दर्शकों और पाठकों से जुड़ने के लिए एबीपी न्यूज ने एक नई पहल की है. दिन की ताजा खबर पर दर्शक के मन में कोई सवाल है तो वो अब सीधे हमसे पूछ सकते हैं. एबीपी न्यूज की टीम दर्शकों के हर सवाल का जवाब देने की पूरी कोशिश करेगी.


सवाल– पीएम मोदी की हत्या की साजिश किसने रची है? (रीता सिंह, रायबरेली; संदीप अरोड़ा, चंडीगढ़; सच्चिदा, गया; अयूब खिलजी, जोधपुर)


जवाब- पीएम मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप नक्सलियों पर लगा है. इस साजिश का खुलासा महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा केस के सिलसिले में गिरफ्तार नक्सलियों से मिले दस्तावेजों से हुआ है. भीमा-कोरेगांव में 31 दिसंबर 2017 को एलगार परिषद का आयोजन हुआ था, जिसके अगले दिन यानी 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसा के आरोप में पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है. इन्हीं गिरफ्तार आरोपियों में एक के पास वो चिट्ठी मिली है, जिसमें मोदी की हत्या की साजिश का जिक्र है. सरकारी वकील ने अदालत को बताया है कि आरोपी के घर से पुणे पुलिस को मिली चिट्ठी में राजीव गांधी की हत्या जैसी साजिश रचकर प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाने की बात कही गई है. ये चिट्ठी 18 अप्रैल 2017 को किसी कॉमरेड प्रकाश को लिखी गई है. चिट्ठी लिखने वाले के नाम की जगह सिर्फ आर लिखा है.


सवाल- क्या इस साजिश के पीछे किसी राजनीतिक पार्टी का हाथ है? (अभिषेक सोनी, आजमगढ़ ; नरेंद्र पड़गड़, हनुमानगढ़ ; चंदन राय, गाजीपुर)


जवाब– अब तक सामने आई खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश के पीछे नक्सलियों का हाथ है. इसमें अब तक किसी राजनीतिक पार्टी का नाम आरोपी के तौर पर सामने नहीं आया है. लेकिन इस खबर पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान शुरू हो गया है. केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने इशारों-इशारों में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए विरोधी अभियान में माओवादी ताकतों का इस्तेमाल न सिर्फ सरकार के खिलाफ है, बल्कि ये संविधान के भी विरुद्ध है. जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, "दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल एनडीए विरोधी अभियान में माओवादियों को अपने औजार के रूप में देखते हैं. आतंकवाद और उग्रवाद का इतिहास हमें यह सीख देता है कि बाघ की सवारी कभी मत करो, वरना उसके पहले शिकार आप ही बनोगे."


जबकि कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि  ‘‘आतंकवाद, नक्सलवाद और चरपमपंथ अस्वीकार्य है. ये बात कांग्रेस से बेहतर कोई नहीं जानता, जिसने महात्मा गांधी, इंदिरा जी, राजीव जी, बेअंत सिंह, विद्याचरण शुक्ला जी और नंद कुमार पटेल समेत अपने कई नेताओं को खोया है.’’  सुरजेवाला ने ये भी लिखा है कि‘बीजेपी का दोहरा रवैया और दोमुंहापन फिर से बेनकाब हुआ है. केंद्रीय मंत्री अठावले कहते हैं कि दलित कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी ‘अन्याय’ है और एलगार परिषद का हिंसा से कोई संबंध नहीं है. लेकिन ‘महाराष्ट्र सरकार गिरफ्तार लोगों को ‘माओवादी सदस्य’ बता रही है. प्रश्न यह है कि झूठ कौन बोल रहा है?’


सवाल- भारत के किन बड़े नेताओं की अब तक हत्या की गई है? (घनश्याम राजौरा, नीमच)


 जवाब– भारत की आजादी के कुछ ही महीने बाद 30 जनवरी 1948 को दिल्ली में एक प्रार्थना सभा के दौरान हत्यारे नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. उसके बाद से अब तक देश ने कई बड़े नेताओं को हत्याओं की वजह से खोया है. 31 अक्टूबर 1984 को दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या खालिस्तानी आतंकियों ने कर दी थी. करीब सात साल बाद 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुंबुदूर में इंदिरा गांधी के बेटे और देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की श्रीलंका के आतंकी संगठन लिट्टे के आतंकियों ने हत्या कर दी थी.


पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता बेअंत सिंह की हत्या भी खालिस्तानी आतंकियों ने 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ में कर दी थी. 2 जनवरी 1975 को बिहार के समस्तीपुर में देश के तत्कालीन रेल मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ललित नारायण मिश्रा की हत्या एक बम धमाके में हुई थी.


 नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ की दरभा घाटी में 25 मई 2013 को देश में एक भयानक राजनीतिक हत्याकांड को अंजाम दिया था. नक्सलियों के इस भयानक हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल, छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और राज्य के पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा समेत कम से कम 27 लोगों की मौत हो गयी थी.


4 मार्च 2007 को नक्सलियों ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद सुनील कुमार महतो की उस वक्त हत्या कर दी थी, जब वो पूर्वी सिंहभूम जिले के बाकुरिया में एक फुटबॉल मैच देख रहे थे.