नई दिल्ली: चुनावी आहट के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने गरीब सवर्णों (आर्थिक रूप से पिछड़ी ऊंची जातियों) को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. इसकी संवैधानिक मंजूरी के लिए आज संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया जाएगा. संसद का मौजूदा शीतकालीन आज तक चलना था. सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन के लिए बढ़ा दी गई है. ताकि संविधान संशोधन विधेयक को चर्चा के बाद मंजूरी दिलाई जा सके. बीजेपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर संसद में मौजूद रहने को कहा है.


लंबे समय से थी मांग
बीजेपी के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को आरक्षण दिया जाए. एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत आज संसद में विधेयक पेश कर सकते हैं. इस विधेयक के जरिए गैर-जातिगत और गैर-धार्मिक आधार पर आरक्षण देने की कोशिश की गई है.


प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा.


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इस प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में जरूरी संशोधन करने होंगे.


संसद में संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को दोनों सदनों में कम से कम दो-तिहाई बहुमत जुटाना होगा. लोकसभा और राज्यसभा दोनों में सरकार के पास दो-तिहाई बहुमत नहीं है. ऐसे में सबकुछ विपक्षी पार्टियों के रुख पर निर्भर करेगा.


विपक्ष ने बताया चुनावी जुमला
बीजेपी ने मोदी सरकार के इस कदम को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया जबकि विपक्ष ने इसके समय पर सवाल उठाया. कांग्रेस ने इसे ‘‘चुनावी जुमला’’ करार दिया. हालांकि, सियासी नफा-नुकसान को देखते हुए विपक्षी पार्टियों ने फिलहाल सरकार के इस कदम का समर्थन किया है.


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यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस संसद में इस विधेयक को पारित करने में मदद करेगी, इस पर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘आर्थिक तौर पर गरीब व्यक्ति के बेटे या बेटी को शिक्षा एवं रोजगार में अपना हिस्सा मिलना चाहिए. हम इसके लिए हर कदम का समर्थन करेंगे.’’


दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार से कहा कि वह संसद सत्र का विस्तार करे और इसे तत्काल कानून बनाने के लिए संविधान में संशोधन करे, वरना यह महज ‘चुनावी स्टंट’ साबित होगा.


बीजेपी ने बताया ऐतिहासिक
सत्ताधारी बीजेपी ने इस कदम की तारीफ की. पार्टी के कई नेताओं ने इसे ‘ऐतिहासिक’ करार दिया. ‘सबका साथ सबका विकास’ के पथ पर सरकार काम कर रही है. संविधान संशोधन विधेयक के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में एक धारा जोड़कर शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा.


अब तक संविधान में एससी-एसटी के अलावा सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन इसमें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कोई जिक्र नहीं है. एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधेयक पारित हो जाने पर संविधान में संशोधन हो जाएगा और फिर सामान्य वर्गों के गरीबों को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण मिल सकेगा.


उन्होंने कहा, ‘‘ आरक्षण पर अधिकतम 50 फीसदी की सीमा तय करने का कोर्ट का फैसला संविधान में संशोधन का संसद का अधिकार नहीं छीन सकता.’’ सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में अपने फैसले में आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा तय कर दी थी.


सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संविधान संशोधन से अतिरिक्त कोटा का रास्ता साफ हो जाएगा. एक सूत्र ने बताया, ‘‘आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे लोगों को दिया जाएगा जो अभी आरक्षण का कोई लाभ नहीं ले रहे.’’


प्रस्तावित कानून का लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा. सूत्रों ने बताया कि अन्य धर्मों के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.


बीजेपी का मानना है कि यदि विपक्षी पार्टियां इस विधेयक के खिलाफ वोट करती हैं तो वे समाज के एक प्रभावशाली तबके का समर्थन खो सकती है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सामान्य वर्गों के गरीबों को आरक्षण देने की मांग संविधान सभा में भी की गई थी.


किसे मिलेगा आरक्षण?
इस विधेयक में प्रावधान किया जा सकता है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम और जिनके पास पांच एकड़ से कम कृषि भूमि है, उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सकता है. सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए.


वोट पर नजर
सत्ताधारी बीजेपी को उम्मीद है कि इस विधेयक से उसे अगड़ी जातियों का वोट जुटाने में मदद मिलेगी. अप्रैल-मई में संभावित लोकसभा चुनावों से पहले सरकार ने यह कदम उठाया है. बीजेपी के उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने इस आरक्षण को सामाजिक न्याय का दायरा बढ़ाने की दिशा में एक कदम करार दिया.


सहयोगियों का साथ
केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की सहयोगी आरपीआई (अठावले) के नेता रामदास अठावले ने इस फैसले को ‘‘मास्टरस्ट्रोक’’ करार दिया और कहा कि इससे अगड़ी और पिछड़ी जातियों के बीच का फर्क खत्म होगा. बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान ने भी इस कदम का समर्थन किया है.


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