1 Year of Farmers Protest: किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर क्या बोले किसान नेता राकेश टिकैत
1 Year of Farmers Protest: किसान संगठनों का तर्क था कि नए कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी.
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1 Year of Farmers Protest: कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन का आज एक साल पूरा हो गया है. एक साल पहले 26 नवंबर को ही पहली बार किसानों ने इस आंदोलन की शुरूआत की थी. हालांकि हाल ही में पीएम ने अपने एक संबोधन के दौरान कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी है लेकिन अपनी कुछ मांगो को लेकर किसानों का प्रदर्शन आज भी जारी है.
बता दें किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर आज राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बार्डरों पर भारी संख्या में किसान एकजुट हो रहे हैं. वहीं किसान नेता रैकेश टिकैत ने आंदोलन के एर साल होने के मौके पर कू एप के जरिए कहा, "एक साल का लम्बा संघर्ष बेमिसाल, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, लड़ रहे है जीत रहे है, लड़ेंगे जीतेंगे, न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून किसानों का अधिकार."
इसके अलावा टिकैत ने ABP न्यूज से बात करते हुए कहा, " राकेश टिकैत ने एबीपी न्यूज़ से कहा है कि- 750 किसानों की मौत हुई उसकी जिम्मेदारी, एमएसपी पर गारंटी कानून, अजय टेनी और किसानों पर मुकदमे, इन चार सवालों का सरकार जवाब दे."
कब बना था कृषि कानून
केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि विधेयकों को संसंद के पटल पर 5 जून 2020 को रखा गया था. जिसके बाद 14 सितंबर 2020 को संसद में इस कानून को लेकर अध्यादेश पेश किया गया था. 17 सितंबर 2020 को अध्यादेश को लोकसभा में मंजूरी मिल गई और फिर राज्यसभा में भी 20 सितंबर 2020 को ये कृषि कानून ध्वनिमत से पारित हो गए. 27 सितंबर 2020 को कृषि बिलों को राष्ट्रपति की सहमति भी मिल गई और ये कानून बन गए.
किसान आंदोलन का क्यों हुआ विरोध
केंद्र सरकार द्वारा इस कानून को लाए जाने के बाद किसान संगठनों का तर्क था कि नए कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी. जबकि, सरकार का तर्क था कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में नए निवेश का अवसर पैदा होंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी. लेकिन किसान सरकार के तर्क से सहमत नहीं थे और फिर पिछले साल 25 नवंबर 2020 को तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध-प्रदर्शन शुरु हुआ.
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