदिर मामले में साधु-संतों की योगी आदित्यनाथ से मुलाकात में क्या हुआ? योगी सरकार क्या इस बारे में क्या पहल कर रही है? ( ताराचंद, पाली; पुष्पा कुमावत, जैतारण, राजस्थान)


जवाब- अयोध्या के साधु संत गुरुवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले. मुख्यमंत्री के साथ साधु-संतों की बैठक में उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द शुरू करने की मांग दोहराई. इस मुलाकात में राम जन्म भूमि न्यास, दिगम्बर अखाड़ा और उदासीन आश्रम से जुड़े संतों समेत अयोध्या के कई साधु-संत शामिल हुए. मुलाकात से पहले संतों ने चेतावनी वाले अंदाज में कहा था कि अगर मंदिर का मामला नहीं सुलझा तो सोचेंगे कि 2019 में क्या करना है. लेकिन बैठक के बाद साधु-संतों के तेवर कुछ नर्म दिखाई दिए. उन्होंने बातचीत को सकारात्मक बताते हुए कहा कि सीएम योगी ने राम मंदिर का निर्माण जल्द होने का भरोसा दिलाया है. 25 जून को अयोध्या में संतों की बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा होगी. हालांकि मामला अदालत में विचाराधीन होने के कारण इसका जल्द कोई समाधान निकल पाना आसान नहीं लगता.


सवाल- जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो बीजेपी हर बार चुनाव से पहले अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बनाने की बात क्यों करती है? (अंकित सिंह, बहराइच; दर्शन, अहमदाबाद)


जवाब- अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में जरूर है, लेकिन बीजेपी इस मुद्दे को लंबे अरसे से उठाती आ रही है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चलाए जा रहे विश्व हिंदू परिषद के अभियान को बीजेपी ने पहली बार 1989 में औपचारिक तौर पर समर्थन देना शुरू किया. तभी से ये मुद्दा बीजेपी की चुनावी राजनीति का अहम हिस्सा रहा है. जहां तक कोर्ट में चल रहे केस का सवाल है, अयोध्या जमीन विवाद केस की अगली सुनवाई 5 जुलाई को होनी है. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने मामले की पिछली सुनवाई 17 मई को की थी. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील इस मामले को संविधान पीठ को सौंपने की मांग कर रहे हैं. जबकि हिंदू महासभा के वकील की दलील है कि ये कोई संविधान का मसला नहीं, बल्कि सिर्फ एक संपत्ति विवाद है, इसलिए इसे संविधान पीठ को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा था कि मामले को संविधान पीठ को सौंपने के बारे में कोई भी फैसला सभी पक्षों को सुनने के बाद ही किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 13 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. 2010 के उस फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था.


सवाल- अयोध्या में राम मंदिर से जुड़ा मुद्दा और इसका कानूनी विवाद क्या है? (अश्विनी कुमार गिरी, छपरा; राज कुमार सिंह, दिल्ली)


जवाब- अयोध्या में मुख्य कानूनी विवाद 2.77 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर है. हिंदू संगठनों का दावा है कि भगवान राम की जन्मभूमि इसी जमीन पर है, इसलिए यहां राम मंदिर बनना चाहिए. जबकि मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि इस जमीन पर सन 1528 में बनी बाबरी मस्जिद थी, जिसे 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने गिरा दिया. हिंदू संगठनों का दावा है कि ये मस्जिद राम मंदिर को गिराकर बनाई गई थी. अयोध्या में विवादित जगह पर 1949 से ताला बंद था, जिसे 1989 में राजीव गांधी की सरकार के कार्यकाल के दौरान खुलवा दिया गया. इसके बाद ही इस विवाद ने नए सिरे से तूल पकड़ लिया. 1992 में बीजेपी के बड़े नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के मुद्दे पर देश भर में रथयात्रा निकाली. जिससे ये मुद्दा देश की राजनीति के केंद्र में आ गया.