नई दिल्ली: मंगलवार यानी आज देश भर में सरकारी बैंकों की करीब डेढ़ लाख शाखाओं में कामकाज ठप रहेगा. क्योंकि इन शाखाओं में काम करने वाले करीब 10 लाख अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे. हड़ताल की वजह से बैंक जाकर पैसा जमा कराना, ड्रॉफ्ट बनवाना जैसे काम तो नहीं हो पाएंगे. लेकिन बैंक प्रबंधन का कहना है कि एटीएम को लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं, क्योंकि उसमें पर्याप्त पैसा मुहैया कराने का इंतजाम किया गया है. दूसरी ओर ऑनलाइन बैंकिंग पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा. उधर, प्रमुख निजी बैंक जैसे आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं.
हड़ताल का आह्वान अधिकारियों और कर्मचारियों की नौ यूनियनों ने युनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियंस यानी यूएफबीयू के झंडे तले किया है. यूएफबीयू की चेतावनी है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो वो अक्टूबर-नवबंर में दो दिनों की हड़ताल करेंगे. इसके पहले 15 सितम्बर को दिल्ली में बड़ी रैली निकाली जाएगी.
बैक यूनियनों की 17 मांगों हैं. इनमें मुख्य रुप से शामिल हैं:
- सरकारी बैंकों का निजीकरण बंद किया जाए
- बैंकों के विलय पर रोक लगे
- कंपनियों के फंसे कर्ज को बट्टे खाते में नहीं डाला जाए
- जानबुझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों को अपराधी करार दिया जाए
- फंसे कर्ज की वसूली पर संसदीय समिति की सिफारिशों पर अमल किया जाए
- फंसे कर्ज के लिए बैकों में शीर्ष पर बैठे लोगों की जवाबदेही तय की जाए
- बैंक बोर्ड ब्यूरो रद्द किया जाए
- जीएसटी के नाम पर सर्विस चार्ज नहीं बढ़ाय.
- नोटबंदी की लागत की भरपाई की जाए
- सभी स्तर पर पर्याप्त संख्या में नई नियुक्ति की जाए
यूनियन पदाधिकारिय़ों का कहना है कि बैंकिंग उद्योग की चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं. इनका आरोप है कि खतरनाक स्तर पर जा पहुंचे फंसे कर्ज से निबटने के लिए उचित कदम के बजाए सरकार अलग-अलग कानूनी रास्ते अपनाने में जुटी है जिससे बैकों का बैलेंस शीट साफ तो हो जाएगा, लेकिन इसका बोझ खुद बैंकों की उठाना पड़ेगा. दूसरी ओऱ बैंकों को पर्याप्त पूंजी मुहैया नहीं करायी जा रही.
यूनियन का आरोप है कि बड़ी कंपनियों के फंसे कर्ज का बोझ आम लोगों पर विभिन्न सेवाओं पर बढ़े हुए सर्विस चार्ज और बचत खाते पर ब्याज में कमी के तौर पर डाला जा रहा है. भारतीय स्टेट बैंक का जिक्र करते हुए बैंक यूनियनों ने कहा है कि बचत खाते पर ब्याज की दर में कमी से उसे 4400 करोड़ रुपये का फायदा होगा, लेकिन एसबीआई ने ये ब्यौरा नहीं दिया कि बट्टे खाते में फंसे कर्ज डालने से उन्हें क्या नुकसान हुआ.