दुनिया भर में जब से कोरोना ने अपना कहर दिखाना शुरू किया है तब से अब तक करीब 1.19 लाख स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी जान दी हैं. इस भयावह महामारी ने अब तक 18.29 करोड़ लोगों को अपनी चपेट में लिया है जबकि करीब 40 लाख लोगों को मौत के मुंह भी धकेल दिया. इस महामारी के खिलाफ लड़ने में स्वास्थ्यकर्मियों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन दुर्भाग्य से दुनिया भर में करीब 1.19 लाख स्वास्थ्यकर्मी भी कोरोना की चपेट में आकर अपनी कुर्बानी दे दी. आज डॉक्टर्स डे है और इस अवसर पर यह जानना जरूरी है कि कोरोना से लड़ने में डॉक्टरों ने किस तरह अपनी जान कुर्बान कर दी.
दूसरी लहर में दिल्ली में सबसे ज्यादा डॉक्टरों ने गंवाई जान
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक कोरोना के कारण देश में अब तक 1492 डॉक्टरों की मौत हो गई हैं. ये डॉक्टर कोरोना काल के दौरान हजारों कोरोना संक्रमितों का इलाज किया और उन्हें नया जीवन दिया लेकिन उसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. हैरान करने वाली बात यह है कि दूसरी लहर के दौरान सिर्फ दो महीनों में सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत हुई.
करीब 719 डॉकटरों की मौतें सिर्फ दूसरी लहर के दौरान हुई. इनमें से देश की राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें हुईं. दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 107 डॉक्टरों को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसके बाद बिहार में 96 डॉक्टरों की मौत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हुई.
भारत में डॉक्टरों की संख्या में भारी कमी
भारत में वैसे भी डॉक्टरों की बहुत कमी है. प्रति हजार पर भारत में सिर्फ 0.8 डॉक्टर हैं. स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्वनि चौबे द्वारा संसद में दिए गए बयान के मुताबिक भारत में प्रति 1457 व्यक्तियों पर सिर्फ एक डॉक्टर है. देश में सिर्फ 11.57 लाख डॉक्टर है. इस प्रकार पहले से ही डॉक्टरों की भारी कमी के कारण देश को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. कोरोना काल में सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत अमेरिका में हुई. अमेरिका में कोरोना काल के दौरान 3607 स्वास्थ्यकर्मियों की मौत हुई. कोरोना काल में अतिरिक्त दबाव ने कई डॉक्टरों को काम छोड़ने पर मजबूर कर दिया. अमेरिका में 93 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों को तनाव का सामना करना पड़ा.
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